भोपाल। तमिलनाडु सरकार ने नीट (नेशनल एलिजिविलिटी टेस्ट ) या राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा को अपने राज्य में खत्म कर दिया है. सोमवार को राज्य विधानसभा में पारित विधेयक को पारित किए जाने के बाद राज्य में अब नीट का एग्जाम आयोजित नहीं किया जाएगा. तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में अब 12 वीं कक्षा में प्राप्त किए गए अंकों के आधार पर ही प्रवेश दिया जाएगा. इस फैसले को मध्य प्रदेश के छात्रों ने गलत बताया है. छात्रों का कहना है कि ऐसा होने से उनके रास्ते बंद हो जाएंगे, क्योंकि इस फैसले के मुताबिक तमिलनाडू के छात्र तो अन्य प्रदेशों में आ सकेंगे,लेकिन यहां के छात्र वहां नहीं जा सकेंगे. छात्रों की मांग है कि नीट को लेकर नियम सभी जगह एक समान होना चाहिए. छात्रों के इन्हीं परेशानियों के संबंध में उनसे बात की ईटीवी भारत ने.
भोपाल |
फैसले से खुश नहीं हैं MP के छात्र
तमिलनाडु सरकार के राज्य में नीट एग्जाम को खत्म कर देने से अब तमिलनाडु के छात्र ही वहां पर अन्य एग्जाम के माध्यम से पढ़ाई कर पाएंगे. ऐसे में मध्यप्रदेश के छात्र इस बात से संतुष्ट नहीं हैं. 12th में बायो लेकर नीट की तैयारी कर रहे छात्रों का कहना है की ऐसा करने से उनके सामने कई रास्ते बंद हो गए हैं, क्योंकि छात्र चाहते हैं कि वे अन्य राज्यों में जाएं, ऐसे में अगर कोई छात्र तमिलनाडु राज्य में जाना चाहता है तो यहां से वहां नहीं जा पाएगा, जबकि वहां के बच्चे सिलेक्शट हो कर यहां आ सकते हैं. छात्रों का मानना है कि पूरे देश में एक समान नियम होना चाहिए. इनका कहना है कि उन्हें यह पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे देश के किसी भी राज्य में जाकर एग्जाम दे सकें और सिलेक्ट हो सकें, लेकिन तमिलनाडु के फैसले से देश के कई छात्रों को नुकसान होगा खासकर उन छात्रों को जिनके माता-पिता तमिलनाडु से जुड़े हुए हैं और वे मध्य प्रदेश या देश के अन्य राज्यों में आकर पढ़ाई कर रहे हैं और बाद में तमिलनाडु जाकर रहना या पढ़ना चाहते हैं.
खत्म हो जाएगा काबिलियत का पैमाना
नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे मेडिकल छात्रों का कहना है कि तमिलनाडु सरकार का यह फैसला गलत है इससे चिकित्सा शिक्षा की तैयारी कर रहे या आगे जाकर तमिलनाडू में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले छात्रों का भविष्य भी अंधकार में जाएगा. छात्रों का कहना है कि इस समय एक पैमाने के आधार पर काबिल और होनहार छात्रों को ही मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है, लेकिन जब नेट का एग्जाम ही नहीं कराया जाएगा तो काबिलियत का कोई पैमाना नहीं रहेगा और बिना काबिलियत वाले छात्र वहां पर पहुंचेंगे और देश को अच्छे डॉक्टर नहीं मिल पाएंगे. जो काबिल बच्चे हैं उनका हक मारा जाएगा इसलिए तमिलनाडु सरकार को और बाकी राज्यों की सरकार को यह सोचना चाहिए की काबिलियत के हिसाब से ही छात्रों को आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि नेट की परीक्षा एक फ़िल्टर का काम करती है. अगर यही बंद हो गया तो फिर काबिलियत का पैमाना कैसे तय होगा.
