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लोकसभा चुनाव में बढ़त बनाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने चला ये बड़ा दांव, लेकिन कानूनी दांव-पेंच में उलझ गया मामला - lok sabha election

भोपाल। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही दल वोटरों को लुभाने के लिए दो बड़े दांव खेले हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण ऐलान किया, तो मध्यप्रदेश में नवनिर्वाचित कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 14 फ़ीसदी से 27 फीसदी आरक्षण देने का एलान करके सभी को चौका दिया . लेकिन दोनों ने दांव कानूनी दांव-पेंच में उलझ कर रह गए हैं.

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Published : Apr 6, 2019, 6:52 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही दल वोटरों को लुभाने के लिए दो बड़े दांव खेले हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण ऐलान किया, तो मध्यप्रदेश में नवनिर्वाचित कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 14 फ़ीसदी से 27 फीसदी आरक्षण देने का एलान करके सभी को चौका दिया . लेकिन दोनों ने दांव कानूनी दांव-पेंच में उलझ कर रह गए हैं.

आरक्षण पर आमने सामने कांग्रेस-बीजोपी

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया कि पहले केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संविधान में संशोधन करके सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण सुनिश्चित करवाया, लेकिन कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में लागू ना करके सामान्य वर्ग के प्रति पाप करने का काम किया है. इसके साथ-साथ सीएम कमलनाथ ने पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण देने का जो वादा किया है उसे कोर्ट ने भी नकार दिया है. उन्होंने कहा कि 'कमलथाथ सरकार ने पिछड़े वर्ग के साथ बड़ा धोखा किया है'.

राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की नियत बिल्कुल साफ है. 10% आरक्षण को लेकर हम भी लंबे समय से आवाज उठा रहे थे, कि सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिलना चाहिए. केंद्र सरकार ने 10% आरक्षण कर दिया, पटेल ने का कि अगर हमारी नीयत साफ नहीं होती तो हम इसका विरोध करते, लेकिन हमने ईमानदारी से इसका समर्थन किया है. वहीं बीजेपी प्रदेश के ओबीसी वर्ग के 14% आरक्षण 27% किए जाने पर भाजपा चुप्पी साधे हुए हैं.


आरक्षण मुद्दे का चुनावी समीकरण
भारतीय जनता पार्टी वोट बैंक शुरु से ही सवर्ण वोट रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'माई के लाल' वाले बयान ने बीजेपी का मध्यप्रदेश में बड़ा नुकसान किया, पार्टी समीक्षा में सामने आया कि केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से एससी-एसटी एक्ट बिल के संबंध में जारी अध्यादेश के चलते सवर्ण वर्ग बीजेपी से नाराज चल रहा रहा था. वहीं लोकसभा चुनाव में ऐसी स्थिति ना बने इस बात को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने चुनाव के पहले गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने का ऐलान कर दिया. इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने अपनी राज्य सरकारों को ओबीसी वोट बैंक पर फोकस करने के निर्देश दिए है. जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने बड़ा दांव खेलते हुए मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का काम किया है. मध्यप्रदेश में 52% ओबीसी जनसंख्या है और कांग्रेस ने बीजेपी के सवर्ण आरक्षण के दांव पर ओबीसी आरक्षण के जरिए उसे कमजोर करने की कोशिश की है. अब दोनों दल अपने-अपने आरक्षण प्रावधानों के जरिए सवर्ण और ओबीसी वोटर्स को रिझाने का काम कर रहे हैं.

भोपाल। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही दल वोटरों को लुभाने के लिए दो बड़े दांव खेले हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण ऐलान किया, तो मध्यप्रदेश में नवनिर्वाचित कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 14 फ़ीसदी से 27 फीसदी आरक्षण देने का एलान करके सभी को चौका दिया . लेकिन दोनों ने दांव कानूनी दांव-पेंच में उलझ कर रह गए हैं.

आरक्षण पर आमने सामने कांग्रेस-बीजोपी

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया कि पहले केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संविधान में संशोधन करके सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण सुनिश्चित करवाया, लेकिन कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में लागू ना करके सामान्य वर्ग के प्रति पाप करने का काम किया है. इसके साथ-साथ सीएम कमलनाथ ने पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण देने का जो वादा किया है उसे कोर्ट ने भी नकार दिया है. उन्होंने कहा कि 'कमलथाथ सरकार ने पिछड़े वर्ग के साथ बड़ा धोखा किया है'.

राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की नियत बिल्कुल साफ है. 10% आरक्षण को लेकर हम भी लंबे समय से आवाज उठा रहे थे, कि सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिलना चाहिए. केंद्र सरकार ने 10% आरक्षण कर दिया, पटेल ने का कि अगर हमारी नीयत साफ नहीं होती तो हम इसका विरोध करते, लेकिन हमने ईमानदारी से इसका समर्थन किया है. वहीं बीजेपी प्रदेश के ओबीसी वर्ग के 14% आरक्षण 27% किए जाने पर भाजपा चुप्पी साधे हुए हैं.


