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World Refugee Day 2020: गुजर गए 70 साल, भोपाल का रायचंदानी परिवार आज भी बेहाल

दुनियाभर में शरणार्थियों की स्थिति के प्रति जागरूकता और उनके सम्मान को बढ़ाने के लिए 20 जून को World Refugee Day मनाया जाता है. इस साल विश्व शरणार्थी दिवस के मौके पर ETV भारत में पढ़ें भोपाल के रायचंदानी परिवार की कहानी, जो आज भी 70 साल बाद अपने पुराने दिन याद कर सहम जाते हैं.

refugee family in bhopa
अपने घर की आस
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Published : Jun 20, 2020, 10:56 AM IST

Updated : Jun 20, 2020, 11:33 AM IST

भोपाल। करीब 70 साल पहले युद्ध, प्रताड़ना, संघर्ष, हिंसा और बंटवारे के कारण अपना देश छोड़कर भारत आया रायचंदानी परिवार आज भी जब अपने पुराने दिन याद करता है, तो सहम जाता है. लेकिन 70 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ये परिवार किराए के मकान में रहने को मजबूर है. यहां तक की जिस दुकान को चलाकर वे जीवन-यापन कर रहे हैं, वे भी किराए की है.

70 साल बाद भी घर की आस

हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे के समय पाकिस्तान से हैदराबाद के सिंध प्रांत होते हुए ये परिवार पहुंचा भोपाल. जहां कई दिनों तक रिफ्यूजी कैंप में रहने के बाद अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए मेहनत मजदूरी करने लगे. ऐसा नहीं है कि किशनलाल का उनके देश में कुछ कारोबार नहीं था. उन्होंने बताया कि वे पाकिस्तान प्रांत में अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे. जहां पर उनकी जमीन थी. इस जमीन पर वे खेती करते थे, जिससे आराम से उनका जीवनयापन हो रहा था लेकिन बंटवारे के बाद वे एक-एक रोटी के लिए तरस रहे हैं.

ये भी पढे़ं- कोरोना का कहर: सूर्य ग्रहण के समय लोग नहीं कर सकेंगे नर्मदा स्नान, कलेक्टर ने जारी किए आदेश

किशनलाल ने बताया कि शुरूआती दौर में भोपाल रेलवे स्टेशन के पास उन्हें कैंप में शिफ्ट किया गया. बाद में स्टेशन के पास आर्मी एरिया के नजदीक कैंपों में रखा गया, और आज करीब 70 साल की उम्र के बाद भी उनके पास खुद का घर नहीं है. दुकान किराए की है, घर किराए का है और अब तो उन्हें लगता है कि यह जिंदगी भी किराए की ही है.

धीरे-धीरे सुधारे हालात

यही हालत कभी समाज सेवी दुर्गेश केशवानी के परिवार की थी. इन्हीं हालातों से दो-चार होते हुए उन्होंने अपने परिवार को संभाला. धीरे-धीरे वे व्यापार-व्यवसाय करने लगे और फिर अपने समाज के लोगों को सहारा देने लगे, जो कि आज भी निरंतर जारी है. सिंधी समाज संगठन के दुर्गेश केशवानी बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने सिंधी समाज के लिए बहुत काम किया था और अब वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) लाकर लोगों को देश में रहने का मौलिक अधिकार दिया है.

कांग्रेस पर बंटवारे के आरोप

समाजसेवी केशवानी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने सिर्फ अपने फायदे के लिए बंटवारा किया था, जिसका खामियाजा उनके परिजनों को भुगतना पड़ा है. क्योंकि बंटवारे के वक्त जो गुजराती थे उनके लिए गुजरात बना दिया, जो पंजाबी थे उन्हें पंजाब प्रांत में बसा दिया. लेकिन सिंधियों के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की थी. ऐसे में वह देश की अलग-अलग जगहों में आज भी अपना ठिकाना ढूंढ रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा CAA लाने के बाद अब लोगों को आस जगी है कि वे भी भारत के नागरिक कहलाएंगे.

बता दें, 1947 में भारत के बंटवारे के समय लाखों लोग बेघर हुए थे और रोटी, कपड़ा, मकान की तलाश में देश के अलग-अलग हिस्सों में अपना ठिकाना बनाते गए. हालांकि, भोपाल में रह रहे अब सिंधी समाज को सम्मान और अधिकार दोनों मिलने लगा है.

भोपाल। करीब 70 साल पहले युद्ध, प्रताड़ना, संघर्ष, हिंसा और बंटवारे के कारण अपना देश छोड़कर भारत आया रायचंदानी परिवार आज भी जब अपने पुराने दिन याद करता है, तो सहम जाता है. लेकिन 70 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ये परिवार किराए के मकान में रहने को मजबूर है. यहां तक की जिस दुकान को चलाकर वे जीवन-यापन कर रहे हैं, वे भी किराए की है.

70 साल बाद भी घर की आस

हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे के समय पाकिस्तान से हैदराबाद के सिंध प्रांत होते हुए ये परिवार पहुंचा भोपाल. जहां कई दिनों तक रिफ्यूजी कैंप में रहने के बाद अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए मेहनत मजदूरी करने लगे. ऐसा नहीं है कि किशनलाल का उनके देश में कुछ कारोबार नहीं था. उन्होंने बताया कि वे पाकिस्तान प्रांत में अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे. जहां पर उनकी जमीन थी. इस जमीन पर वे खेती करते थे, जिससे आराम से उनका जीवनयापन हो रहा था लेकिन बंटवारे के बाद वे एक-एक रोटी के लिए तरस रहे हैं.

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किशनलाल ने बताया कि शुरूआती दौर में भोपाल रेलवे स्टेशन के पास उन्हें कैंप में शिफ्ट किया गया. बाद में स्टेशन के पास आर्मी एरिया के नजदीक कैंपों में रखा गया, और आज करीब 70 साल की उम्र के बाद भी उनके पास खुद का घर नहीं है. दुकान किराए की है, घर किराए का है और अब तो उन्हें लगता है कि यह जिंदगी भी किराए की ही है.

धीरे-धीरे सुधारे हालात

यही हालत कभी समाज सेवी दुर्गेश केशवानी के परिवार की थी. इन्हीं हालातों से दो-चार होते हुए उन्होंने अपने परिवार को संभाला. धीरे-धीरे वे व्यापार-व्यवसाय करने लगे और फिर अपने समाज के लोगों को सहारा देने लगे, जो कि आज भी निरंतर जारी है. सिंधी समाज संगठन के दुर्गेश केशवानी बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने सिंधी समाज के लिए बहुत काम किया था और अब वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) लाकर लोगों को देश में रहने का मौलिक अधिकार दिया है.

कांग्रेस पर बंटवारे के आरोप

समाजसेवी केशवानी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने सिर्फ अपने फायदे के लिए बंटवारा किया था, जिसका खामियाजा उनके परिजनों को भुगतना पड़ा है. क्योंकि बंटवारे के वक्त जो गुजराती थे उनके लिए गुजरात बना दिया, जो पंजाबी थे उन्हें पंजाब प्रांत में बसा दिया. लेकिन सिंधियों के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की थी. ऐसे में वह देश की अलग-अलग जगहों में आज भी अपना ठिकाना ढूंढ रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा CAA लाने के बाद अब लोगों को आस जगी है कि वे भी भारत के नागरिक कहलाएंगे.

बता दें, 1947 में भारत के बंटवारे के समय लाखों लोग बेघर हुए थे और रोटी, कपड़ा, मकान की तलाश में देश के अलग-अलग हिस्सों में अपना ठिकाना बनाते गए. हालांकि, भोपाल में रह रहे अब सिंधी समाज को सम्मान और अधिकार दोनों मिलने लगा है.

Last Updated : Jun 20, 2020, 11:33 AM IST
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