भोपाल। कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले कई मरीजों में साइड इफेक्ट्स देखने मिल रहे हैं. संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों में कमजोरी, थकान,सिरदर्द, अनिद्रा यह सब लक्षण दिखाई दे रहे हैं. कोरोना संक्रमण से होने वाले मरीजों में ऐसे साइड इफेक्ट्स अब तक केवल वयस्कों में नजर आ रहे थे, पर अब कम उम्र के बच्चों में भी साइड इफेक्ट्स देखने को मिल रहे हैं. बच्चों की आंखों का लाल होना, शरीर में लाल चकत्ते पड़ जाना, इस तरह के साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं.
अगर बच्चों में दिखे ये लक्षण, तो हो जाए सावधान
कोरोना संक्रमण बच्चों पर किस तरह से प्रभाव डाल रहा है. इस बारे में गांधी मेडिकल कॉलेज की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ ज्योत्स्ना श्रीवास्तव ने बताया कि पहले यह वायरस बच्चों में कम हो रहा था, साथ ही यह भी देखने को मिल रहा था, कि यदि बच्चा संक्रमित हो रहा है, तो वह ठीक भी जल्दी हो जा रहा है. पर अब कुछ मामलों में बच्चों में एक अजीब सी बीमारी देखने को मिल रही है. जब बीमारी का एक्यूट फेज होता है, तब निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है, पर बच्चों में ऐसा कम हो रहा है. इसके स्थान पर जिस साइटोकाइन स्टोम से वयस्कों की मौत हो रही है, उस तरह के रिएक्शन बच्चों में देखने मिल रही है. खास तौर पर 7 से लेकर 9 साल के बच्चों में यह देखने को मिल रहा है. आंखों में लाल पन होना, ब्लीडिंग होना,शरीर में लाल चकते पड़ जाना, यह लक्षण देखने मिल रहे हैं. अगर इस स्थिति में बच्चे को समय रहते इलाज न दिया जाये तो बच्चे की जान बचा पाना मुश्किल होता है. निमोनिया के साथ-साथ यह बीमारी जिसे मल्टी इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम ऑफ चिल्ड्रन कहते हैं.
बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि इसके अलावा बच्चों में कई तरह के लक्ष्ण दिखाई दे रहे हैं. साथ ही नवजात बच्चों को डायरिया भी हो रहा है. हालांकि कई ऐसे मामले देखने मिले हैं कि जहां संक्रमित महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है.
बच्चों को मास्क लगाना जरुरी
लगातार फैल रहे कोरोना वायरस से माता-पिता अपने बच्चों को कैसे बचाएं, इस बारे में डॉ ज्योत्स्ना कहती हैं कि 2 साल से बड़े बच्चों को मास्क लगाना बेहद जरूरी है. यदि बच्चे खेलने भी कही बाहर जा रहे हैं, तो वह ऐसे खेल खेले जिनमें शारीरिक दूरी बनी रहे. अब जब कुछ बच्चों के स्कूल शुरू हो गए हैं तो स्कूलों में भी खासतौर से ध्यान रखा जाए, कि मास्क के इस्तेमाल के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा हो
राजधानी भोपाल में अब तक कुल मिलाकर करीब आठ प्रतिशत ऐसे मामले सामने आ चुकें हैं. जिनमें कोरोना वायरस संक्रमित 17 साल से कम उम्र के बच्चे हैं, इनमें कुछ नवजात भी शामिल हैं. वहीं शहर में अब तक करीब दो प्रतिशत बच्चों की मौत भी कोरोना वायरस संक्रमण से दर्ज की गई है.