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Dussehra 2021: कर्ज लेकर बनाए दशानन, महंगाई के चलते नहीं मिल रहे रावण के खरीदार - दशहरा 2021

इस साल दशानन सज धज कर बाजार में बिकने को खड़े हैं, लेकिन उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. अपनी हुंकार से डरा देने वाले रावण का भाव इस बार गिर गया है. लोग हजार रुपये में भी रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.

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रावण
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Published : Oct 14, 2021, 1:40 PM IST

भोपाल। आम और खास सभी को कोरोना ने इस साल प्रभावित किया है. सब की हालत पतली बनी हुई है. इस बार दशहरे (Dussehra 2021) में जलने को तैयार रावण की हालत भी पतली है. दशानन सज धज कर बाजार में बिकने को खड़े हैं, लेकिन उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. अपनी हुंकार से डरा देने वाले रावण का भाव इस बार गिर गया है. लोग हजार रुपये में भी रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.

वाजिब दाम न मिलने से कारिगर परेशान.

महंगाई में महंगे बिक रहे पुतले
राजधानी के बांस खेड़ी, पंचशील नगर, लिंक रोड तीन सहित आधा दर्जन स्थानों पर पुतले बन रहे हैं. 500 रुपए से लेकर 50 हजार तक इनकी कीमत है, लेकिन इस रेट पर इनके खरीदार नहीं हैं. इस बार बड़े पुतले (Ravan Effigy) तैयार नहीं किए गए हैं. 15 फुट से 25 फुट तक के पुतले बनाए गए हैं. पुतले बनाने वाली कारीगर नेहा ने बताया कि पुतले बनाने के लिए जरूरी बांस जो पहले 150 रुपए में मिल जाता था, अब वह 200 से 250 में मिल रहा है. वहीं कागज के दाम भी डेढ़ रुपए से बढ़कर 10 रुपये तक हो गए हैं. ऐसे में 6 से 7 हजार के पुतले को ग्राहक से हजार से दो हजार में मांग रहे हैं.

कर्ज लेकर बनाये पुतले अब ग्राहक नहीं
कारीगर तुलसीराम बंशकार का कहना है कि कोरोना से पहले तक दशहरा से हफ्ते 8 दिन पहले से ही रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बिकने शुरू हो जाते थे और बुकिंग एडवांस में होती थी. इस बार पुतलों का ढेर लगा हुआ है और हजारों की संख्या में बनकर तैयार हैं, लेकिन इनके खरीदार नहीं आ रहे हैं. केवल कुछ समितियों ने ही बुकिंग की है. तुलसीराम ने बताया कि हमने कर्ज लेकर सामान खरीदा है. उधारी में काम चल रहा है. महंगाई भी बढ़ गई है लेकिन पुतलों के ग्राहक नहीं मिलने से हमारी परेशानी और बढ़ रही है.

133 साल पहले लालटेन की रोशनी में शुरू हुई रामलीला पहुंची 3D इफेक्ट तक, पीढ़ी दर पीढ़ी काम कर रहे कलाकार

लगभग 50 स्थानों पर होगा रावण दहन
राजधानी भोपाल में करीब 50 स्थानों पर बड़े आयोजनों के अलावा शहर में मोहल्लों और कालोनियों में 500 से अधिक जगह रावण दहन होगा. राजधानी भोपाल से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले ललितपुर, जबलपुर, इटारसी, बेगमगंज रायसेन, मंडीदीप सहित प्रदेश के अन्य शहरों में जाते हैं.

भोपाल। आम और खास सभी को कोरोना ने इस साल प्रभावित किया है. सब की हालत पतली बनी हुई है. इस बार दशहरे (Dussehra 2021) में जलने को तैयार रावण की हालत भी पतली है. दशानन सज धज कर बाजार में बिकने को खड़े हैं, लेकिन उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. अपनी हुंकार से डरा देने वाले रावण का भाव इस बार गिर गया है. लोग हजार रुपये में भी रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.

वाजिब दाम न मिलने से कारिगर परेशान.

महंगाई में महंगे बिक रहे पुतले
राजधानी के बांस खेड़ी, पंचशील नगर, लिंक रोड तीन सहित आधा दर्जन स्थानों पर पुतले बन रहे हैं. 500 रुपए से लेकर 50 हजार तक इनकी कीमत है, लेकिन इस रेट पर इनके खरीदार नहीं हैं. इस बार बड़े पुतले (Ravan Effigy) तैयार नहीं किए गए हैं. 15 फुट से 25 फुट तक के पुतले बनाए गए हैं. पुतले बनाने वाली कारीगर नेहा ने बताया कि पुतले बनाने के लिए जरूरी बांस जो पहले 150 रुपए में मिल जाता था, अब वह 200 से 250 में मिल रहा है. वहीं कागज के दाम भी डेढ़ रुपए से बढ़कर 10 रुपये तक हो गए हैं. ऐसे में 6 से 7 हजार के पुतले को ग्राहक से हजार से दो हजार में मांग रहे हैं.

कर्ज लेकर बनाये पुतले अब ग्राहक नहीं
कारीगर तुलसीराम बंशकार का कहना है कि कोरोना से पहले तक दशहरा से हफ्ते 8 दिन पहले से ही रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बिकने शुरू हो जाते थे और बुकिंग एडवांस में होती थी. इस बार पुतलों का ढेर लगा हुआ है और हजारों की संख्या में बनकर तैयार हैं, लेकिन इनके खरीदार नहीं आ रहे हैं. केवल कुछ समितियों ने ही बुकिंग की है. तुलसीराम ने बताया कि हमने कर्ज लेकर सामान खरीदा है. उधारी में काम चल रहा है. महंगाई भी बढ़ गई है लेकिन पुतलों के ग्राहक नहीं मिलने से हमारी परेशानी और बढ़ रही है.

133 साल पहले लालटेन की रोशनी में शुरू हुई रामलीला पहुंची 3D इफेक्ट तक, पीढ़ी दर पीढ़ी काम कर रहे कलाकार

लगभग 50 स्थानों पर होगा रावण दहन
राजधानी भोपाल में करीब 50 स्थानों पर बड़े आयोजनों के अलावा शहर में मोहल्लों और कालोनियों में 500 से अधिक जगह रावण दहन होगा. राजधानी भोपाल से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले ललितपुर, जबलपुर, इटारसी, बेगमगंज रायसेन, मंडीदीप सहित प्रदेश के अन्य शहरों में जाते हैं.

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