भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता उमा भारती अपने बेबाक बयानों के लिए जानी जाती हैं. जिस तरह से कोविड से लोगों की मौतें हो रही है और जो अवस्थाएं फैली हैं, उमा ने इसके लिए बढ़ते निजीकरण को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही उन्होंने सरकारी लचर व्यवस्था को दोषपूर्ण माना है. बीजेपी नेता ने सीधे तौर पर सरकार को आईना दिखाने की कोशिश की है. उन्होंने ट्वीट के जरिए स्वास्थ्य, शिक्षा के बढ़ते निजीकरण पर निशाना साधा है. उनका मानना है यही वजह है कि गरीब और ज्यादा परेशान हो गया है. वरिष्ठ नेता ने सीधे तौर पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों को कटघरे में खड़ा किया है.
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5. फिर अचानक शिक्षा एवं स्वास्थ्य का व्यवसायीकरण शुरू हुआ इनके माध्यम से पैसे कमाने की होड़ शुरू हुई। निर्लज्जता एवं अमानवीयता के साथ फीसें वसूली जाने लगी तथा धीरे-धीरे कई राज्यों में सरकारी अस्पताल एवं सरकारी स्कूलों का स्तर गिरा।
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गरीब के पास नहीं बचा कोई विकल्प
बीजेपी की वरिष्ठ नेता ने कहा, अस्पताल और स्कूलों के लिए आया पैसा भवनों में खर्च कर दिया जाता है. जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य की क्वालिटी गिर जाती है. उमा ने कहा कि अब गरीब के पास कोई विकल्प नहीं है. मुश्किल से अपना पेट भरने वाला गरीब, अब प्राइवेट स्कूल की फीस देने को मजबूर है. क्योंकि ऐसा होने से वह वर्ग सरकारी योजनाओं से वंचित हो गया है. इतना नहीं पूर्व सीएम ने कहा, कि अभी वर्तमान में जो हालात बने हैं. जिसमें लोगों को अपने घर, अपने जेवर और जमीन बेचकर प्रियजनों की जान बचाने के लिए, प्राइवेट अस्पतालों का बिल भरना पड़ रहा है.
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6. पेट भरने के लायक कमाई करने वाले लोगों को भी प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा अभाव ग्रस्त तथा दीन दरिद्र लोग सरकारी सुविधाओं से वंचित हो गए उन्हें अपने प्रियजनों की जान बचाने के लिए जेवर, जमीनें तथा घर बेचकर प्राइवेट अस्पतालों के बिल देने पड़े।
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वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह के निधन पर CM शिवराज ने दी श्रद्धांजलि
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7. अब तो भारत के बहुत सारे राज्यों में सरकारी अस्पताल एवं सरकारी स्कूलों के लिए आया हुआ सारा पैसा सिर्फ भवनों को बनाने में खर्च होता है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य की क्वालिटी सेवा का अस्तित्व ही गिर गया जिसमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य भी हैं।@CMMadhyaPradesh @UPGovt
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उमा भारती का ट्वीट
सरकारी अस्पताल और सरकारी स्कूलों के लिए आया पैसा भवनों को बनाने ने खर्च होता है. शिक्षा और स्वास्थ्य की क्वालिटी सेवा का अस्तित्व ही गिर गया. ट्वीट में
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का जिक्र किया गया है. मुश्किल से पेट भरने वालों के सामने भी अब प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. गरीब सरकारी योजनाओं से वंचित हो गए हैं, उन्हें अपनी प्रियजनों की जान बचाने के लिये जेवर जमीन घर बेचकर प्राइवेट अस्पतालों का बिल भरना पड़ रहा है.
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जब मैं @narendramodi जी के साथ 5 साल मंत्री रही तो उस समय पर जो भी आर्थिक सुधारों का निर्णय हुआ उसमें मैंने हमेशा प्रधानमंत्री जी से यही अनुरोध किया कि इससे जो भी मुनाफा आवे वह शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सरकारी सेवाओं पर खर्च कर दीजिए। @PMOIndia
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उमा को उम्मीद
उमा भारती ने कोविड का हवाला देते हुए उम्मीद जताई है कि शायद इस संकट काल में अपनी भूल सुधार सकें और स्वास्थ्य की सरकारी सेवाओं को गरीबों के लिये बना सके. उमा भारती ने यह भी कहा कि जब वह मोदी सरकार में 5 साल मंत्री थी तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमेशा यही कहा था कि आर्थिक सुधारों से जो मुनाफा हो रहा है, उसका पैसा स्वास्थ्य और शिक्षा की सरकारी सेवाओं पर खर्च किया जाए.
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8. शायद इस कोरोना के गहराते संकट काल में ही हम अपनी भूल सुधारने के लिए विवश हो जाएं एवं स्वास्थ्य की सरकारी सेवाओं को गरीबोन्मुखी कर सकें। @BJP4India @BJP4MP @BJYM @BJP4UP @drharshvardhan @nsitharaman @DrRPNishank @ChouhanShivraj @myogiadityanath
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