भोपाल। इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है, यह स्थिति 100 साल बाद बनी हैं. धनतेरस के पर्व को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री का कहना है कि इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है. शुक्रवार के दिन धनतेरस का आना अपने आप में महत्वपूर्ण हैं.
प्रदोष महापर्व पर धनतेरस का आना सिद्धि दायक है क्योंकि प्रदेश व्यापिनी धनतेरस की पूजा की जाती है. इस दिन समुद्र मंथन के माध्यम से भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की विशेष परंपरा है. सोना, चांदी, तांबा, पीतल की मूर्ति और बर्तन इस दिन खरीदे जाते हैं. इससे घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है.
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि धन की देवी माता महालक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरी का विशेष पर्व है. साथ ही इस दिन यम देवता के लिए शाम के समय दक्षिण दिशा में दीपदान किया जाता है. धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना चाहिए या फिर सोने, चांदी, तांबे, पीतल की मूर्तियां खरीद सकते हैं या फिर कोई गृह उपयोगी वस्तु क्रय करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
धनतेरस के जो शुभ मुहूर्त है, वह शाम 4:30 से 6:30 बजे तक हैं. उसके बाद वृषभ नामक लग्न में शाम 7:00 बजे से 9:00 बजे तक रहेंगे. इसी दौरान प्रदोष काल में पूजा-अर्चना और खरीदारी करना उत्तम फलदाई होता है.