आरक्षण मुद्दे का चुनावी समीकरण
भारतीय जनता पार्टी वोट बैंक शुरु से ही सवर्ण वोट रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'माई के लाल' वाले बयान ने बीजेपी का मध्यप्रदेश में बड़ा नुकसान किया, पार्टी समीक्षा में सामने आया कि केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से एससी-एसटी एक्ट बिल के संबंध में जारी अध्यादेश के चलते सवर्ण वर्ग बीजेपी से नाराज चल रहा रहा था. वहीं लोकसभा चुनाव में ऐसी स्थिति ना बने इस बात को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने चुनाव के पहले गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने का ऐलान कर दिया. इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने अपनी राज्य सरकारों को ओबीसी वोट बैंक पर फोकस करने के निर्देश दिए है. जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने बड़ा दांव खेलते हुए मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का काम किया है. मध्यप्रदेश में 52% ओबीसी जनसंख्या है और कांग्रेस ने बीजेपी के सवर्ण आरक्षण के दांव पर ओबीसी आरक्षण के जरिए उसे कमजोर करने की कोशिश की है. अब दोनों दल अपने-अपने आरक्षण प्रावधानों के जरिए सवर्ण और ओबीसी वोटर्स को रिझाने का काम कर रहे हैं.

Intro:भोपाल। लोकसभा चुनाव के पहले दोनों प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी-अपनी सरकारों के जरिए दो बड़े दांव खेले हैं। एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार ने सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण का ऐलान कर बड़ा दांव खेला है।तो मप्र की कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 फ़ीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का काम किया है। हालांकि दोनों आरक्षण प्रावधान फिलहाल कानूनी दांव पेंच में उलझे हैं। लेकिन दोनों राजनीतिक दल इस व्यवस्था के जरिए अपने वोट बैंक को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। बीजेपी जहां सवर्णों से समर्थन मांग रही है, तो कांग्रेस मप्र में ओबीसी वोट बैंक के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें हथियाने की कोशिश में है।


Body:दरअसल सवर्ण वोट बैंक एक तरह से बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन नवंबर- दिसंबर 2018 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथ से मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे 3 राज्यों की सत्ता चली गई। समीक्षा में सामने आया कि केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से एससी एसटी बिल के संबंध में जारी अध्यादेश के कारण स्वर्ण तबका बीजेपी से नाराज था। लोकसभा में ऐसी स्थिति ना बने, इसको ध्यान रखते हुए मोदी सरकार ने चुनाव के पहले गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने का ऐलान कर दिया। इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने अपनी राज्य सरकारों को ओबीसी वोट बैंक पर फोकस करने के निर्देश दिए। जिसके चलते कमलनाथ सरकार ने बड़ा दांव खेलते हुए मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का काम किया। जहां तक मध्यप्रदेश की बात करें तो प्रदेश में 52% ओबीसी जनसंख्या है और कांग्रेसमें सवर्ण आरक्षण के बीजेपी के दांव को ओबीसी आरक्षण के जरिए कमजोर करने की कोशिश की है। अब दोनों दल अपने-अपने आरक्षण प्रावधानों के जरिए सवर्ण और ओबीसी वोटर्स को रिझाने का काम कर रहे हैं।


Conclusion:इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि पहले केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संविधान में संशोधन करके सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण सुनिश्चित करवाया, उसे मप्र में लागू ना करके सामान्य वर्ग के प्रति पाप करने का काम कमलनाथ और कांग्रेस की सरकार ने किया है। इसके अलावा जो पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का काम किया है, जिसमें कहीं कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। इसलिए कोर्ट ने उसे नकार दिया है। यानि पिछड़ा वर्ग के साथ धोखा और लगातार ठगी की गई है। आज तक किसी भी राज्य में कांग्रेस के शासनकाल में ओबीसी को 27% आरक्षण नसीब नहीं हो पाया है। दूसरी तरफ सामान्य वर्ग के आरक्षण को संविधान में संशोधन करके दिया गया था, कांग्रेस ने मप्र में सामान्य वर्ग को उससे वंचित करने का काम किया है। इसका पाप और खामियाजा आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भुगतना होगा, पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग इसका कांग्रेस को जवाब देंगे।

वहीं इस मामले में राज्य सभा सांसद और मप्र कांग्रेश के पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष राजमणि पटेल का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की नियत बिल्कुल साफ है। 10% आरक्षण को लेकर हम भी लंबे समय से आवाज उठा रहे थे कि सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिलना चाहिए। केंद्र सरकार ने 10% आरक्षण कर दिया, अगर हमारी नीयत साफ नहीं होती तो हम इसका विरोध करते, लेकिन हमने ईमानदारी से उसका समर्थन किया। क्योंकि हमारी मांग थी और हम चाहते थे कि ऐसा हो, इसलिए हमने उनके फैसले का समर्थन किया। लेकिन इनकी विचारधारा को देखिए कि हमारे ओबीसी वर्ग के 14% आरक्षण 27% किए जाने पर भाजपा चुप्पी साधे हुए हैं। उसने कभी नहीं कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अच्छा काम किया है। इससे ही पता चलता है कि बीजेपी पिछड़ा वर्ग की कितनी हितैषी है।
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