भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हिंदू धार्मिक ग्रंथ पढ़ाए जाएंगे. उन्होंने इन पूजनीय ग्रंथों का अपमान करने की कोशिश करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे कृत्यों को सहन नहीं किया जाएगा. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा रामायण पर आधारित हिंदू धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस पर विवादास्पद बयानों देने से सियासत का पारा गर्म है. इन नेताओं को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने चेतावनी दी है.
पवित्र ग्रंथ हमें जीवन जीना सिखाते हैं : सीएम शिवराज ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि रामायण प्राचीन महाकाव्य अमूल्य पवित्र ग्रंथ है. ये ग्रंथ मनुष्य के नैतिक चरित्र के निर्माण में मदद करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, श्रीभगवद गीता सभी हमारे अमूल्य ग्रंथ हैं. इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक और पूर्ण बनाने की पूरी क्षमता है. इसलिए हमारे धर्म ग्रंथों की शिक्षा भी हम शासकीय विद्यालयों में देंगे. गीता का सार, रामायण, रामचरितमानस तथा महाभारत के प्रसंग भी पढ़ाएंगे. क्यों नहीं पढ़ाना चाहिए भगवान राम को.’’
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बिहार व यूपी में बयानबाजी : सीएम शिवराज ने रामचरितमानस जैसे महाकाव्य लिखने के लिए 16वीं शताब्दी के भक्ति कवि तुलसीदास की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘‘रामायण ग्रंथ देने वाले तुलसीदास जी को मैं प्रणाम करता हूं. ऐसे लोग जो हमारे इन महापुरुषों का अपमान करते हैं, वह सहन नहीं किया जाएगा. मध्य प्रदेश में हमारे इन पवित्र ग्रंथों की शिक्षा देकर हम अपने बच्चों को नैतिक भी बनाएंगे, पूर्ण भी बनाएंगे. ’’ बता दें कि बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा रामायण पर दिए गए विवादास्पद बयान के बाद यूपी के समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का ‘‘अपमान’’ करने का आरोप लगाया था और कहा था कि इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.