भोपाल। राज्यसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. एक तरफ जहां बीजेपी दावा कर रही है कि कांग्रेस में एक बार और बगावत हो सकती है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस चुपचाप बीजेपी के असंतोष पर पैनी नजर रखे हुए है. दरअसल बीजेपी की मध्यप्रदेश में सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल को लेकर इतना असंतोष पनप रहा है कि सरकार बने करीब ढाई महीना बीत जाने के बाद ही शिवराज सरकार सिर्फ पांच मंत्रियों के भरोसे चल रही है. दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख पर तारीख आ रही है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पा रहा है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि नारायण त्रिपाठी और शरद कौल सहित करीब पांच विधायक पहले से ही कमलनाथ के संपर्क में थे. अब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर असंतोष के कारण तीन पूर्व मंत्री सहित तीन विधायक कमलनाथ के संपर्क में हैं. वहीं परिस्थितियां अगर कांग्रेस के पक्ष में जाती हैं, तो निर्दलीय और अन्य दल के साथ विधायक भी कांग्रेस के साथ खड़े नजर आएंगे. अगर यह सब राज्यसभा चुनाव के पहले हो गया, तो बीजेपी को ऑपरेशन लोटस का जवाब उसी के अंदाज में मिल सकता है.
बीजेपी नेताओं में असंतोष
पहले मिनी मंत्रिमंडल में सिंधिया खेमे के दो पूर्व विधायकों को मंत्री बनाए जाने से बीजेपी के समीकरण गड़बड़ा गए हैं. सागर जिले से गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाए जाने के कारण 8 बार के विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, शिवराज सिंह के करीबी भूपेंद्र सिंह,अनुसूचित जाति वर्ग से लगातार तीन बार विधायक बन चुके प्रदीप लारिया और जैन समुदाय से आने वाले तीन बार के विधायक शैलेंद्र जैन नाराज बताए जा रहे हैं. इनको डर है कि अगर गोविंद सिंह राजपूत बीजेपी में स्थापित हो जाते हैं, तो भविष्य में भी इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. ऐसी ही परिस्थितियां इंदौर जिले में निर्मित हुई हैं. वहां पर सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक तुलसीराम सिलावट को मंत्री बनाए जाने के कारण बीजेपी विधायकों में असंतोष देखने को मिल रहा है.
डैमेज कंट्रोल करने में जुटी बीजेपी
मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा मतों से जीत हासिल करने वाले कैलाश विजयवर्गीय के करीबी रमेश मेंदोला, तीन बार की विधायक मालिनी गौड़, आरएसएस की करीबी उषा ठाकुर और पूर्व मंत्री महेंद्र हार्डिया भी सागर जैसी परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. पार्टी में डैमेज कंट्रोल के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाई है. अभी तक बीजेपी को डर था कि मंत्रिमंडल के विस्तार से उपजे असंतोष के कारण सरकार ना गिर जाए. अब बीजेपी को राज्यसभा चुनाव में बगावत का भी डर सता रहा है. दरअसल जब बीजेपी ऑपरेशन लोटस चला रही थी. तब भी कुछ विधायक कांग्रेस के संपर्क में थे, लेकिन तब बीजेपी ने अपने विधायकों को गुरुग्राम भेजकर कांग्रेस की कोशिशों को नाकाम कर दिया था. लेकिन सरकार बनते ही बीजेपी में असंतोष इस कदर पनपा कि उस पर काबू पाने में भाजपा को पसीना आ रहा है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी कई बार यह बयान दे चुके हैं कि एक बार भाजपा अपना मंत्रिमंडल बना ले फिर सारी हकीकत सामने आ जाएगी. इन परिस्थितियों में बीजेपी मंत्रिमंडल विस्तार टाल रही है, लेकिन भाजपा के सामने अब राज्यसभा की चुनौती है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने दो लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करा चुके हैं और अब उपचुनाव को लेकर 10 लोगों को और मंत्रिमंडल में शामिल कराना चाहते हैं. ऐसी स्थिति में बीजेपी के पास सिर्फ 12 मंत्रियों के लिए जगह खाली बच रही है. जिसमें निर्दलीय और अन्य दलों के लोगों को भी शामिल करने की चर्चा है और भविष्य में असंतोष ना पनपे इसके लिए कुछ मंत्री पद भी खाली रखना चाहते हैं. इन परिस्थितियों में सिर्फ बीजेपी के 10 या 12 नेता मंत्रिमंडल में स्थान हासिल करते दिखाई दे रहे हैं. जबकि सिर्फ सागर और इंदौर में ही 8 दावेदार मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कशमकश कर रहे हैं.
कांग्रेस ने किया राज्यसभा चुनाव जीत का दावा
वहीं कई ऐसे वरिष्ठ विधायक हैं जो 15 साल की बीजेपी सरकार में भी मंत्री पद हासिल नहीं कर सके. उस समय बगावत का डर इसलिए नहीं था, क्योंकि तीनों बार बीजेपी ने भारी बहुमत हासिल की थी, लेकिन अब बीजेपी के लिए चुनौती काफी बड़ी है. इन परिस्थितियों को देखकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए बेंगलूरु में रीति-नीति, सिद्धांत और पंच निष्ठा सबकी जिस तरह तिलांजलि दी है. उससे बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ताओं में बेचैनी है. वह इस तरह की खरीद-फरोख्त और सत्ता लोलुपता के पक्षधर नहीं थे. साथ ही कोरोना काल में जिस तरह शिवराज सरकार असफल हुई है और कमलनाथ सरकार के जन हितेषी कार्यों को शिवराज सरकार ने बंद किया है. उस वजह से विधायक अपने क्षेत्र में जनता का सामना नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही मंत्रिमंडल में बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता ना देकर जो बीजेपी को बरसों से गालियां दे रहे थे और आलोचना कर रहे थे, उन नेताओं को मंत्री बनाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में बीजेपी में बगावत निश्चित है. यह नेता किसी भी स्थिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना मत देने के लिए तैयार नहीं हैं. अजय सिंह का कहना है कि राज्यसभा चुनाव कांग्रेस ही जीतेगी.