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सरकारी स्कूलों में लगातार कम हो रहे बच्चे, शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही है. जिसके लिए प्रशासन का कहना है कि वे हर संभव कोशिश कर रही है कि बच्चों का पलायन न हो, जिसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान चलाया जा रहा है.

सरकारी स्कूलों से नाता तोड़ रहे अभिभावक
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Published : Nov 10, 2019, 11:58 PM IST

भोपाल। सरकार द्वारा बच्चों को मुफ्त शिक्षा और खाने की सुविधा देने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है. प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी सरकारी स्कूलों के बच्चों का पलायन तेजी से बढ़ रहा है. ये हम नहीं बल्कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा चलाए जा रहे शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान के रिपार्ट में सामने आई है. यही वजह है कि बच्चों का बचपन शिक्षा से दूर होतै जा रहा है. राज्य शिक्षा के रिपोर्ट के अनुसार अब तक प्रदेश के करीब डेढ़ लाख बच्चें पलायन कर चुके हैं, जो चिंताजनक है. वहीं प्रदेश सरकार शिक्षकों की कमी के साथ डाटा रिकॉर्ड में दर्ज बच्चों की भी तलाश कर रही है, लेकिन अब देखना ये होगा कि शिक्षा विभाग इसमें कितना सफल हो पाता है.

सरकारी स्कूलों से नाता तोड़ रहे अभिभावक

मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में हर बच्चे को स्कूलों से जोड़ने की हर स्तर पर कोशिश कर रही है, लेकिन बच्चों का पलायन नहीं रुक रहा है. अभिभावक भी अपने बच्चों का नाम सरकारी स्कूलों से कटा कर प्राइवेट स्कूलों एडमिशन करा रहे है. ये हम नहीं खुद शिक्षा विभाग के आंकड़े बता रहे है. राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की स्थिति को जानने के लिए शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान चलाया जा रहा है, जिसके माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग घर-घर जाकर बच्चों के स्कूली एडमिशन की जानकारी ले रहे है. इस अभियान के तहत अब तक किए गए सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है, जिनमें लगभग 1.50 लाख बच्चे है जिनका परिवार पलायन कर चुका है. जिसके चलते बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हो गए है.

वहीं इस मामले में जब स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों का पलायन करना चिंताजनक है, फिलहाल सरकार इसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. वहीं बच्चों के अधिकार के लिए काम कर रहे बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने बताया कि पलायन को रोकने के लिए आयोग अपना काम कर रहा है.

शिक्षा विभाग भले ही दावे करता हो की सरकारी स्कूलों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है, लेकिन बच्चों को ड्रेस, भोजन, किताबें और अन्य वस्तुओं के मुफ्त दिए जाने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है. सच्चाई ये है कि प्राथमिक स्कूलों में जो शिक्षा का स्तर होना चाहिए और जो सुविधाएं बच्चों को मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है, यहीं कारण है कि छोटे-छोटे स्तर पर खोले गए निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है और अभिभावक सरकारी स्कूलों से नाता तोड़ते जा रहे है.

भोपाल। सरकार द्वारा बच्चों को मुफ्त शिक्षा और खाने की सुविधा देने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है. प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी सरकारी स्कूलों के बच्चों का पलायन तेजी से बढ़ रहा है. ये हम नहीं बल्कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा चलाए जा रहे शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान के रिपार्ट में सामने आई है. यही वजह है कि बच्चों का बचपन शिक्षा से दूर होतै जा रहा है. राज्य शिक्षा के रिपोर्ट के अनुसार अब तक प्रदेश के करीब डेढ़ लाख बच्चें पलायन कर चुके हैं, जो चिंताजनक है. वहीं प्रदेश सरकार शिक्षकों की कमी के साथ डाटा रिकॉर्ड में दर्ज बच्चों की भी तलाश कर रही है, लेकिन अब देखना ये होगा कि शिक्षा विभाग इसमें कितना सफल हो पाता है.

