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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग को लेकर MP में सियासत, बीजेपी-कांग्रेस अपनी-अपनी सरकारों को दे रहीं श्रेय - Labor reform

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में मध्यप्रदेश को चौथा स्थान मिला है. 2017-18 में मध्य प्रदेश सातवें स्थान पर था. अब इसको लेकर मध्यप्रदेश में सियासत शुरु हो गई है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी-अपनी सरकारों को रैंकिंग सुधार का श्रेय दे रहे हैं.

Kunal Chaudhary and Rajneesh Aggarwal
कुणाल चौधरी और रजनीश अग्रवाल
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Published : Sep 6, 2020, 3:00 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में श्रम कानून में बदलाव और निवेश बढ़ाने का फायदा प्रदेश को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस अवार्ड के रूप में मिला है. दरअसल 2017-18 में मध्य प्रदेश सातवें स्थान पर था, लेकिन साल 2019 के दौरान किए गए सर्वे के बाद मध्य प्रदेश सातवें स्थान से सीधा चौथे स्थान पर पहुंच गया है, लेकिन अब इज ऑफ बिजनेस डूइंग की रैंकिंग में सुधार को लेकर मध्यप्रदेश में सियासत तेज हो गई है.

MP में सियासत

कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी-अपनी सरकारों को रैंकिंग सुधार का श्रेय दे रहे हैं. कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि 15 महीने में कांग्रेस ने एक शुरुआत की थी. एक नया सिस्टम बनाया था. कांग्रेस ने कोशिश की इसका नतीजा रैंकिंग में सुधार आया है और मध्यप्रदेश 7 से 4 नंबर पर आया है. पहले सिस्टम नहीं सिर्फ माफिया राज चलता था नए सिस्टम के कारण ही रैंकिंग सुधरी है. उनका कहना है कि कोविड के कारण पुराना सिस्टम अभी तक चल रहा है, लेकिन आने वाले समय में माफिया राज मध्य प्रदेश का सिस्टम बिगाड़ सकता है.

वहीं बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश का ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैकिंग में सुधार भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार द्वारा लेबर रिफॉर्म समेत तमाम नीतियों में बदलाव लाने की वजह से रैंकिंग सुधरी है. कांग्रेस के लोग तो सिर्फ झूठा क्रेडिट लेने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेसी तो सिर्फ कमलनाथ की चापलूसी करकर खुद के नंबर बढ़ाना चाहते हैं.

क्या हैं इज ऑफ बिजनेस डूइंग रैंकिंग

बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान के क्रियान्वयन के आधार पर राज्यों की रैंकिंग वर्ष 2015 में शुरू हुई थी. वर्ष 2018 की अवधि में सुधार के लिए 187 बिन्दु निर्धारित थे, जिन पर मूल्यांकन किया गया. मूल्यांकन उपयोगकर्ता की प्रतिक्रिया पर आधारित था. मध्यप्रदेश ने पिछली रैंकिंग की तुलना में 3 स्थानों की छलांग लगाई है और इस बार जारी रैंकिंग में सातवें स्थान से ऊपर उठकर चौथा स्थान प्राप्त किया है. वहीं बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान 2018-19 में शीर्ष 10 राज्यों में आन्ध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और गुजरात शामिल है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में श्रम कानून में बदलाव और निवेश बढ़ाने का फायदा प्रदेश को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस अवार्ड के रूप में मिला है. दरअसल 2017-18 में मध्य प्रदेश सातवें स्थान पर था, लेकिन साल 2019 के दौरान किए गए सर्वे के बाद मध्य प्रदेश सातवें स्थान से सीधा चौथे स्थान पर पहुंच गया है, लेकिन अब इज ऑफ बिजनेस डूइंग की रैंकिंग में सुधार को लेकर मध्यप्रदेश में सियासत तेज हो गई है.

MP में सियासत

कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी-अपनी सरकारों को रैंकिंग सुधार का श्रेय दे रहे हैं. कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि 15 महीने में कांग्रेस ने एक शुरुआत की थी. एक नया सिस्टम बनाया था. कांग्रेस ने कोशिश की इसका नतीजा रैंकिंग में सुधार आया है और मध्यप्रदेश 7 से 4 नंबर पर आया है. पहले सिस्टम नहीं सिर्फ माफिया राज चलता था नए सिस्टम के कारण ही रैंकिंग सुधरी है. उनका कहना है कि कोविड के कारण पुराना सिस्टम अभी तक चल रहा है, लेकिन आने वाले समय में माफिया राज मध्य प्रदेश का सिस्टम बिगाड़ सकता है.

वहीं बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश का ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैकिंग में सुधार भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार द्वारा लेबर रिफॉर्म समेत तमाम नीतियों में बदलाव लाने की वजह से रैंकिंग सुधरी है. कांग्रेस के लोग तो सिर्फ झूठा क्रेडिट लेने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेसी तो सिर्फ कमलनाथ की चापलूसी करकर खुद के नंबर बढ़ाना चाहते हैं.

क्या हैं इज ऑफ बिजनेस डूइंग रैंकिंग

बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान के क्रियान्वयन के आधार पर राज्यों की रैंकिंग वर्ष 2015 में शुरू हुई थी. वर्ष 2018 की अवधि में सुधार के लिए 187 बिन्दु निर्धारित थे, जिन पर मूल्यांकन किया गया. मूल्यांकन उपयोगकर्ता की प्रतिक्रिया पर आधारित था. मध्यप्रदेश ने पिछली रैंकिंग की तुलना में 3 स्थानों की छलांग लगाई है और इस बार जारी रैंकिंग में सातवें स्थान से ऊपर उठकर चौथा स्थान प्राप्त किया है. वहीं बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान 2018-19 में शीर्ष 10 राज्यों में आन्ध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और गुजरात शामिल है.

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