भोपाल। पूरे देश में महिला सशक्तिकरण करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. महिला दिवस पर आपको कई ऐसी महिलाओं के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलेगा. जिन्होंने अपनी जिद और हौसले से अपनी या लोगों की जिंदगी बदली. ईटीवी भारत की इस खास महिला दिवस सीरीज में देखिए मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों की कुछ महिलाओं की ऐसी कहानियां जो एक मिसाल बनकर सामने आई है.
''कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है,
जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझ से हारी है, तू नारी है.''
महिला दिवस की विशेष सीरीज में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है एक मर्दानी की ऐसी कहानी, जिसमें एक अकेली औरत ने एक अबला नारी को चार ऐसे दरिंदों के चंगुल से निकाला जो उसकी अस्मत लूटकर उसे ज़िन्दा जलाने की फिराक में थे.
उमरिया पुरा की महिलाओं ने ये साबित कर दिया है,चंबल अंचल की तस्वीर बदल रही है. उमरिया पूरा एक उदाहरण है, उन गांव की सभी महिलाओं के लिए जो इस तरह से पीड़ित हैं. यहां की महिलाओं ने संगठन बनाकर पूरे गांव की तस्वीर ही बदल दी.
जबलपुर। दिल में हो जज्बा तो हौसलों में उड़ान होती है, कितनी भी आएं मुश्किलें जिंदगी आसान होती है. ये पंक्तियां उन लोगों के लिए हैं जो तमाम परेशानियों के बावजूद कभी हार नहीं मानते बल्कि इस अंदाज में जीते हैं कि दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं. नारी जिसे भारतीय संस्कृति में शक्ति का स्वरूप माना जाता है. जिसकी पूजा की जाती है. वह नारी कितनी सशक्त है इसके कई उदाहरण पहले भी देखे जा चुके हैं, लेकिन जिसे ईश्वर ने ही अशक्त बनाया हो वह सशक्त हो जाए तो इसे जिंदादिली ही कहा जाएगा. सशक्त नारी के रूप में जबलपुर की भवानी ने भी अपनी पहचान बनाई है.
मुरैना जिले के जौरा में जन्मी जानकी देवी बजाज ने कुटीर उद्योग के माध्यम से ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जानकी देवी ने महात्मा गांधी से प्रभावित होकर सोने के गहनों को दान कर दिया. उन्होंने पर्दा प्रथा का त्याग कर देश में आजादी की नई इबारत लिखी थी.
यह कहावत तो आपने सुनी होगी कि जल ही जीवन है, लेकिन इसका सही अर्थ समझा रही हैं ग्वालियर की रहने वाली सावित्री श्रीवास्तव. वॉटर वूमन के नाम से मशहूर सावित्री श्रीवास्तव को जल संरक्षण का ऐसा जूनन चढ़ा कि उन्होंने सारी मुश्किल को पीछे छोड़कर देश के अलग-अलग राज्यों में हजारों वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगवा दिए. इसके माध्यम से सावित्री श्रीवास्तव ने अरबों लीटर पानी बचाया है. सावित्री पूरे देश भर में पिछले कई सालों से सूखे पड़े बोरबेल, कुएं और बावड़ी को रिचार्ज कर उन्हें जीवनदान दे रही हैं. सावित्री के इस काम की सराहना करते हुए भारत सरकार ने उन्हें 'जल हीरो' की उपाधि दी है.
आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुष से कम नहीं हैं. इसी तरह सागर में भी तीन महिलाओं के कंधे पर ट्रेन की सुरक्षा और सुचारू यातायात की जिम्मेदारी है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को उन महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय काम किये हो. आज महिला दिवस पर ऐसी महिलाओं की सराहनीय कहानी हम आपको बताएंगे, जिन्होंने आत्मनिर्भर भारत के तहत खुद का स्टार्टअप शुरू किया. जमशेदपुर की खुशबू और दिलजीत ने 2020 में यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की डिग्री ली और नौकरी नहीं मिलने पर खुद का स्टार्टअप शुरू किया. खुशबू और दिलजीत का कहना है कि यह किसी भी नौकरी से बेहतर है. हम किसी पर निर्भर नहीं हैं.
बालाघाट जिले के बगड़मारा गांव में एक शिक्षिका सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. शिक्षिका ने बच्चों को स्कूल में सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए अपने वेतन से एक लाख रुपए की राशि लगा दी. शिक्षिका की कड़ी मेहनत से आज बगड़मारा के सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो पाई है. शिक्षिका का कहना है कि यदि बच्चे अभाव में पढ़ेंगे तो देश का भविष्य नहीं सुधर पाएगा.
हौसले बुलंद हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है छिंदवाड़ा के पटनिया गांव की रहने वाली महिलाओं ने, 20 रुपए दिन की बचत कर स्व सहायता समूह शुरू करने वाली महिलाएं आज गौशाला का संचालन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.