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School Buses MP : स्कूल बसों की सेहत की होगी जांच, परिवहन विभाग की 18 जुलाई से विशेष मुहिम - परिवहन विभाग की 18 जुलाई से विशेष मुहिम

सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल बसों के लिए गाइडलाइन तय कर रखी है. लेकिन स्कूल संचालक बसों को अपने हिसाब से संचालित करते हैं और बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ करते हैं. इसे रोकने और बसों का संचालन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक हो सके, इसके लिए परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने प्रदेश में 18 जुलाई से स्कूल बसों के खिलाफ अभियान चलाने के आदेश दिए हैं. क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी व जिला परिवहन अधिकारी कार्रवाई से पहले स्कूल संचालक व ऑपरेटरों के साथ बैठक करें. (Campaign of RTO from July 18) (School buses check by RTO)

School buses check by RTO
परिवहन विभाग की 18 जुलाई से विशेष मुहिम
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Published : Jul 13, 2022, 4:20 PM IST

भोपाल। स्कूल बसों की जांच करने के लिए प्रदेश में मुहिम चलेगी. भोपाल आरटीओ संजय तिवारी ने इस अभियान को लेकर विशेष तैयारी शरू कर दी है. इसके लिये उन्होंने चार अलग अलग टीमें बनाई हैं, जो पहले स्कूलों में जाकर बसों के मेंटेनेंस और उनमें जो भी कमियां दिखाई देंगी, उसे दूर करने के लिए पहले समझाइश दी जाएगी और सड़कों पर भी बसों की चैकिंग की जाएगी. वहीं दूसरी ओर पालक संघ ने भी शहर में संचालित स्कूलों में संलग्न स्कूल बसों की जांच की मांग जिला कलेक्टर से की है.

कोरोना के चलते दो साल से खड़ी थी स्कूल बसें : मार्च 2020 में कोविड 19 के चलते स्कूल बंद हो गए थे. पिछले दो साल से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थीं. बीच-बीच में स्कूलों का संचालन भी हुआ. दो साल से रखी बसें कंडम हो गईं. इनके टायर, शीशे सहित अन्य उपकरण खराब हो गए. अब कोविड-19 का संक्रमण नहीं होने से स्कूल पूरी क्षमता से खुल गए हैं और ऐसे में बसों से विद्यार्थियों की आवाजाही भी शुरू हो गई है लेकिन बस संचालकों ने स्कूल बसों की फिटनेस नहीं कराई है. भोपाल में 900 स्कूल बसें रजिस्टर्ड हैं, लेकिन 60 फीसदी बसों ने ही फिटनेस सर्टिफिकेट लिया है. स्कूल बसें मानकों को पूरा कर रही हैं या नहीं, इसकी जांच के लिये यह अभियान चलाया जा रहा है.

क्या -क्या है जरूरी बस में : फायर फाइटिंग सिस्टम, बस के इंडीकेटर्स, लाइट, ब्रेक, गेयर, सीसीटीवी कैमरा, जीपीआर सिस्टम, स्पीड गवर्नर, बस के दरवाजे और लॉक सिस्टम, इमरजेंसी दरवाजा, चालक-परिचालक के लाइसेंस. बस में हेल्पलाइन नंबर, चालक-परिचालक व स्कूल का नंबर. चैकिंग अभियान का उद्देश्य स्कूल बस में मिलने वाली खामियों को समय रहते सुधारा जा सकता और बच्चे सुरक्षित घर से स्कूल और स्कूल से घर आ-जा सकेंगे. विभागीय अधिकारियों का कहना हैं कि स्कूलों की बसें के लिए चैकिंग अभियान चलाया जाता है तो हर बार स्कूल संचालक यह बहाना कर बच जाते थे कि बच्चों को लाने-ले जाने के दौरान समय ही नहीं मिला.

