हैदराबाद। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva Fast) की पूजा से जुड़ा है. इसे प्रदोषम् नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती (Mata Parvati) के साथ शनि देव (Lord Shani Dev) की पूजा करना उत्तम होता है. मास के हर त्रयोदशी तिथि (Triodashi Tithi) को प्रदोष व्रत रखा जाता है. परंतु जब भी यह प्रदोष व्रत अर्थात त्रयोदशी तिथि शनिवार को पड़ती है, तो उसे शनि प्रदोष कहते हैं. शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) शिव उपासना के महत्व और अधिक बढ़ा देता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि विधि-विधान के साथ जब शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2021) किया जाता है, तो श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
माह में दो बार आता है प्रदोष व्रत
पंचांग (2021 Panchang) के अनुसार हर माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं. संयोग से भाद्रपद मास का दोनों प्रदोष व्रत शनि प्रदोष हैं. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत भी चार सितंबर शनिवार को पड़ा था और अब इसका दूसरा या अंतिम प्रदोष व्रत 18 सितंबर दिन शनिवार को पड़ रहा है. माह में दो शनि प्रदोष व्रत का होना अपने आप में एक बड़ा संयोग है. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना उत्तम होती है और प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है.
शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
- शनि शुक्ल प्रदोष व्रत : 18 सितंबर 2021, शनिवार
- त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ : 18 सितंबर, सुबह 06:54 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त : 19 सितंबर, सुबह 05:59 बजे
- प्रदोष पूजा मुहूर्त : 18 सितंबर, शाम 06:23 बजे से 08:44 बजे तक
- अवधि - 02 घण्टे 21 मिनट
प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह-सुबह स्नान करें और व्रत करने का संकल्प लें.
- इस दिन भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा अर्चना करें.
- पूजा में भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र, चंदन, फूल, अर्पित करना चाहिए.
- इन सभी चीजों को अर्पित करने के बाद शिवाष्टक या शिव चालीसा पढ़ें.
- इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और मन ही मन उनका ध्यान लगाएं.
- भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें.
- सुहागिन महिलाएं सुहाग का समान यानी 16 श्रृंगार की चीजें माता पार्वती को अर्पित करें.
- इसके साथ ही माता पार्वती को भी भोग लगाएं.
- आरती करने के बाद क्षमा प्रार्थना के साथ हाथ जोड़कर प्रणाम कर पूजा खत्म करें.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Shani Pradosh Vrat ka Mahtav)
प्रदोष का हिंदी अर्थ ‘रात का पहला भाग’ होता है. इस दिन की पूजा संध्याकाल में ही की जाती है. भक्तों का ऐसा मानना है कि प्रदोष के दिन देवी पार्वती के साथ भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. अगर भक्त उपवास करेंगे और उनका आशीर्वाद लेंगे, तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी. मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है. जिन लोगों की संतान नहीं होती है उन्हें ज्योतिष प्रदोष व्रत रखने की सलाह देते हैं. इस व्रत को रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है. अगर आपके वैवाहिक जीवन (Marital Life) में समस्या चल रही है, तो इस व्रत को रखने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है.
शनि देवता सभी को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. जब किसी की कुंडली में शनि दोष होता है तो उसके जीवन में कई तरह की परेशानियां होती है. ऐसे लोगों को शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, शनि देव शिव भक्तों को परेशान नहीं करते हैं.