भोपाल| आरजीपीवी से निकाले गए 100 से ज्यादा तकनीकी अतिथि विद्वानों को वेतन ना देने के मामले में डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार एक बार फिर सरकार के निशाने पर हैं. प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा कार्यालय ने उन्हें नोटिस जारी कर पूछा है कि जब सामान्य प्रशासन विभाग ने पूरे प्रदेश में यह आदेश जारी कर रखा है कि किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं रोका जाएगा तो फिर किस आधार पर वेतन रोकने की कार्रवाई की गई है.
वीरेंद्र कुमार को 15 मई को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल जवाब मांगा गया था, 26 मई को दूसरा नोटिस जारी होने के बाद डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन ने आनन-फानन में प्रदेश के सभी तकनीकी कॉलेज एवं पॉलिटेक्निक कॉलेज प्रबंधन को पत्र लिखकर जानकारी देने के लिए भी कहा है.
इस मामले का संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार करलिन खोंगवार देशमुख ने संचालक तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास को इंजीनियरिंग, पॉलीटेक्निक महाविद्यालयों और आईटीआई में सेवाएं दे रहे अतिथि विद्वानों को नियमानुसार लॉकडाउन अवधि का भी मानदेय भुगतान की कार्रवाई निरंतर जारी रखने के निर्देश दिए हैं. तकनीकी शैक्षणिक संस्थाओं में लगभग एक हजार अतिथि विद्वान सेवाएं दे रहे हैं.
निर्देशों के परिपालन में संबंधित अधिकारियों द्वारा अतिथि विद्वानों को लॉकडाउन अवधि के मानदेय भुगतान की कार्रवाई प्राथमिकता से शुरू कर दी गई है. इस संबंध में सभी संस्थाओं को आवश्यक बजट भी आवंटित किया जा चुका है. यह निर्देश भारत सरकार, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली और राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के तहत विभाग के अन्तर्गत आने वाली सभी तकनीकी/शैक्षणिक संस्थाओं में सेवाएं दे रहे अतिथि विद्वानों के संबंध में जारी किए गए हैं.
बता दें कि अतिथि विद्वानों ने आरोप लगाया है कि डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार के साथ मिलकर 2 महीने तक बगैर वेतन काम कराने के बाद उन्हें पिछली तारीखों में नोटिस जारी कर नौकरी से निकाल दिया गया है. इस मामले की शिकायत प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय एवं राजभवन में भी की गई है, डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन एवं आरजीपीवी के कुलपति पहले भी तकनीकी कॉलेजों में संचालित किए जाने वाले ऑनलाइन सॉफ्टवेयर की खरीदी को लेकर जांच के घेरे में आ चुके हैं. हालांकि प्रशासन की ओर से आदेश जारी होने के बाद अतिथि विद्वानों को लॉक डाउन की अवधि तक का मानदेय दिए जाने के निर्देश जारी हो चुके हैं इस आदेश के बाद अतिथि विद्वानों को थोड़ी राहत जरूर मिली है .