इंदौर |
80% छात्रों को सीधे मिलेगा प्रवेश
तमिलनाडु सरकार के फैसले के मुताबिक मेडिकल कॉलेजों में 7.5% आरक्षण दिया जाएगा. नीट की बजाय अब 12वीं के अंकों के आधार पर ही तमिलनाडु राज्य के विद्यार्थियों का मेडिकल कॉलेजों में दाखिला होगा. इसमें राज्य के 80% छात्रों को सीधे दाखिला मिलेगा वहीं 20% अन्य राज्यों के छात्रों को मौका दिया जाएगा. विधेयक के अनुसार छात्रों को 12वीं के अंकों के आधार पर एमबीबीएस, होम्योपैथिक सहित मेडिकल विषय में सीधे तौर पर प्रवेश मिलेगा. मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल प्रवेश के लिए नीट की परीक्षा में शामिल होते हैं. बीते दिनों भी प्रदेश भर में हजारों की संख्या में छात्र नेट की परीक्षा में शामिल हुए थे.
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के रजिस्टार और शिक्षण क्षेत्र के तकनीकी जानकार डॉ अनिल शर्मा के मुताबिक नीट की परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है. जिसके जरिए राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक रूप से छात्रों का चयन किया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि तमिलनाडु में लिए गए फैसले का असर मध्यप्रदेश के छात्रों पर नहीं पड़ेगा, इसके अलावा वे छात्र जो मेडिकल विषय में प्रवेश ले चुके हैं उन पर भी इस तरह के फैसलों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा , हालांकि वे ये साफ करते हैं कि तमिलनाडु सरकार द्वारा तैयार किए जाने वाले नियमों के आधार पर अगर मध्य प्रदेश का छात्र वहां जाकर प्रवेश लेना चाहता है तो यह वहां की राज्य सरकार द्वारा नियमों में दी जाने वाली छूट से तय होगा, जिसके आधार पर यह तय होगा कि मध्य प्रदेश के छात्र को कितना फायदा या नुकसान होगा.
मध्यप्रदेश में नहीं लिया जा सकता इस तरह का फैसला
शिक्षण क्षेत्र के जानकार डॉ अनिल शर्मा के अनुसार मध्य प्रदेश में इस तरह का फैसला लिया जाना मौजूदा हालात में संभव नहीं है, क्योंकि मध्यप्रदेश में अलग-अलग बोर्डो के माध्यम से छात्र 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं. इनके नंबर जारी करने के फॉर्मूले भी अलग अलग हैं जिनके नंबर जारी करने के फार्मूले अलग-अलग है जिसके कारण छात्रों की मेरिट निर्धारित कर पाना कई बार असमंजस की स्थिति पैदा करता है ऐसे में वर्तमान स्थितियों को देखते हुए नीट के जरिए ही प्रवेश की प्रक्रिया उचित है. एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित के अनुसार प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से सभी छात्रों को बराबरी का मौका मिलता है नीट की परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है ऐसे में छात्रों की गुणवत्ता की जांच अच्छे से की जा सकती है प्रदेशों में मूल्यांकन के लिए अलग-अलग आधार होते हैं ऐसे में प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से प्रवेश प्रक्रिया आयोजित कराना बेहतर विकल्प होता है.
जबलपुर |
तमिलनाडु सरकार के फैसले को जबलपुर के क्षेत्रीय स्वास्थ संचालक डॉक्टर संजय मिश्रा छात्रों के भविष्य को अंधकार मे ढकेलना बताया है तो वहीं DM डॉ अनिमेष गुप्ता ने कहा है कि सारे राज्यों को अपनी सीट ओपन करना चाहिए. मिश्रा के मुताबिक पहले से ही यह परंपरा चली आ रही है कि एक ही परीक्षा मेडिकल कॉलेज के लिए पूरे देश में होगी जिससे कि छात्रों को एक ही बार तैयारी करके परीक्षा में मेरिट के आधार पर एडमिशन मिल सकेगा.
इस पूरे मामले को लेकर जानकारों की भी अलग अलग राय है. एक्सपर्ट कहते हैं कि कोई राज्य अगर इस तरह का निर्णय लेता है तो उसे पहले राज्यपाल से अनुमति लेना होगा उसके बाद नेशनल मेडिकल काउंसिल की शर्तों का भी पालन करना होता है, उन्होंने बताया कि तमिलनाडु सरकार के इस फैसले से तमिलनाडु के छात्रों को ही नुकसान हो सकता है, वहां के छात्र अगर अपने राज्य के बाहर जाकर एडमिशन लेना चाहेंगे तो उन्हें अपने राज्य के बाहर के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिलेगा जिससे कि उन्हें अच्छा खासा नुकसान हो सकता है.