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विधानसभा-लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के मिजाज़ में होता है अंतर, जानिए क्या कहते हैं नेता - बीजेपी

लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत में काफी अंतर देखने को मिलता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में लोकसभा चुनाव के बढ़ते मतदान प्रतिशत ने कई भ्रांतियां तोड़ दी हैं.

चुनाव में मतदान प्रतिशत का खेल
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Published : May 18, 2019, 2:55 PM IST

भोपाल| चुनाव बदलते ही मतदाताओं का मिजाज भी बदल जाता है. विधानसभा में जीतने वाली पार्टी लोकसभा चुनाव में हार जाती है, लेकिन विधानसभा से लोकसभा तक सिर्फ मतदाताओं की पसंद नहीं बदलती है, बल्कि मतदान प्रतिशत में भी बड़ा अंतर दिखाई देता है.

चुनाव में मतदान प्रतिशत का खेल

2013 के चुनावों को ही देखें तो बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 44.88 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 5 माह बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट बैंक बढ़कर 54.03 परसेंट हो गया था, जबकि इसकी तुलना में कांग्रेस का वोट बैंक कम हो गया था. सपा का वोट बैंक 1.20 से बढ़कर 2.20 हो गया था, तो वहीं बहुजन समाज पार्टी के वोट इस दौरान काफी घट गए थे.

लोकसभा चुनाव 2014 में 2 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार 20 से अधिक सीट जीतना चाहती है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उसे कई क्षेत्रों में अच्छा खासा नुकसान भी हुआ है. यदि बात की जाए विंध्यक्षेत्र की, तो कांग्रेस को यहां बड़ा झटका लगा है, तो वहीं कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में भी भाजपा का वोट बैंक लगातार बढ़ा है. वहीं इसके उलट केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को फायदा हुआ था.

वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में निर्वाचन आयोग के मुताबिक पहले चरण में 74 प्रतिशत मतदान हुआ है. दूसरे चरण में 69 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि तीसरे चरण में 65 परसेंट वोटिंग हुई है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आखिरी चरण के मतदान प्रतिशत पता चलते ही ये भ्रांति खत्म हो जाएगी कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा के मुकाबले कम वोटिंग होती है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश शर्मा की मानें तो चुनाव आयोग के जागरूकता अभियानों और स्वीप गतिविधियों की वजह से प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. वहीं उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी भी लोगों से मतदान की अपील कर रहे हैं, निश्चित रूप से इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जेपी धनोपिया कहते हैं कि विधानसभा में राज्य की समस्याएं मुद्दा होती हैं, इसलिए जनता विधानसभा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है, लेकिन लोकसभा चुनाव में मुद्दे देश के होते हैं, इसलिए जनता मतदान में रुचि नहीं दिखाती है, इसलिए मतदान प्रतिशत में कमी देखी जाती है.

राजनीतिक विशेषज्ञ रमेश शर्मा की मानें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मत प्रतिशत में अंतर खासकर मध्यप्रदेश में इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी का जुड़ाव जनता से इतना ज्यादा नहीं हो पाता है जैसा जुड़ाव विधानसभा चुनाव के दौरान दिखाई देता है.

उन्होंने कहा कि पिछले दो चुनावों से ऐसी भ्रांतियां टूट रही हैं. मतदान के ज्यादा प्रतिशत ने सत्ताधारी दल को भी फायदा पहुंचाया है. आज के मतदाता ने पूरा गणित बदलकर रख दिया है, इसलिए ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि मतदान के बढ़ने से किसे फायदा होगा.

भोपाल| चुनाव बदलते ही मतदाताओं का मिजाज भी बदल जाता है. विधानसभा में जीतने वाली पार्टी लोकसभा चुनाव में हार जाती है, लेकिन विधानसभा से लोकसभा तक सिर्फ मतदाताओं की पसंद नहीं बदलती है, बल्कि मतदान प्रतिशत में भी बड़ा अंतर दिखाई देता है.

चुनाव में मतदान प्रतिशत का खेल

2013 के चुनावों को ही देखें तो बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 44.88 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 5 माह बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट बैंक बढ़कर 54.03 परसेंट हो गया था, जबकि इसकी तुलना में कांग्रेस का वोट बैंक कम हो गया था. सपा का वोट बैंक 1.20 से बढ़कर 2.20 हो गया था, तो वहीं बहुजन समाज पार्टी के वोट इस दौरान काफी घट गए थे.

लोकसभा चुनाव 2014 में 2 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार 20 से अधिक सीट जीतना चाहती है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उसे कई क्षेत्रों में अच्छा खासा नुकसान भी हुआ है. यदि बात की जाए विंध्यक्षेत्र की, तो कांग्रेस को यहां बड़ा झटका लगा है, तो वहीं कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में भी भाजपा का वोट बैंक लगातार बढ़ा है. वहीं इसके उलट केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को फायदा हुआ था.

वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में निर्वाचन आयोग के मुताबिक पहले चरण में 74 प्रतिशत मतदान हुआ है. दूसरे चरण में 69 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि तीसरे चरण में 65 परसेंट वोटिंग हुई है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आखिरी चरण के मतदान प्रतिशत पता चलते ही ये भ्रांति खत्म हो जाएगी कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा के मुकाबले कम वोटिंग होती है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश शर्मा की मानें तो चुनाव आयोग के जागरूकता अभियानों और स्वीप गतिविधियों की वजह से प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. वहीं उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी भी लोगों से मतदान की अपील कर रहे हैं, निश्चित रूप से इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जेपी धनोपिया कहते हैं कि विधानसभा में राज्य की समस्याएं मुद्दा होती हैं, इसलिए जनता विधानसभा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है, लेकिन लोकसभा चुनाव में मुद्दे देश के होते हैं, इसलिए जनता मतदान में रुचि नहीं दिखाती है, इसलिए मतदान प्रतिशत में कमी देखी जाती है.

राजनीतिक विशेषज्ञ रमेश शर्मा की मानें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मत प्रतिशत में अंतर खासकर मध्यप्रदेश में इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी का जुड़ाव जनता से इतना ज्यादा नहीं हो पाता है जैसा जुड़ाव विधानसभा चुनाव के दौरान दिखाई देता है.

उन्होंने कहा कि पिछले दो चुनावों से ऐसी भ्रांतियां टूट रही हैं. मतदान के ज्यादा प्रतिशत ने सत्ताधारी दल को भी फायदा पहुंचाया है. आज के मतदाता ने पूरा गणित बदलकर रख दिया है, इसलिए ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि मतदान के बढ़ने से किसे फायदा होगा.

Intro: (स्पेशल स्टोरी )

नोट = यह खबर पहले भेजी गई थी लेकिन किसी कारणवश लग नहीं पाई थी डेक्स पर बात की थी उन्होंने दोबारा भेजने के लिए कहा था कृपया लगाने का कष्ट करें .

मध्यप्रदेश में कुछ महीनों के अंतराल में ही बदल जाता है वोटर का मिजाज


भोपाल | मध्य प्रदेश के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मतदाताओं का मिजाज महज कुछ महीनों में ही बदल जाता है जहां एक तरफ विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं के द्वारा जिस दल के प्रत्याशी को चुना जाता है वही लोकसभा चुनाव में उसी दल के प्रत्याशी को हार का मजा भी चखना पड़ता है विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा को 44.88 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन 5 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट बैंक बढ़कर 54.0 3 फ़ीसदी हो गया था जबकि इसकी तुलना में कांग्रेस का वोट बैंक कम हो गया था .


समाजवादी पार्टी का वोट बैंक 1.20 से बढ़कर 2.20 हो गया था जबकि बहुजन समाज पार्टी के वोट इस दौरान काफी घट गए थे लोकसभा चुनाव 2014 में 2 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार 20 से अधिक सीट जीतना चाहती है लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उसे कई क्षेत्रों में अच्छा खासा नुकसान भी हुआ है यदि बात की जाए विंध्य क्षेत्र की तो कांग्रेस को यह बड़ा झटका लगा है तो वहीं कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में भी भाजपा का वोट बैंक लगातार बढ़ा है वहीं इसके उलट केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के क्षेत्र में कांग्रेस विधानसभा चुनाव के दौरान लाभ में रही है .

वहीं लोक सभा निर्वाचन 2019 के तहत मध्य प्रदेश में हुए प्रथम चरण के मतदान में 74 प्रतिशत मतदान संपन्न हुआ था इस प्रथम चरण में सीधी शहडोल जबलपुर मंडला बालाघाट और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में मतदान प्रक्रिया हुई थी वही द्वितीय चरण में 69 प्रतिशत मतदान हुआ था इसमें दमोह टीकमगढ़ खजुराहो सतना रीवा होशंगाबाद और बेतूल संसदीय क्षेत्र शामिल थे. वहीं मध्य प्रदेश में तृतीय चरण में संपन्न हुए मतदान में 65 प्रतिशत मतदान हुआ था इसमें भोपाल विदिशा गुना सागर राजगढ़ मुरैना ग्वालियर भिंड संसदीय क्षेत्र शामिल थे . अब आखरी चतुर्थ चरण का मतदान संपन्न होना है इसके बाद ही मध्य प्रदेश की सही तस्वीर सामने आ सकेगी कि इस बार पूरे मध्यप्रदेश में कितने प्रतिशत मतदान हुआ है हालांकि उम्मीद की जा रही है कि इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ रहा है .


Body:यदि दलों की स्थिति के बारे में बात की जाए तो कुछ वर्षों का मत प्रतिशत भी यही दर्शाता है कि कुछ महीनों के बाद ही मतदाता का मिजाज बदल जाता है .

विधानसभा 2013 में भाजपा को 44. 88 प्रतिशत मत मिले थे तो वहीं कांग्रेस को 36 .38 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे इसी दौरान बहुजन समाज पार्टी को 06 .29 तो वहीं समाजवादी पार्टी को 01. 20 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे .

वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी को 54.3 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे वहीं कांग्रेस को 33.98 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे इस दौरान बहुजन समाज पार्टी को 03.79 प्रतिशत मत मिले थे तो समाजवादी पार्टी को 2. 20 प्रतिशत भूत प्राप्त हुए थे .


लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी को 41.02 प्रतिशत मत प्राप्त हुआ था तो वहीं कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे वहीं बहुजन समाज पार्टी को जीरो 05.01 प्रतिशत और समाजवादी पार्टी को 01.30 प्रतिशत मतदाताओं का मत प्राप्त हुआ था .

अब ऐसे ही में कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मतदाताओं का मिजाज कुछ ही महीने में बदल जाता है ऐसा माना जाता है कि यदि मत का प्रतिशत ज्यादा हो जाए तो सत्ताधारी दल को नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन जानकार कहते हैं कि अब यह गणित लगातार बदलता जा रहा है और यदि मत का प्रतिशत बढ़ता है तो इससे सत्ताधारी दल को भी फायदा होता दिखाई दिया है इसलिए आज अनुमान नहीं लगाया जा सकता है .


Conclusion:इस पूरे मामले पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश शर्मा का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान जो मत प्रतिशत रहता था वह लोकसभा चुनाव में दिखाई नहीं देता था और ऐसा कई चुनाव में देखा गया है लेकिन पिछले कुछ समय से लगातार चुनाव आयोग के द्वारा लगातार जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं और इसके साथ ही प्रधानमंत्री के द्वारा भी लोगों से अपील की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में बाहर निकल कर सभी लोग अपने मत का प्रयोग जरूर करें जिसका असर निश्चित रूप से दिखाई देने लगा है हमें पूरा विश्वास है कि यह जो एक भ्रांति है कि विधानसभा में मत ज्यादा पढ़ते हैं और लोकसभा में मतदान कम संख्या में होता है इस बार यह भ्रांति टूट जाएगी इस बार लोकसभा में भी अच्छा मत प्रतिशत देखने को मिलेगा क्योंकि अब लोगों में मतदान के प्रति जागरूकता दिखाई देने लगी है .


कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि हमारे देश में एक संघीय ढांचा है जब चुनाव होते हैं तो बाढ़ से लेकर लोकसभा तक के चुनाव होते हैं और चुनाव जितना नीचे होता जाता है उतना जनसंपर्क के आधार पर वोट प्रतिशत भी बढ़ता जाता है विधानसभा का जो चुनाव होता है वह प्रदेश की समस्याओं को लेकर होता है इसमें लोगों का उत्साह कुछ ज्यादा ही दिखाई देता है लेकिन लोकसभा का चुनाव पूरे राष्ट्र का होता है और जब देश की बात होती है कि हमारे देश में किस तरह की सरकार होनी चाहिए लेकिन इस चुनाव में लोगों से इतना अच्छा संबंध स्थापित नहीं हो पाता है इसी लिए लोकसभा में मत प्रतिशत विधानसभा की तुलना में कम होता है लेकिन अभी कुछ समय में देखने में आया है कि मत प्रतिशत बढ़ने लगा है उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा चुनाव में मत का प्रतिशत बढ़ जाए तो निश्चित रूप से जो वर्तमान में सरकार होती है अक्सर उसके खिलाफ ही मत पड़ता है .


राजनीतिक विशेषज्ञ रमेश शर्मा का कहना है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मत प्रतिशत में अंतर खासकर के मध्य प्रदेश में इसलिए दिखाई देता है क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी का जोड़ा हो जनता से इतना ज्यादा नहीं हो पाता है लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी का जनता से सीधा जुड़ाव होता है इस दौरान वह ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलता है क्योंकि विधानसभा का क्षेत्र काफी छोटा होता है और वह ज्यादा से ज्यादा संख्या में जन संपर्क करता है यदि देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में प्रतिशत कम दिखाई देता है लेकिन विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ जाता है तो वही नगर निगम के चुनाव के दौरान यह मत प्रतिशत और भी ज्यादा बढ़ जाता है जैसे जैसे उम्मीदवार जनता के करीब का होता है मतदान का प्रतिशत हमेशा बढ़ता है उन्होंने कहा कि एक समय यह स्थिति जरूर थी कि यदि मतदान का प्रतिशत बढ़ता है तो इसका सीधा फायदा विपक्ष को मिलता है लेकिन पिछले दो चुनावों से यह भ्रांतियां टूट रही है मतदान के ज्यादा प्रतिशत ने सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाया है आज के मतदाता ने पूरे गणित पूरी तरह से बदल कर रख दिए हैं इसीलिए आज यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि यदि मतदान बढ़ता है तो इस से किसे फायदा होने वाला है .

19 मई को आखिरी चरण के मतदान के बाद 23 मई को मतगणना की जाएगी और इसी दिन यह भी बात सामने आ जाएगी कि मतदान का प्रतिशत यदि बढ़ता है तो किस राजनीतिक दल को फायदा पहुंचता है .
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