भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा परिषद के गठन को लेकर सियासी टकराव तेज हो गया है. एक तरफ कांग्रेस अपने वचन पत्र में किए गए वादे को पूरा करने की जद्दोजहद में है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसी भी कीमत पर विधानसभा परिषद का गठन नहीं होने देने की बात कही है.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह जनता के पैसों की बर्बादी है, इसलिए बैक डोर एंट्री के लिए विधान परिषद का गठन किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे. सरकार एक तरफ माली हालत खराब होने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जनता के पैसों की बर्बादी करने की तैयारी कर रही है.
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है कि 50 साल से विधान परिषद की बात चल रही है, इतनी आसानी से मंजूरी नहीं मिल पाएगी. राज्य सरकार के साथ लोकसभा और राज्यसभा में भी इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलना जरूरी है.मध्य प्रदेश यदि विधानसभा परिषद का गठन किया जाता है तो इसमें 76 सदस्य शामिल होंगे. हालांकि नए विधान भवन बनने के साथ ही विधान परिषद के लिए इसमें समुचित व्यवस्था भी की गई है, हाल ही में मुख्य सचिव द्वारा प्रमुख सचिवों की बैठक लेकर इस मसौदे को तैयार किया गया और विधि विभाग के प्रमुख सचिव से पूरी जानकारी मांगी गई है.