भोपाल। लागत से कई गुना टोल टेक्स वसूलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार ने 7 दिन में जवाब तलब किया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि राज्य सरकार निर्धारित समय में जवाब प्रस्तुत नहीं करती तो सुप्रीम कोर्ट मामले में एकतरफा सुनवाई शुरू करेगी. राज्य सरकार की तरफ से इस मामले में 4 माह में कोई जवाब पेश नहीं किया गया है, इसलिए कोर्ट ने सरकार से समय सीमा में जवाब मांगा है.
यह है पूरा मामला: पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में लेवड़-नयागांव, जावरा-नयागांव और भोपाल-देवास फोरलेन पर लागत से कई गुना ज्यादा टोल वसूला जा चुका है. जवारा-नयागांव फोरलेन पर 2020 तक 1461 करोड़ रुपए टोल वसूला जा चुका है, जबकि इस मार्ग की लागत 471 करोड़ रुपए थी. इसी तरह भोपाल-देवास फोरलेन पर लागत से तीन गुना 1132 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है, लेवड़-जावरा रोड पर लागत 605 करोड़ के मुकाबले 1325 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं.
कोर्ट 2 बार मांग चुका जवाब: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने पिछले साल 24 नवंबर को राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव और मप्र राज्य सड़क विकास निगम के प्रबंध संचालक को जवाब तलब करने नोटिस जारी किया था, लेकिन इसके बाद राज्य सरकार की तरफ से 1 जनवरी और 23 मार्च को कोई भी जवाब पेश नहीं किया गया. इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है, इसके लिए 7 दिन की समय सीमा तय की गई है. गौरलतब है कि लागत से ज्यादा टोल वसूली के मामले को हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद मामले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है.