भोपाल। अस्पताल में दूसरे शहर से आए मरीजों के लिए उनके परिवार, रिश्तेदार खाने-पीने का इंतजाम कर देते हैं, लेकिन बाहर से आने वाले कई मरीज ऐसे होते हैं. जिनका शहर में कोई नहीं होता है. उनके लिए सुबह खाने-पीने का इंतजाम मुश्किल होता जा रहा है. कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण सभी दुकानें और होटल बंद होने से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. मरिजों के परिजन दिनभर भुखे रहकर अस्पताल के बाहर अपनों के ठीक होने का इंतजार करते है.
- परिजनों को नहीं मिलता खाना
सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं तो बेहतर हैं, लेकिन बड़ी परेशानी यहां बाहर से आने वाले मरीज और उनके परिजनों को हो रही है. परिजनों के लिए खाने की चीजों का इंतजाम नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अस्पताल के पास कोई ऐसा होटल नहीं है जो सुबह खुलता है. बाजार खुलने पर खाने का सामान मिल सकता है, लेकिन बाजार इन दिनों पूरी तरह से बंद हैं. ऐसे में उन मरीजों और परिजनों को भूखा रहना पड़ता है, जो बाहर से आए हैं और यहां उनका कोई परिचित नहीं है.
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- चाय और बिस्किट के अलावा कुछ नहीं मिलता
हरदा से आए दिनेश ने बताया कि उनका बच्चा एम्स में भर्ती है. दो महीने में उसे दो बार यहां भर्ती किया गया है. वह कोविड का मरीज नहीं है. दिनेश के मुताबिक मरीज को अस्पताल के अंदर खाने की व्यवस्था रहती है, लेकिन उनके परिजनों को पर्याप्त खाना नहीं मिल पाता है. वहीं इटारसी के पंकज उपाध्याय ने बताया कि उनके पिताजी भर्ती है. अस्पताल के बाहर खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. कभी कैंटीन खुलती है तो चाय और बिस्किट मिल जाती है, नहीं तो पूरा दिन ऐसा ही काटना पड़ता है.
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- कोरोना के डर से नहीं आते लोग
सरकारी अस्पतालों में तो कुछ सामाजिक संगठन और संस्थाएं सुबह-शाम आकर मरीजों के परिजनों को खाना वितरित करती हैं, लेकिन अधिकतर निजी अस्पतालों में कोरोना कर्फ्यू के चलते होटल आदि बंद होने के कारण खाने की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रहे है. मरीज के परिजन राजू मीणा का कहना है कि कोरोना के डर के कारण भी कोई नहीं आता है. व्यवस्थाएं न के बराबर हैं.