भोपाल। सोमवार को मध्यप्रदेश में किसानों के नाम पर सियासत का जोरदार नजारा देखने मिला है. एक तरफ मध्यप्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी प्रदेश की कमलनाथ सरकार के खिलाफ इसलिए विरोध प्रदर्शन कर रही थी, क्योंकि उसका आरोप है कि कमलनाथ सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है. ना तो किसानों का कर्ज माफ किया,ना ही किसानों को गेहूं पर मिलने वाला बोनस दिया और ना ही किसानों को भावांतर की राशि दी है. वहीं सस्ती बिजली देने का वादा करके किसानों को भारी भरकम बिल दिए जा रहे हैं.
केंद्र सरकार नहीं दे रही राज्य सरकार को मदद
दूसरी तरफ मध्यप्रदेश का सत्ताधारी दल कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार पर मध्यप्रदेश के साथ भेदभाव को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है. कांग्रेस का आरोप है कि भारी बारिश में मध्य प्रदेश के किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. 11 हजार किलोमीटर सड़कें बर्बाद हो गई है. कई लोगों की मौत हुई है. बड़े पैमाने पर सरकारी भवनों को नुकसान हुआ है. मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर मध्य प्रदेश की मदद के लिए अपील कर चुके हैं, लेकिन केंद्र ने अभी तक कोई भी मदद नहीं की है.
बीजेपी मोदी सरकार की नाकामियों पर देती स्पष्टीकरण
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने बीजेपी के धरने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बेहतर ये होता कि आज बीजेपी मोदी सरकार की नाकामियों पर स्पष्टीकरण देती. ना कि मध्य प्रदेश की सरकार के खिलाफ धरना देकर मोदी सरकार की नाकामियां छुपाती.
अन्नदाता अपनी फसल के नुकसान से हैं बहुत परेशान
किसानों को लेकर हो रही सियासत पर बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का कहना है कि मध्य प्रदेश का अन्नदाता अपनी फसल नुकसानी से बहुत परेशान हैं. किसानो को जो मुआवजा मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. हालांकि राज्य सरकार उनकी भरपूर मदद कर रही है. इसके विरोध में सोमवार को मध्य प्रदेश भर में कांग्रेस विरोध कर रही है।, क्योंकि केंद्र सरकार मध्य प्रदेश सरकार के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.
35 योजनाओं की राशि अभी तक केंद्र सरकार ने नहीं दी
सुरेश पचौरी ने आगे बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया है. केंद्रीय अध्ययन दल भी मध्यप्रदेश होकर गया है. 12 हजार करोड़ की मांग की गई थी, लेकिन एक भी पैसा नहीं आया है. इसके अलावा लगभग 35 योजनाओं की राशि जो मध्यप्रदेश के हिस्से की केंद्र को देना थी, अभी तक नहीं दी है. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की अनदेखी की जा रही है.