भोपाल। प्रदेश मे एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए पिछले साल जुलाई में स्वास्थ्य विभाग की ओर से एएमआर प्लान लाया गया. इस प्लान के तहत सबसे महत्वपूर्ण ये है कि, पशुओं में एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल को रोका जाएं, 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान में ये बात सामने आई थी कि, डेरी प्रोडक्ट और पशुओं में एंटीबायोटिक का काफी मात्रा में उपयोग किया जा रहा है. इसे कम करने के लिए, आज प्रदेश के लगभग सभी जिलों के पशुचिकित्सकों के लिए खास ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया.
जानवरों और पोल्ट्री फॉर्म के खाद्य पदार्थों में रखी जाएगी नजर
इस प्लान के तहत स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ पंकज शुक्ला ने बताया कि, एक्शन प्लान के तहत अब हर जिले में एक नोडल ऑफिसर बनाया जाएगा, जो जिला वेटरनरी अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर होंगे, जो यह देखेंगे कि, पूरे जिले में पशुओं और जानवरों में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग ना हो, इसके साथ ही एंटीबायोटिक जानवरों और पोल्ट्री फॉर्म के खाद्य पदार्थों में ना मिलाई जाए और इस पर नजर रखी जाएगी. वही राज्य स्तर पर 10 वेटनरी लैब बनाए जाएंगे, जिसमें किस बीमारी के लिए कौन सी एंटीबायोटिक उपयोग होनी चाहिए और किस का रेजिस्टेंस कितना आ रहा है, इस पर भी नजर रखी जाएगी और एक स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट गाइडलाइन भी बनाई जाएगी.
पोल्ट्री फॉर्म और डेयरी फॉर्म की जाएगी रजिस्ट्रेशन और जियो टैगिंग
स्वास्थ्य विभाग के अलावा पशुपालन विभाग की ओर से भी यह बात रखी गई है कि, जितने भी फॉर्म है चाहे वे पोल्ट्री फॉर्म हो या डेयरी फॉर्म ,सबका रजिस्ट्रेशन और उनकी जियो टैगिंग किया जाए और उसके बाद किसानों को जागरूक किया जाए की, एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल से क्या-क्या नुकसान हैं और एंटीबायोटिक को इस्तेमाल ना करें.
60 से 70 फ़ीसदी एंटीबायोटिक का हो रहा है इस्तमाल
देखा गया है कि, मुर्गियों के आहार और पशुओं के इलाज में लगभग 60 से 70 फ़ीसदी एंटीबायोटिक इस्तेमाल हो रही हैं, जो कि दूध और मांस के जरिए इंसान के शरीर में पहुंच रही हैं, जिससे उनमें इन दवाओं का असर कम होता जा रहा है. इसे रोकने के लिए ही, अब वेटनरी क्षेत्र की ओर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. बता दें कि, मध्य प्रदेश भारत में केरल के बाद दूसरा ऐसा राज्य है, जहां इस प्लान को लाया गया है.