भोपाल। प्यारे मियां यौन शोषण मामले में पीड़िता की मौत के बाद पुलिस की निगरानी में अंतिम संस्कार किया गया है. पीड़िता की मौत के बाद उसके परिजन शव का इंतजार घर पर कर रहे थे. लेकिन भोपाल पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गई. जहां परिवार जनों को बुलाकर जबरदस्ती अंतिम संस्कार कर दिया. जिसके बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कमलनाथ ने इस घटना पर सवाल खड़े किए हैं. राहुल गांधी ने इस घटना की तुलना हाथरस से की है,तो कमलनाथ ने घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. वहीं गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस घटना को लेकर पुलिस का पक्ष रखा है और मुख्यमंत्री से जांच कराए जाने का निवेदन करने की बात की है.
राहुल गांधी ने की हाथरस की घटना से की तुलना
इस घटना को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा है कि हाथरस जैसी अमानवीय तक कितनी दोहरायी जाएगी. भाजपा सरकार महिला सुरक्षा में तो फेल है ही,पीड़ितों और उनके परिवार से मानवीय व्यवहार करने में असमर्थ भी है.
कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि बेहद निंदनीय, बेहद शर्मनाक. शिवराज सरकार में भांजियां कही भी सुरक्षित नहीं. प्रदेश की राजधानी में यौन शोषण की शिकार मासूम बच्चियां बालिका गृह में भी सुरक्षित नहीं. कितनी अमानवीयता, मृत पीड़िता को उसके घर तक नहीं जाने दिया, उससे अपराधियों जैसा व्यवहार.
उसके परिवार को अंतिम रीति- रिवाजों से भी वंचित किया गया , यह कैसी निष्ठुर व्यवस्था ? कहां है ज़िम्मेदार ? प्रदेश को कितना शर्मशार करेंगे ? मामला बेहद गंभीर, मामले की सीबीआई जांच हो, बाक़ी बालिकाओं को भी पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जावे.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है. मामले की सीबीआई जांच हो. बाकी बालिकाओं को भी पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए. उनके इलाज की भी समुचित व्यवस्था हो. दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई है.
क्या है मामला?
प्यारे मियां यौन शोषण मामले में यौन शोषण मामले की पीड़िता ने 4 दिन पहले नींद की गोलियां खा ली थी. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ी और हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. पीड़िता के मौत के बाद गुरुवार को पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गई. जहां पुलिस की निगरानी में विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में पीड़िता ही फरियादी भी थी. पीड़िता के परिजन घर पर बेटी के शव का इंतजार कर रहे थे. लेकिन पुलिस उन्हें शव सौंपना ही नहीं चाहती थी. पीड़िता की मां ने बताया कि वह अपनी बेटी के शव का घर पर इंतजार करती रही और पुलिस ने सीधे अंतिम संस्कार विश्राम घाट पर करा दिया. सवाल यह है कि आखिर ऐसा करने के पीछे क्या जल्दबाजी थी?
पढ़ें :प्यारे मियां यौन शोषण मामला: पुलिस ने पीड़ित का सीधे कराया अंतिम संस्कार, मां करती रही घर पर इंतजार
पीड़िता की मां का आरोप
नाबालिग की मां का आरोप है कि बच्ची की मौत के बाद पीड़िता के चाचा और पिता ने शव घर ले जाने की जिद की. लेकिन पुलिस ने शव देने से इंकार कर दिया. बच्ची का शव सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गए. पीड़िता की मां का यह भी कहना है कि हम बच्ची का अंतिम संस्कार अपने रीति-रिवाज के साथ करना चाहते थे. लेकिन पुलिस ने मुझसे और बच्ची के पिता से जबरदस्ती साइन कराकर गाड़ी में लेकर शव विश्राम घाट ले गए. जहां मेरी बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया.