भोपाल। प्रदेश सरकार हो या केंद्र सरकार दोनों ही सरकारों ने मजदूरों के लिए कई योजनाएं बनाईं और बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इन योजनाओं का लाभ पहुंचना तो दूर मजदूरों को इन योजनाओं के बारे में पता तक नहीं है.
एक अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि उन्हें सरकार की किसी योजना की जानकारी नहीं है. छतरपुर की निवासी सुमन और गेंदा बाई जो कि भोपाल में मजदूरी करती हैं, उन्होंने बताया कि वे काम के सिलसिले में यहां रहती हैं. मजदूरों के लिए चलाई जाने वाली सरकार की किसी भी योजना की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वहीं डिंडौरी की रहने वाली मजदूर का कहना है कि सरकार क्या करती है, उन्हें नहीं पता. वे अपना गुजारा और पेट पालने के लिए मजदूरी करते हैं.
बता दें कि यह हाल ना केवल एक जगह के मजदूरों का है, बल्कि असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों का यही हाल है. इनके लिए केवल दो वक्त की रोटी मिल जाए वही काफी है. मध्यप्रदेश सरकार की संबल योजना हो या फिर मोदी सरकार की पेंशन स्कीम योजना हो, सरकार ने योजना तो बनाई, लेकिन यह जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाई हैं.