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आज से भोपाल में खुले धार्मिक स्थल, मास्क-सैनिटाइजर समेत किए जा रहे कोरोना से बचाव के उपाय - मंदिरों में कोरोना से बचाव के किए जा रहे उपाय

भोपाल में पिछले 84 दिनों से बंद मंदिरों को आज से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है. शहर के सभी मंदिरों में कोरोना संक्रमण से बचाव के तमाम उपाय किए गए हैं. शहर के बिरला मंदिर में भी कोरोना के मद्देनजर कई तरह के इंतजाम किए गए हैं.

Birla Temple
बिरला मंदिर
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Published : Jun 15, 2020, 12:04 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से राजधानी भोपाल में पिछले 84 दिनों से मंदिरों के पट बंद थे, लेकिन आज से सभी धार्मिक स्थल खोल दिए गए हैं. भोपाल के प्रसिद्ध बिरला मंदिर में कोरोना संक्रमण से बचाव के तमाम उपाय किए गए हैं. यहां मुख्य द्वार पर ही पानी की टंकी और हैंड वॉश रखा हुआ है. इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मंदिर परिसर में गोले बनाए गए हैं.

मंदिरों में कोरोना से बचाव के किए जा रहे उपाय

बिरला मंदिर परिसर में निगम का अमला लगातार सैनिटाइजेशन का काम कर रहा है. साथ ही यहां पर एक मास्क अकाउंट भी बनाया गया है. अगर किसी को भी मास्क की आवश्यकता हो तो वह इस काउंटर से ले सकता है. वहीं मंदिर के अंदर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा गया है. मंदिर में फूल माला और प्रसाद लाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके अलावा मंदिर में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं. जूते-चप्पल भी बाहर अपने वाहनों में या परिसर के बाहर ही उतारने के निर्देश हैं. वहीं मंदिर में लगी सभी घंटियां भी उतार ली गई हैं.

भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से राजधानी भोपाल में पिछले 84 दिनों से मंदिरों के पट बंद थे, लेकिन आज से सभी धार्मिक स्थल खोल दिए गए हैं. भोपाल के प्रसिद्ध बिरला मंदिर में कोरोना संक्रमण से बचाव के तमाम उपाय किए गए हैं. यहां मुख्य द्वार पर ही पानी की टंकी और हैंड वॉश रखा हुआ है. इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मंदिर परिसर में गोले बनाए गए हैं.

मंदिरों में कोरोना से बचाव के किए जा रहे उपाय

बिरला मंदिर परिसर में निगम का अमला लगातार सैनिटाइजेशन का काम कर रहा है. साथ ही यहां पर एक मास्क अकाउंट भी बनाया गया है. अगर किसी को भी मास्क की आवश्यकता हो तो वह इस काउंटर से ले सकता है. वहीं मंदिर के अंदर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा गया है. मंदिर में फूल माला और प्रसाद लाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके अलावा मंदिर में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं. जूते-चप्पल भी बाहर अपने वाहनों में या परिसर के बाहर ही उतारने के निर्देश हैं. वहीं मंदिर में लगी सभी घंटियां भी उतार ली गई हैं.

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