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कोरोना काल में बुनकरों की टूटी कमर, रोजी- रोटी पर गहराया संकट - corona news mp

राजधानी में जरदोजी का काम करने वाले कारीगर कोरोना महामारी का बुरी तरह शिकार हुए हैं, शादी के सीजन में जरदोजी कढ़ाई के व्यापारियों और कारीगरों को बहुत फायदा होता है. लेकिन 3 महीने के इस लॉकडाउन ने जरदोजी के काम को भी ठप कर दिया.

zardozi traders
जरदोजी उद्योग
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Published : Jun 23, 2020, 5:38 PM IST

Updated : Jun 23, 2020, 8:57 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के प्रकोप से आज लोगों के जीवन में काफी बदलाव हो गया है. अब भले ही सरकार ने अनलॉक-1 में कई रियायतें दे दी हैं, लेकिन जो नुकसान लॉकडाउन में हुआ है. उसकी भरपाई करना इतना आसान नहीं है. लॉकडाउन के बीच बड़े- बड़े समारोह ठप हो गए, शादी के सीजन निकल गए. इन लोगों पर कोरोना की मार सबसे ज्यादा पड़ी है.

बुनकरों की टूटी कमर

जरदोजी व्यापारियों का नुकसान

दरअसल राजधानी में जरदोजी उद्योग का काम करने वाले व्यापारी कोरोना महामारी का बुरी तरह शिकार हुए हैं. शादी के सीजन में जरदोजी कढ़ाई के व्यापारियों को काफी फायदा होता था. क्योंकि इसके अनोखे वर्क को महिलाएं बहुत पसंद करती हैं, लेकिन 3 महीने के इस लॉकडाउन ने जरदोजी के काम को भी ठप कर दिया. लॉकडाउन में जरदोजी के कारीगरों के पास कोई ऑर्डर नहीं आया और जो पहले आए थे, वो भी कैंसिल हो गए.

काफी कठिन होता है जरदोजी का काम

बता दे कि, जरी जरदोजी बेहद कठिन काम है और काफी बारीकी से इस काम को किया जाता है. लहंगे साड़ी दुपट्टे में जरी जरदोजी की कढ़ाई जब होती है, तो उस कपड़े में अलग ही रंगत आ जाती है. भोपाल के सिटी इलाके में इस काम को पिछले 60 सालों से कर रही फरहा ने बताया कि, लॉकडाउन में जो नुकसान हुआ है, उसकी कभी कल्पना भी नहीं की गई थी. फरहा के मुताबिक जरदोजी लखनऊ की कला है, लेकिन राजधानी भोपाल में भी इस काम को बहुत पसंद किया जाता है. क्योंकि भोपाल में नवाबों ने राज किया है और नवाबों के आने से ही जरी जरदोजी का काम शुरू हुआ. इस काम को जितना लखनऊ में पसंद किया जाता है, उतना ही भोपाल में भी प्रचलित है.

50 प्रतिशत कारीगरों के साथ शुरू हुआ काम
हलांकि अनलॉक-1 में 50 प्रतिशत कारीगरों के साथ ही जरदोजी व्यापारी काम कर रहे हैं. इन्हें आर्डर नहीं मिल रहे हैं, जो पुराने आर्डर हैं, उन्हें ही तैयार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि, जरदोजी न केवल साड़ी सूट और लहंगों पर किया जाता है, बल्कि अब तो जरदोजी के बटुओं को भी बहुत पसंद किया जाता है. लेकिन लॉकडाउन ने फिलहाल हर तरह के ऑर्डर पर ब्रेक लगा दिया है.

कारीगरों को दो वक्त की रोटी का संकट

जरदोजी उद्योग संचालक फराह के मुताबिक इस नुकसान की भरपाई होने में काफी वक्त लगेगा. शादी का सीजन तो निकल ही चुका है, इसलिए अब आमदनी तो होने से रही, लेकिन जो छोटे- मोटे आर्डर हैं, उसी पर गुजारा हो रहा है. फराह के अलावा उनके यहां काम करने वाले कारीगरों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है, 3 महीने जब लॉकडाउन रहा, तो इन कारीगरों के पास कोई काम नहीं रहा. जिसके चलते इन्हें दो वक्त की रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है. हालांकि देशभर में कोरोना और लॉकडाउन किसी त्रासदी से कम नहीं है, चाहे गरीब हों, चाहे व्यापारी, हर किसी को कहीं न कहीं इसने नुकसान पहुंचाया है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के प्रकोप से आज लोगों के जीवन में काफी बदलाव हो गया है. अब भले ही सरकार ने अनलॉक-1 में कई रियायतें दे दी हैं, लेकिन जो नुकसान लॉकडाउन में हुआ है. उसकी भरपाई करना इतना आसान नहीं है. लॉकडाउन के बीच बड़े- बड़े समारोह ठप हो गए, शादी के सीजन निकल गए. इन लोगों पर कोरोना की मार सबसे ज्यादा पड़ी है.

बुनकरों की टूटी कमर

जरदोजी व्यापारियों का नुकसान

दरअसल राजधानी में जरदोजी उद्योग का काम करने वाले व्यापारी कोरोना महामारी का बुरी तरह शिकार हुए हैं. शादी के सीजन में जरदोजी कढ़ाई के व्यापारियों को काफी फायदा होता था. क्योंकि इसके अनोखे वर्क को महिलाएं बहुत पसंद करती हैं, लेकिन 3 महीने के इस लॉकडाउन ने जरदोजी के काम को भी ठप कर दिया. लॉकडाउन में जरदोजी के कारीगरों के पास कोई ऑर्डर नहीं आया और जो पहले आए थे, वो भी कैंसिल हो गए.

काफी कठिन होता है जरदोजी का काम

बता दे कि, जरी जरदोजी बेहद कठिन काम है और काफी बारीकी से इस काम को किया जाता है. लहंगे साड़ी दुपट्टे में जरी जरदोजी की कढ़ाई जब होती है, तो उस कपड़े में अलग ही रंगत आ जाती है. भोपाल के सिटी इलाके में इस काम को पिछले 60 सालों से कर रही फरहा ने बताया कि, लॉकडाउन में जो नुकसान हुआ है, उसकी कभी कल्पना भी नहीं की गई थी. फरहा के मुताबिक जरदोजी लखनऊ की कला है, लेकिन राजधानी भोपाल में भी इस काम को बहुत पसंद किया जाता है. क्योंकि भोपाल में नवाबों ने राज किया है और नवाबों के आने से ही जरी जरदोजी का काम शुरू हुआ. इस काम को जितना लखनऊ में पसंद किया जाता है, उतना ही भोपाल में भी प्रचलित है.

50 प्रतिशत कारीगरों के साथ शुरू हुआ काम
हलांकि अनलॉक-1 में 50 प्रतिशत कारीगरों के साथ ही जरदोजी व्यापारी काम कर रहे हैं. इन्हें आर्डर नहीं मिल रहे हैं, जो पुराने आर्डर हैं, उन्हें ही तैयार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि, जरदोजी न केवल साड़ी सूट और लहंगों पर किया जाता है, बल्कि अब तो जरदोजी के बटुओं को भी बहुत पसंद किया जाता है. लेकिन लॉकडाउन ने फिलहाल हर तरह के ऑर्डर पर ब्रेक लगा दिया है.

कारीगरों को दो वक्त की रोटी का संकट

जरदोजी उद्योग संचालक फराह के मुताबिक इस नुकसान की भरपाई होने में काफी वक्त लगेगा. शादी का सीजन तो निकल ही चुका है, इसलिए अब आमदनी तो होने से रही, लेकिन जो छोटे- मोटे आर्डर हैं, उसी पर गुजारा हो रहा है. फराह के अलावा उनके यहां काम करने वाले कारीगरों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है, 3 महीने जब लॉकडाउन रहा, तो इन कारीगरों के पास कोई काम नहीं रहा. जिसके चलते इन्हें दो वक्त की रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है. हालांकि देशभर में कोरोना और लॉकडाउन किसी त्रासदी से कम नहीं है, चाहे गरीब हों, चाहे व्यापारी, हर किसी को कहीं न कहीं इसने नुकसान पहुंचाया है.

Last Updated : Jun 23, 2020, 8:57 PM IST
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