यात्री और स्कूल बसों में आग की चेतावनी वाला सिस्टम जरूरी : सड़क मंत्रालय

इसके बाद कोई बहाना नहीं चलेगा : इस अभियान के बाद कोई भी बहाना नहीं बना सकेगा. भोपाल आरटीओ संजय तिवारी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल बसों की जांच के लिए विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा. इस दौरान स्कूल संचालकों और उनके ट्रांसपोटर्स को भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई. गाइडलाइन के अनुसार सुरक्षा के सभी उपाय करने की सख्त के हिदायत दी जाएगी कि स्कूल शुरू होने से पहले मेंटेनेंस से जुड़ी खामियां ठीक कर लें. फिर स्कूल शुरू होने के बाद भी जांच की जाएगी. (Campaign of RTO from July 18) (School buses check by RTO)

भोपाल। स्कूल बसों की जांच करने के लिए प्रदेश में मुहिम चलेगी. भोपाल आरटीओ संजय तिवारी ने इस अभियान को लेकर विशेष तैयारी शरू कर दी है. इसके लिये उन्होंने चार अलग अलग टीमें बनाई हैं, जो पहले स्कूलों में जाकर बसों के मेंटेनेंस और उनमें जो भी कमियां दिखाई देंगी, उसे दूर करने के लिए पहले समझाइश दी जाएगी और सड़कों पर भी बसों की चैकिंग की जाएगी. वहीं दूसरी ओर पालक संघ ने भी शहर में संचालित स्कूलों में संलग्न स्कूल बसों की जांच की मांग जिला कलेक्टर से की है.

कोरोना के चलते दो साल से खड़ी थी स्कूल बसें : मार्च 2020 में कोविड 19 के चलते स्कूल बंद हो गए थे. पिछले दो साल से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थीं. बीच-बीच में स्कूलों का संचालन भी हुआ. दो साल से रखी बसें कंडम हो गईं. इनके टायर, शीशे सहित अन्य उपकरण खराब हो गए. अब कोविड-19 का संक्रमण नहीं होने से स्कूल पूरी क्षमता से खुल गए हैं और ऐसे में बसों से विद्यार्थियों की आवाजाही भी शुरू हो गई है लेकिन बस संचालकों ने स्कूल बसों की फिटनेस नहीं कराई है. भोपाल में 900 स्कूल बसें रजिस्टर्ड हैं, लेकिन 60 फीसदी बसों ने ही फिटनेस सर्टिफिकेट लिया है. स्कूल बसें मानकों को पूरा कर रही हैं या नहीं, इसकी जांच के लिये यह अभियान चलाया जा रहा है.

क्या -क्या है जरूरी बस में : फायर फाइटिंग सिस्टम, बस के इंडीकेटर्स, लाइट, ब्रेक, गेयर, सीसीटीवी कैमरा, जीपीआर सिस्टम, स्पीड गवर्नर, बस के दरवाजे और लॉक सिस्टम, इमरजेंसी दरवाजा, चालक-परिचालक के लाइसेंस. बस में हेल्पलाइन नंबर, चालक-परिचालक व स्कूल का नंबर. चैकिंग अभियान का उद्देश्य स्कूल बस में मिलने वाली खामियों को समय रहते सुधारा जा सकता और बच्चे सुरक्षित घर से स्कूल और स्कूल से घर आ-जा सकेंगे. विभागीय अधिकारियों का कहना हैं कि स्कूलों की बसें के लिए चैकिंग अभियान चलाया जाता है तो हर बार स्कूल संचालक यह बहाना कर बच जाते थे कि बच्चों को लाने-ले जाने के दौरान समय ही नहीं मिला.

यात्री और स्कूल बसों में आग की चेतावनी वाला सिस्टम जरूरी : सड़क मंत्रालय

इसके बाद कोई बहाना नहीं चलेगा : इस अभियान के बाद कोई भी बहाना नहीं बना सकेगा. भोपाल आरटीओ संजय तिवारी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल बसों की जांच के लिए विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा. इस दौरान स्कूल संचालकों और उनके ट्रांसपोटर्स को भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई. गाइडलाइन के अनुसार सुरक्षा के सभी उपाय करने की सख्त के हिदायत दी जाएगी कि स्कूल शुरू होने से पहले मेंटेनेंस से जुड़ी खामियां ठीक कर लें. फिर स्कूल शुरू होने के बाद भी जांच की जाएगी. (Campaign of RTO from July 18) (School buses check by RTO)

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