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कोयले की कमी से मध्यप्रदेश में होने लगी बत्ती गुल, अभी और गहराएगा बिजली संकट

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Published : Apr 15, 2022, 3:43 PM IST

मध्यप्रदेश में बिजली संकट शुरू हो गया है. ये संकट अभी और बढ़ेगा, क्योंकि प्रदेश में कोयले की भारी कमी हो गई है. केंद्र से मिलने वाले कोयले की खपत में कमी आ गई है. प्रदेश के कई जिलों में आठ घंटे से ज्यादा बिजली कटौती की जा रही है. इस समस्या को लेकर मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने दिल्ली पहुंचकर समस्या हल करने की गुहार लगाई है. (Power crisis in Madhya Pradesh) (Power crisis due to lack of coal)

Power crisis due to lack of coal
मध्यप्रदेश में बिजली संकट शुरू

भोपाल। पूरा प्रदेश गर्मी से झुलस रहा है. बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन घट रहा है. कोयले की कमी के चलते बिजली की अघोषित कटौती शुरू हो गई है. गुरुवार को बिजली की डिमांड 10, 965 मेगावाट थी और प्रदेश का बिजली उत्पादन महज 5065 मेगावाट और सेंट्रल सेक्टर से बिजली उत्पादन 4785 मेगावाट रहा. बिजली की आपूर्ति के लिए 800 मेगावॉट बिजली ओवरड्रॉ करनी पड़ी.

अभी और बढ़ेगा बिजली संकट : मध्यप्रदेश को केंद्र से जो कोयला मिलना था, वो मिल नहीं पा रहा. भीषण गर्मी में मध्यप्रदेश के कई जिलों में आठ घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है. सिंचाई के लिए बिजली का संकट गहरा गया है. प्रदेश के थर्मल पॉवर हाउस में महज 1 से 5 दिन तक का कोयला बचा है. प्रदेश के चारों थर्मल पॉवर प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं. प्रदेश में बिजली संकट की समस्या लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर दिल्ली पहुंचे और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले. मध्यप्रदेश में कोयले के परिवहन के लिए रोजाना 12.5 रैक की जरूरत होती है, जबकि कोयले के केवल 8.6 रैक ही मिल पा रहे हैं. इस वजह से रोजाना 15600 मीट्रिक टन कोयला कम मिल रहा है.

शिवराज सिंह चौहान के 'बुलडोजर एक्ट' को मिला पार्टी का समर्थन

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने लगाई दिल्ली में गुहार : प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि थर्मल पॉवर हाउस से बिजली उत्पादन क्षमता 4570 मेगावाट है. मैंने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही कोयले की आपूर्ति मध्यप्रदेश को की जाएगी. रूस -यूक्रेन युद्ध के चलते कोयले की आपूर्ति में बाधा आ रही है. विदेश से कोयला इम्पोर्ट में दिक्कत आ रही है. गौरतलब है कि प्रावधान के मुताबिक यहां 26 दिन का कोयला होना जरूरी है. यानि 40 लाख 5600 मीट्रिक टन कोयला रहना चाहिए.

कम बारिश से बांधों में पानी कम : कम वर्षा होने के कारण हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से संबंधित बांध करीब 30 फीसद ही भर पाए हैं. जबलपुर से खंडवा तक के क्षेत्रों में बारिश कम होने से बांधों में पर्याप्त पानी नहीं है. इससे बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है. भीषण गर्मी के चलते बिजली की खपत दोगनी बढ़ गई है. लोड बढ़ने से अचानक बिजली गुल होने की समस्या भी बढ़ने लगी है. बिजली कंपनी के कॉल सेंटर में पिछले 24 घंटे में 45 हज़ार से ज्यादा शिकायत मिली हैं. (Power crisis in Madhya Pradesh) (Power crisis due to lack of coal)

भोपाल। पूरा प्रदेश गर्मी से झुलस रहा है. बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन घट रहा है. कोयले की कमी के चलते बिजली की अघोषित कटौती शुरू हो गई है. गुरुवार को बिजली की डिमांड 10, 965 मेगावाट थी और प्रदेश का बिजली उत्पादन महज 5065 मेगावाट और सेंट्रल सेक्टर से बिजली उत्पादन 4785 मेगावाट रहा. बिजली की आपूर्ति के लिए 800 मेगावॉट बिजली ओवरड्रॉ करनी पड़ी.

अभी और बढ़ेगा बिजली संकट : मध्यप्रदेश को केंद्र से जो कोयला मिलना था, वो मिल नहीं पा रहा. भीषण गर्मी में मध्यप्रदेश के कई जिलों में आठ घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है. सिंचाई के लिए बिजली का संकट गहरा गया है. प्रदेश के थर्मल पॉवर हाउस में महज 1 से 5 दिन तक का कोयला बचा है. प्रदेश के चारों थर्मल पॉवर प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं. प्रदेश में बिजली संकट की समस्या लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर दिल्ली पहुंचे और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले. मध्यप्रदेश में कोयले के परिवहन के लिए रोजाना 12.5 रैक की जरूरत होती है, जबकि कोयले के केवल 8.6 रैक ही मिल पा रहे हैं. इस वजह से रोजाना 15600 मीट्रिक टन कोयला कम मिल रहा है.

शिवराज सिंह चौहान के 'बुलडोजर एक्ट' को मिला पार्टी का समर्थन

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने लगाई दिल्ली में गुहार : प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि थर्मल पॉवर हाउस से बिजली उत्पादन क्षमता 4570 मेगावाट है. मैंने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही कोयले की आपूर्ति मध्यप्रदेश को की जाएगी. रूस -यूक्रेन युद्ध के चलते कोयले की आपूर्ति में बाधा आ रही है. विदेश से कोयला इम्पोर्ट में दिक्कत आ रही है. गौरतलब है कि प्रावधान के मुताबिक यहां 26 दिन का कोयला होना जरूरी है. यानि 40 लाख 5600 मीट्रिक टन कोयला रहना चाहिए.

कम बारिश से बांधों में पानी कम : कम वर्षा होने के कारण हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से संबंधित बांध करीब 30 फीसद ही भर पाए हैं. जबलपुर से खंडवा तक के क्षेत्रों में बारिश कम होने से बांधों में पर्याप्त पानी नहीं है. इससे बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है. भीषण गर्मी के चलते बिजली की खपत दोगनी बढ़ गई है. लोड बढ़ने से अचानक बिजली गुल होने की समस्या भी बढ़ने लगी है. बिजली कंपनी के कॉल सेंटर में पिछले 24 घंटे में 45 हज़ार से ज्यादा शिकायत मिली हैं. (Power crisis in Madhya Pradesh) (Power crisis due to lack of coal)

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