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विशेष संयोग में आया है धनतेरस का पर्व, 100 साल बाद बन रहे हैं ऐसे महासंयोग

इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग पर है वह 100 साल बाद आया है. यह बेहद खास और फलदायी है. इस दिन सोना, चांदी, तांबा, पीतल के मूर्ति और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है.

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Published : Oct 25, 2019, 4:52 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 5:29 PM IST

विशेष संयोग में आया है धनतेरस का पर्व

भोपाल। इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है, यह स्थिति 100 साल बाद बनी हैं. धनतेरस के पर्व को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री का कहना है कि इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है. शुक्रवार के दिन धनतेरस का आना अपने आप में महत्वपूर्ण हैं.


प्रदोष महापर्व पर धनतेरस का आना सिद्धि दायक है क्योंकि प्रदेश व्यापिनी धनतेरस की पूजा की जाती है. इस दिन समुद्र मंथन के माध्यम से भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की विशेष परंपरा है. सोना, चांदी, तांबा, पीतल की मूर्ति और बर्तन इस दिन खरीदे जाते हैं. इससे घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है.

विशेष संयोग में आया है धनतेरस का पर्व


ज्योतिषाचार्य का कहना है कि धन की देवी माता महालक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरी का विशेष पर्व है. साथ ही इस दिन यम देवता के लिए शाम के समय दक्षिण दिशा में दीपदान किया जाता है. धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना चाहिए या फिर सोने, चांदी, तांबे, पीतल की मूर्तियां खरीद सकते हैं या फिर कोई गृह उपयोगी वस्तु क्रय करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.


धनतेरस के जो शुभ मुहूर्त है, वह शाम 4:30 से 6:30 बजे तक हैं. उसके बाद वृषभ नामक लग्न में शाम 7:00 बजे से 9:00 बजे तक रहेंगे. इसी दौरान प्रदोष काल में पूजा-अर्चना और खरीदारी करना उत्तम फलदाई होता है.

भोपाल। इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है, यह स्थिति 100 साल बाद बनी हैं. धनतेरस के पर्व को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री का कहना है कि इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है. शुक्रवार के दिन धनतेरस का आना अपने आप में महत्वपूर्ण हैं.


प्रदोष महापर्व पर धनतेरस का आना सिद्धि दायक है क्योंकि प्रदेश व्यापिनी धनतेरस की पूजा की जाती है. इस दिन समुद्र मंथन के माध्यम से भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की विशेष परंपरा है. सोना, चांदी, तांबा, पीतल की मूर्ति और बर्तन इस दिन खरीदे जाते हैं. इससे घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है.

विशेष संयोग में आया है धनतेरस का पर्व


ज्योतिषाचार्य का कहना है कि धन की देवी माता महालक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरी का विशेष पर्व है. साथ ही इस दिन यम देवता के लिए शाम के समय दक्षिण दिशा में दीपदान किया जाता है. धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना चाहिए या फिर सोने, चांदी, तांबे, पीतल की मूर्तियां खरीद सकते हैं या फिर कोई गृह उपयोगी वस्तु क्रय करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.


धनतेरस के जो शुभ मुहूर्त है, वह शाम 4:30 से 6:30 बजे तक हैं. उसके बाद वृषभ नामक लग्न में शाम 7:00 बजे से 9:00 बजे तक रहेंगे. इसी दौरान प्रदोष काल में पूजा-अर्चना और खरीदारी करना उत्तम फलदाई होता है.

Intro:भोपाल। सुख समृद्धि और वैभव का त्योहार दीपावली आज से प्रारंभ हो गया है। आज धनतेरस से अगले 5 दिनों तक दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है, जो काफी समृद्धि कारक और लोगों को खुशहाली देने वाला है। धनतेरस के पर्व को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री का कहना है कि इस बार धनतेरस का पर्व एक विशेष संयोग में आया है। यह स्थिति 100 साल बाद बनी हैं। शुक्रवार के दिन धनतेरस का आना अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा प्रदोष महापर्व पर धनतेरस का आना सिद्धि दायक है क्योंकि प्रदेश व्यापिनी धनतेरस की पूजा की जाती है। इस दिन समुद्र मंथन के माध्यम से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की विशेष परंपरा है। सोना, चांदी, तांबा, पीतल के मूर्ति और बर्तन इस दिन खरीदे जाते हैं। इससे घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है।


Body:धनतेरस के महा पर्व को लेकर पंडित धर्मेंद्र शास्त्री का कहना है कि धनतेरस चौकी माता महालक्ष्मी का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन धनत्रयोदशी के रूप में माना जाता है।धनतेरस के बारे में कहा जाता है कि माता महालक्ष्मी के माध्यम से किसान को वरदान मिला था कि मैं तुम्हारे घर में सदैव निवास करूंगी। लेकिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शाम के समय प्रदोष काल में कोई भी भक्त मेरी पूजा-अर्चना करेगा।तो मैं निश्चय ही उसके घर में निवास करूंगी।


Conclusion:ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस प्रकार धनतेरस का महापर्व नाम से ही ज्ञात होता है कि धन की देवी माता महालक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरी का विशेष पर्व है। साथ ही इस दिन यम देवता के लिए शाम के समय दक्षिण दिशा में दीपदान किया जाता है। धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना चाहिए या फिर सोने,चांदी, तांबे, पीतल की मूर्तियां खरीद सकते हैं या फिर कोई गृह उपयोगी वस्तु क्रय करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।धनतेरस के जो शुभ मुहूर्त है, वह शाम 4:30 से 6:30 बजे तक हैं।उसके बाद वृषभ नामक लग्न में शाम 7:00 बजे से 9:00 बजे तक रहेंगे। इसी दौरान प्रदोष काल में पूजा-अर्चना और खरीदारी करना उत्तम फलदाई होता है।
Last Updated : Oct 25, 2019, 5:29 PM IST
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