सरकारी स्कूलों से नाता तोड़ रहे अभिभावक

मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में हर बच्चे को स्कूलों से जोड़ने की हर स्तर पर कोशिश कर रही है, लेकिन बच्चों का पलायन नहीं रुक रहा है. अभिभावक भी अपने बच्चों का नाम सरकारी स्कूलों से कटा कर प्राइवेट स्कूलों एडमिशन करा रहे है. ये हम नहीं खुद शिक्षा विभाग के आंकड़े बता रहे है. राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की स्थिति को जानने के लिए शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान चलाया जा रहा है, जिसके माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग घर-घर जाकर बच्चों के स्कूली एडमिशन की जानकारी ले रहे है. इस अभियान के तहत अब तक किए गए सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है, जिनमें लगभग 1.50 लाख बच्चे है जिनका परिवार पलायन कर चुका है. जिसके चलते बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हो गए है.

वहीं इस मामले में जब स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों का पलायन करना चिंताजनक है, फिलहाल सरकार इसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. वहीं बच्चों के अधिकार के लिए काम कर रहे बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने बताया कि पलायन को रोकने के लिए आयोग अपना काम कर रहा है.

शिक्षा विभाग भले ही दावे करता हो की सरकारी स्कूलों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है, लेकिन बच्चों को ड्रेस, भोजन, किताबें और अन्य वस्तुओं के मुफ्त दिए जाने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है. सच्चाई ये है कि प्राथमिक स्कूलों में जो शिक्षा का स्तर होना चाहिए और जो सुविधाएं बच्चों को मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है, यहीं कारण है कि छोटे-छोटे स्तर पर खोले गए निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है और अभिभावक सरकारी स्कूलों से नाता तोड़ते जा रहे है.

Intro:प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी शासकीय स्कूलों के बच्चों का पलायन तेजी से बढ़ रहा है यही वजह है कि बच्चों का बचपन शिक्षा से दूर होता जा रहा है राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा चलाए जा रहे शाला प्रवेश ग्रह संपर्क अभियान में आई रिपोर्ट में सामने आया है कि अभी तक प्रदेश के करीब डेढ़ लाख बच्चे पलायन कर चुके हैं जो चिंताजनक है प्रदेश सरकार शिक्षकों की कमी के साथ अब समग्र डाटा रिकॉर्ड में दर्ज बच्चों की भी तलाश कर रही है लेकिन अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इसमें कितना सफल हो पाता है


Body:मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में हर बच्चे को स्कूलों से जोड़ने का हर स्तर पर प्रयास कर रही है लेकिन बावजूद इसके बच्चों का पलायन नहीं रुक रहा है यह हम नहीं खुद शिक्षा विभाग के आंकड़े बता रहे हैं राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रदेश के शासकीय स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों की स्थिति को जानने के लिए शाला प्रवेश ग्रह संपर्क अभियान चलाया जा रहा है जिसके माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग घर-घर जाकर बच्चों के स्कूली प्रवेश की जानकारी ले रहा है अभी तक किए गए सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जिसमें 1 लाख 49 हज़ार 161 ऐसे बच्चे हैं जिनका परिवार पलायन कर चुका है जिसके चलते ऐसे बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हो गए हैं,

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा हासिल करने के लिए बच्चों ने एडमिशन तो कराये लेकिन वह बच्चे भी अब स्कूल से दूर है जिनकी अब तलाश की जा रही है वहीं जब इस मामले को लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों का पलायन करना चिंताजनक है हालांकि सरकार इसे रोकने के लिए प्रयास कर रही है

वहीं बच्चों के अधिकार के लिए काम कर रहे बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने बताया कि पलायन को रोकने के लिए आयोग अपना काम कर रहा है

बाइट- बृजेश चौहान, बाल आयोग सदस्य
बाइट- डॉक्टर प्रभु राम चौधरी, स्कूल शिक्षा मंत्री


Conclusion:मध्य प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी प्रदेश के स्कूलों में तेजी से पलायन हो रहा है सरकारी स्कूलों में ड्रेस भोजन किताबें और वस्तुओं के मुफ्त दिए जाने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में कमी आ रही है वहीं छोटे से छोटे स्तर पर गली मोहल्ले में खोले गए निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है संसाधन और पढ़ाई की गुणवत्ता की वजह से यह बड़ा अंतर देखा जा रहा है
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