भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश में स्कूलों को खुले एक माह होने जा रहा है. लेकिन प्रदेश के शासकीय और आशासकिए स्कूलों में छात्रों की संख्या अब भी 30% से कम देखने को मिल रही है. राजधानी में दर्जनों निजी स्कूलों में अब भी ताले लगे हुए हैं. वहीं शासकीय स्कूलों में भी छात्रों की उपस्थिति धीरे धीरे कम हो रही है. स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या को लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री का कहना है कि ज़रूरी नहीं छात्र स्कूल आकर ही पढ़ाई करें. संक्रमण का खतरा अभी टला नही है. ऐसे में स्कूल आने और नहीं आने का अंतिम निर्णय छात्र और अभिभावकों का है. छात्र ऑनलाइन कक्षाये ले रहे हैं और विभाग की योजनाओं का भी लाभ ले रहे हैं.
18 दिसंबर से खुले स्कूल एक माह बाद भी छात्रों उपस्थिति 10%
स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशों के बाद प्रदेश के सभी शासकीय और आशासकिये स्कूल 18 दिसंबर से खुल चुके हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण का प्रकोप अब भी स्कूली शिक्षा पर मंडरा रहा है. यही वजह है कि प्रदेश में स्कूल खुलने के बाद भी छात्रों की संख्या 30% से भी कम देखने को मिल रही है. निजी स्कूलों में 10% छात्र भी ऑफलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो रहे हैं. वहीं शासकीय स्कूलों में यह संख्या 30% से कम है. एक कक्षा में केवल 8 से 10 बच्चों की उपस्थिति लग रही है.
बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों के लिए खुले स्कूल
विभाग ने बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं के स्कूलों को खोलने के आदेश जारी किए थे. शुरुआत में शासकीय स्कूलों में छात्रों की संख्या 50% तक देखने को मिल रही थी, लेकिन अब धीरे धीरे शासकीय स्कूलों में भी छात्रो की संख्या कम हो गई है. बच्चे ऑनलाइन क्लास में ही उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. वहीं निजी स्कूलों में 90 फीसदी छात्र ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ रहे हैं. जबकि स्कूल में छात्रों की संख्या 10% भी नहीं है.
बस सर्विस नहीं मिलने के कारण छात्र एब्सेंट
स्कूल प्रबंधन का मानना है कि छात्र इसलिए स्कूल नहीं आ पा रहे, क्योंकि बस सुविधा छात्रों को नहीं मिल पा रही. स्कूल से घर का डिस्टेन्स काफी ज्यादा है और स्कूल में 70% छात्र बस या वेन के माध्यम से स्कूल आते हैं. कोरोना के चलते 8 माह से बंद पड़ी बसों की सर्विस शुरू करने में थोड़ा वक्त लगेगा. उन्होंने कहा बस सर्विस शुरू करने के लिए हमने सरकार के समक्ष मांग रखी है कि सरकार बसों का टैक्स माफ करे, जिससे बस संचालक स्कूल बस सर्विस शुरू कर सकें. उन्होंने कहा जैसे ही बस सर्विस शुरू होगी, छात्रों की संख्या 90 फीसदी देखने को मिलेगी.
छात्रों का स्कूल आना अनिवार्य नहीं
वहीं स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या को लेकर प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि ज़रूरी नहीं छात्र स्कूल आकर ही पढ़ाई करें. उन्होंने कहा स्कूलों को खोलने का निर्णय उन छात्रों को देखते हुए किया गया था. जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जिनके पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कोई विकल्प नहीं है, ऐसे छात्र स्कूल आ सके और आने वाली परीक्षाओं के लिए तैयारी करें, जो छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं. वे ऑनलाइन जुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा स्कूलों को खोलने से पहले ही गाइडलाइन दी गई थी. जो छात्र इछुक है वही स्कूल आये ऐसे में छात्रों की संख्या कम होने से पढ़ाई पर कोई असर नहीं होगा. विभाग की योजनाएं छात्रों तक पहुंच रही है और छात्रों की सुरक्षा विभाग के लिए प्राथमिकता है.