भोपाल। पिछले दिनों कांग्रेस के मुरैना जिले की जौरा विधानसभा के विधायक बनवारी लाल शर्मा का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. उनके निधन को करीब एक महीना बीत चुका है और 6 महीने के अंदर जौरा विधानसभा के उपचुनाव संपन्न होंगे. ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
एक तरफ सत्ताधारी दल कांग्रेस को जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भरोसा है, तो कमलनाथ सरकार के एक साल के कामकाज से जीत की उम्मीद है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी पूरी ताकत के साथ उप चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और कांग्रेस की गुटबाजी में अपनी जीत का फार्मूला तलाश रही है. फिलहाल चुनाव आयोग ने जौरा विधानसभा का उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है. लेकिन दोनों राजनीतिक दलों ने जीत के लिए अपने मोहरे तलाश करना शुरू कर दिया है.
उपचुनाव की स्थिति को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि बहुत दुखद है कि बनवारी लाल शर्मा के निधन के बाद जौरा में उपचुनाव की स्थितियां बनी हैं. एक संवैधानिक प्रक्रिया है कि वहां पर उपचुनाव संपन्न होंगे. जहां तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का विषय है, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2008 से लेकर जब-जब ग्वालियर चंबल संभाग में उपचुनाव हुआ है. तो सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीता है. इस बार भी कांग्रेस मुख्यमंत्री कमलनाथ और सिंधिया के नेतृत्व में उप चुनाव जीतेगी.
वहीं बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि दिवंगत विधायक के कारण जौरा विधानसभा के उपचुनाव 6 महीने के भीतर होंगे. बीजेपी उपचुनाव प्रतिबद्धता के साथ लड़ेगी. पूरी क्षमता और पूरी ताकत के साथ लड़ेगी. जनता में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश है. कांग्रेस के हाल तो ये हैं कि जौरा में सिंधिया की कांग्रेस अलग है, दिग्विजय सिंह की कांग्रेस अलग और कमलनाथ की कांग्रेस कहीं काम ही नहीं कर रही है.