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कुत्तों की नसबंदी पर पांच साल में 17 करोड़ रुपए खर्च

प्रदेश में पिछले पांच सालों में ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी की गई है. इन पर करीब 17 करोड़ का भुगतान किया गया है. विधानसभा में इस बारे में नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने जानकारी दी.

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Published : Mar 16, 2021, 2:59 PM IST

17 crore spent on sterilization of dogs
कुत्तों की नसबंदी पर 17 करोड़ रुपए खर्च

भोपाल। मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में आवारा कुत्तों की नसबंदी पर नगरीय निकायों ने 17 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. यह भुगतान चार एनजीओ को किया गया है. विधानसभा में बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने ये मुद्दा विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान उठाया. जानकारी में बताया गया कि पिछले पांच सालों के दौरान भोपाल इंदौर सहित पांच बड़े शहरों में ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी की गई.

ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी, 17 करोड़ खर्च

नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने लिखित जवाब में बताया, कि इंदौर शहर में सबसे ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की गई. इंदौर में एक लाख छह हजार कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए हैदराबाद की वेट्स सोसायटी फॉर एनिमल वेलफेयर एंड रूरल डेवलपमेंट को 7 करोड़ 36 लाख रुपए का भुगतान किया गया. रेडिक्स इंफॉर्मेशन सोशल एजुकेशन सोसाइटी देवास को 25.56 लाख का भुगतान किया गया. इन दोनों सोसाइटी ने एक लाख छह हजार कुत्तों की नसबंदी की गई.

  • भोपाल जिले में पिछले पांच सालों के दौरान नवोदय वेट सोसायटी हैदराबाद द्वारा 1 लाख 4856 कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए सोसाइटी को 6.76 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया.
  • जबलपुर में पिछले पांच सालों में 31,385 कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए 1.70 करोड़ रुपए खर्च किए गए.
  • उज्जैन में पिछले पांच साल में 9000 कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए 50 लाख रुपए खर्च किए गए.
  • ग्वालियर में 13277 कुत्तों की पिछले 5 सालों के दौरान नसबंदी की गई. इसके लिए ₹53 लाख खर्च किए गए.
    इस तरह पिछले पांच सालों में कुल मिलाकर ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी की गई. जिस पर करीब ₹17 करोड़ खर्च किए गए.

    एक मई से होंगे ट्रांसफर: नई तबादला नीति पर लगी मुहर
    विधानसभा में प्रस्तुत की गई जानकारी के मुताबिक ग्वालियर में पिछले 10 सालों से कुत्तों की नसबंदी के लिए काम कर रही संस्था एनिमल केयर एंड केयर की संचालिका सरकारी पशु चिकित्सक डॉक्टर ओपी गुप्ता की पत्नी हैं. संस्था में सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ओपी गुप्ता पशुपालन विभाग से बिना अनुमति के सेंटर पर एबीसी का काम करते थे. मामले की शिकायत के बाद डॉक्टर ओपी गुप्ता को दिसंबर 2020 में निलंबित किया गया था.


भोपाल। मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में आवारा कुत्तों की नसबंदी पर नगरीय निकायों ने 17 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. यह भुगतान चार एनजीओ को किया गया है. विधानसभा में बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने ये मुद्दा विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान उठाया. जानकारी में बताया गया कि पिछले पांच सालों के दौरान भोपाल इंदौर सहित पांच बड़े शहरों में ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी की गई.

ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी, 17 करोड़ खर्च

नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने लिखित जवाब में बताया, कि इंदौर शहर में सबसे ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की गई. इंदौर में एक लाख छह हजार कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए हैदराबाद की वेट्स सोसायटी फॉर एनिमल वेलफेयर एंड रूरल डेवलपमेंट को 7 करोड़ 36 लाख रुपए का भुगतान किया गया. रेडिक्स इंफॉर्मेशन सोशल एजुकेशन सोसाइटी देवास को 25.56 लाख का भुगतान किया गया. इन दोनों सोसाइटी ने एक लाख छह हजार कुत्तों की नसबंदी की गई.

  • भोपाल जिले में पिछले पांच सालों के दौरान नवोदय वेट सोसायटी हैदराबाद द्वारा 1 लाख 4856 कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए सोसाइटी को 6.76 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया.
  • जबलपुर में पिछले पांच सालों में 31,385 कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए 1.70 करोड़ रुपए खर्च किए गए.
  • उज्जैन में पिछले पांच साल में 9000 कुत्तों की नसबंदी की गई. इसके लिए 50 लाख रुपए खर्च किए गए.
  • ग्वालियर में 13277 कुत्तों की पिछले 5 सालों के दौरान नसबंदी की गई. इसके लिए ₹53 लाख खर्च किए गए.
    इस तरह पिछले पांच सालों में कुल मिलाकर ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी की गई. जिस पर करीब ₹17 करोड़ खर्च किए गए.

    एक मई से होंगे ट्रांसफर: नई तबादला नीति पर लगी मुहर
    विधानसभा में प्रस्तुत की गई जानकारी के मुताबिक ग्वालियर में पिछले 10 सालों से कुत्तों की नसबंदी के लिए काम कर रही संस्था एनिमल केयर एंड केयर की संचालिका सरकारी पशु चिकित्सक डॉक्टर ओपी गुप्ता की पत्नी हैं. संस्था में सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ओपी गुप्ता पशुपालन विभाग से बिना अनुमति के सेंटर पर एबीसी का काम करते थे. मामले की शिकायत के बाद डॉक्टर ओपी गुप्ता को दिसंबर 2020 में निलंबित किया गया था.


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