मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले की जांच पर सवाल उठने लगे हैं. मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी में बार-बार किए जा रहे बदलावों को लेकर से जांच पर संदेह और गहरा गया है. पिछले 16 दिनों में चौथी बार एसआईटी में बदलाव किया गया है. अब इस मामले की जांच डीजी राजेंद्र कुमार को सौंप दी गई है. वहीं पूर्व चीफ संजीव शमी ने जांच से जुड़े सभी दस्तावेज डीजी राजेंद्र कुमार को सौंप दिए हैं.
हाईप्रोफाइल हनीट्रैप मामले को लेकर गठित की गई एसआईटी में बार-बार बदलाव से मामले से जुड़े कंटेंट की गोपनीयता और जांच पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं.अब नए एसआईटी चीफ डीजी राजेंद्र कुमार को पूर्व चीफ संजीव शमी ने इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सौंप दिए हैं. इस मामले में दोनों अधिकारियों के बीच बंद कमरे में करीब ढाई घंटे चर्चा भी हुई.
एसआईटी चीफ की कमान संभालने के बाद एडीजी राजेंद्र कुमार ने इंदौर की एसएसपी रुचिवर्धन मिश्रा और अन्य अधिकारियों से भी मामले से जुड़ी जानकारियां ली है.
ऐसे हुए हनीट्रैप मामले की जांच कर रही एसआईटी में बदलाव
⦁ 17 सितंबर को इंदौर के पलासिया थाने में इस मामले से जुड़ी पहली एफआईआर दर्ज की गई। उस वक्त जांच में 15 से ज्यादा पुलिसकर्मी शामिल थे.
⦁ 20 सितंबर को मामले में एफआईआर दर्ज करने वाले थाना प्रभारी अजीत सिंह बैंस को हटाया गया.
⦁ 23 सितंबर को सीआईडी आईजी डी श्रीनिवास वर्मा की अध्यक्षता में हनीट्रैप मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई। जिसमें 6 अफसर शामिल थे.
⦁ 24 सितंबर को एसआईटी चीफ बनाए गए डी.श्रीनिवास वर्मा को हटाकर संजीव शमी को एसआईटी चीफ बनाया गया। साथ ही टीम में दो नए अफसरों को भी शामिल किया गया.
⦁ 1 अक्टूबर को संजीव शमी को भी हटाया गया और राजेंद्र कुमार को एसआईटी चीफ बनाया गया। इस बार 3 सदस्यीय टीम बनी और आदेश में लिखा गया की जरूरत के अनुसार और भी पुलिस अधिकारियों की सेवाएं ली जा सकती हैं.