भोपाल। साल 2018 में कांग्रेस सत्ता में तो आ गई थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार गिर गई. जिससे भाजपा की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ. लेकिन कांग्रेस को अब लग रहा है कि राहुल गांधी की यात्रा से इस बार कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी. कांग्रेस अपने दम पर सरकार बना लेगी.
कांग्रेस के पुराने समर्थक भी जोश में : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए परसराम आद्या (40) मजदूरी करते हैं. उनका कहना है कि हम तीन पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ हैं. यात्रा में शामिल होने के लिए मैंने एक दिन की मजदूरी छोड़ दी. परसराम को खरगोन में राहुल गांधी के साथ बातचीत करने का मौका मिला. यात्रा में साथ चल रहे लोग बताते हैं कि राहुल गांधी बगैर थके लोगों की बातें ध्यान से सुन रहे हैं. खास बात यह है कि इस यात्रा ने लोगों के बीच रुचि पैदा की है और बहुत से लोग जो सीधे तौर पर कांग्रेस से जुड़े नहीं हैं, वे जिज्ञासा से इसमें शामिल हुए हैं. उनमें से कुछ नेहरू-गांधी परिवार के वंशज को करीब से देखना चाहते थे. खंडवा जिले के अपने रुस्तमपुर गांव से यात्रा के दौरान स्कूली छात्रा नेहा ने कहा, मैंने राहुल गांधी को टीवी पर ही देखा था.अब मैंने उन्हें अपने गांव में आमने-सामने देखा है.
बीजेपी के राष्ट्रवाद के मुद्दे का जवाब : यात्रा में एक व्यक्ति हमेशा राहुल गांधी के साथ राष्ट्रीय ध्वज हाथ में लेकर चलता है और कांग्रेस नेता की जनसभाओं के दौरान मंच पर भी मौजूद रहता है. जब भी राहुल गांधी मंच से तिरंगे का जिक्र करते हैं तो लोग उत्साह से प्रतिक्रिया देते नजर आते हैं. मध्य प्रदेश की राजनीति के जानकार मानते हैं कि राष्ट्रवाद के मुद्दे को भाजपा ने एक प्रकार से हथिया लिया है. लेकिन राहुल गांधी की इस यात्रा से बीजेपी का राष्ट्रवाद का मुद्दा छिनता लगता है.
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क्या ये यात्रा सत्ता की यात्रा बनेगी : जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी की यात्रा आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है. लेकिन सत्ता की यात्रा अभी भी आसान नहीं है. यह पार्टी के संगठन पर निर्भर करता है कि वह नवंबर 2023 तक यात्रा के दौरान उठाए गए मुद्दों को कैसे जीवित रखती है. वहीं एमपी बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कहा कि इस यात्रा से प्रदेश में कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला.