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भोपाल में गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के लिखित नाटक 'काबुलीवाला' का मंचन - Merchant Kabuliwala

गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित और रीना सिन्हा द्वारा निर्देशित नाटक काबुलीवाला का मंचन राष्ट्रीय नाट्य समारोह में भोपाल के रविंद्र भवन में मंचित हुआ.

The play Kabuliwala written by Gurudev Rabindranath Tagore staged
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की लिखित नाटक काबुलीवाला का मंचन
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Published : Feb 25, 2020, 4:32 AM IST

Updated : Feb 25, 2020, 6:32 AM IST

भोपाल। यह नाटक काबुल से आए एक व्यापारी और एक बच्ची के बीच भावनात्मक संबंध का है. शरारत के चलते मिनी काबुली वाले को बुलाती है उसके बाद काबुलीवाला उसके घर आता है और मिनी के साथ खेलता और उसे कहानियां सुनाता है काबुलीवाले का मिनी से इतना स्नेह का कारण यह था कि काबुल में उसकी भी मिनी जैसी ही छोटी बच्ची हुआ करती थी जिसे छोड़कर वह यहां व्यापार करने आया था लेकिन यह सब मिनी की मां को पसंद नहीं आता और वह उसे काबुलीवाले से मिलने से रोकती है.

गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की लिखित नाटक काबुलीवाला का मंचन

इसके बाद मिनी की तबीयत बिगड़ जाती है लेकिन काबुलीवाले से मिलते ही वह ठीक हो जाती है. काबुलीवाला उसे कहानी सुनाता है कि किस प्रकार राजकुमारी की शादी राजकुमार से होती है और राजकुमारी अपने ससुराल चली जाती है बचपन के चलते पूछती है क्या मम्मी-पापा भी ससुराल बाड़ी जाएंगे, यह सुनकर खूब हंसता है एक दिन धोखे से काबुलीवाले से खून हो जाता है जिसके चलते उसे जेल जाना पड़ता है बहुत सालों बाद जब घर पहुंचा तो देखा कि चारों ओर गाजे-बाजे मेहमान और हलचल थी वह जतन करके मिनी के पापा से मिलता है और अपना परिचय दीया के वही काबुलीवाला है और मिनी से मिलना चाहता है.

मिनी के पापा मिनी को काबुली वाले से मिल जाते हैं लेकिन मिनी को कुछ याद नहीं रहता काबुलीवाला उसे बहुत सी बातें याद दिलाता है पर उसे कुछ याद नहीं आता पर जब काबुलीवाले ने बोला ससुरालबाड़ी तो मिनी खुशी से रो पड़ती है.

इस नाटक को प्रणय भौमिक रुद्राणी साहू और संध्या शुक्ला ने अपने अपने किरदारों को मंच पर जीवंत कर दिया.

भोपाल। यह नाटक काबुल से आए एक व्यापारी और एक बच्ची के बीच भावनात्मक संबंध का है. शरारत के चलते मिनी काबुली वाले को बुलाती है उसके बाद काबुलीवाला उसके घर आता है और मिनी के साथ खेलता और उसे कहानियां सुनाता है काबुलीवाले का मिनी से इतना स्नेह का कारण यह था कि काबुल में उसकी भी मिनी जैसी ही छोटी बच्ची हुआ करती थी जिसे छोड़कर वह यहां व्यापार करने आया था लेकिन यह सब मिनी की मां को पसंद नहीं आता और वह उसे काबुलीवाले से मिलने से रोकती है.

गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की लिखित नाटक काबुलीवाला का मंचन

इसके बाद मिनी की तबीयत बिगड़ जाती है लेकिन काबुलीवाले से मिलते ही वह ठीक हो जाती है. काबुलीवाला उसे कहानी सुनाता है कि किस प्रकार राजकुमारी की शादी राजकुमार से होती है और राजकुमारी अपने ससुराल चली जाती है बचपन के चलते पूछती है क्या मम्मी-पापा भी ससुराल बाड़ी जाएंगे, यह सुनकर खूब हंसता है एक दिन धोखे से काबुलीवाले से खून हो जाता है जिसके चलते उसे जेल जाना पड़ता है बहुत सालों बाद जब घर पहुंचा तो देखा कि चारों ओर गाजे-बाजे मेहमान और हलचल थी वह जतन करके मिनी के पापा से मिलता है और अपना परिचय दीया के वही काबुलीवाला है और मिनी से मिलना चाहता है.

मिनी के पापा मिनी को काबुली वाले से मिल जाते हैं लेकिन मिनी को कुछ याद नहीं रहता काबुलीवाला उसे बहुत सी बातें याद दिलाता है पर उसे कुछ याद नहीं आता पर जब काबुलीवाले ने बोला ससुरालबाड़ी तो मिनी खुशी से रो पड़ती है.

इस नाटक को प्रणय भौमिक रुद्राणी साहू और संध्या शुक्ला ने अपने अपने किरदारों को मंच पर जीवंत कर दिया.

Last Updated : Feb 25, 2020, 6:32 AM IST
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