भोपाल। सरकार द्वारा बच्चों को मुफ्त शिक्षा और खाने की सुविधा देने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है. प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी सरकारी स्कूलों के बच्चों का पलायन तेजी से बढ़ रहा है. ये हम नहीं बल्कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा चलाए जा रहे शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान के रिपार्ट में सामने आई है. यही वजह है कि बच्चों का बचपन शिक्षा से दूर होतै जा रहा है. राज्य शिक्षा के रिपोर्ट के अनुसार अब तक प्रदेश के करीब डेढ़ लाख बच्चें पलायन कर चुके हैं, जो चिंताजनक है. वहीं प्रदेश सरकार शिक्षकों की कमी के साथ डाटा रिकॉर्ड में दर्ज बच्चों की भी तलाश कर रही है, लेकिन अब देखना ये होगा कि शिक्षा विभाग इसमें कितना सफल हो पाता है.
मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में हर बच्चे को स्कूलों से जोड़ने की हर स्तर पर कोशिश कर रही है, लेकिन बच्चों का पलायन नहीं रुक रहा है. अभिभावक भी अपने बच्चों का नाम सरकारी स्कूलों से कटा कर प्राइवेट स्कूलों एडमिशन करा रहे है. ये हम नहीं खुद शिक्षा विभाग के आंकड़े बता रहे है. राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की स्थिति को जानने के लिए शाला प्रवेश गृह संपर्क अभियान चलाया जा रहा है, जिसके माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग घर-घर जाकर बच्चों के स्कूली एडमिशन की जानकारी ले रहे है. इस अभियान के तहत अब तक किए गए सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है, जिनमें लगभग 1.50 लाख बच्चे है जिनका परिवार पलायन कर चुका है. जिसके चलते बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हो गए है.
वहीं इस मामले में जब स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों का पलायन करना चिंताजनक है, फिलहाल सरकार इसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. वहीं बच्चों के अधिकार के लिए काम कर रहे बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने बताया कि पलायन को रोकने के लिए आयोग अपना काम कर रहा है.
शिक्षा विभाग भले ही दावे करता हो की सरकारी स्कूलों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है, लेकिन बच्चों को ड्रेस, भोजन, किताबें और अन्य वस्तुओं के मुफ्त दिए जाने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है. सच्चाई ये है कि प्राथमिक स्कूलों में जो शिक्षा का स्तर होना चाहिए और जो सुविधाएं बच्चों को मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है, यहीं कारण है कि छोटे-छोटे स्तर पर खोले गए निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है और अभिभावक सरकारी स्कूलों से नाता तोड़ते जा रहे है.