भोपाल। लोकतंत्र में संसद और विधानसभा का अपना महत्व है. जनता की परेशानियों, मांगो और उनको उठाने के लिए उनके चुने गए प्रतिनिधि इन मंचों का उपयोग करते हैं. लेकिन पिछले एक साल से मध्य प्रदेश में विधानसभा का सत्र सुचारु रुप से संचालित नहीं हो पा रहा है. जैसे-तैसे 28 दिसंबर से तीन दिवसीय सत्र आहूत करने का कार्यक्रम तय हुआ था. लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे पर ऐसा दबाव बनाया कि सियासी दावों के कारण ये सत्र भी स्थगित हो गया. इस सत्र में जहां विधानसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर का चुनाव होना था. तो वहीं लव जिहाद पर बनाए गए कानून को भी पेश किया जाना था. इसके अलावा अनुपूरक बजट भी पेश होने वाला था. लेकिन सत्ता पक्ष ने सत्र के पहले ही विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए सियासी दांव चला, तो विपक्ष ने ऐसे आक्रमक तेवर दिखाए कि सत्ता पक्ष के लिए कोरोना आपदा में अवसर बन कर आई. विधानसभा के कर्मचारियों और विधायकों के कोरोना संक्रमित होने के नाम पर शीतकालीन तीन दिवसीय सत्र टाल दिया गया है.
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सीबीडीटी रिपोर्ट से विपक्ष और सिंधिया खेमे पर दबाव बनाने की चाल
मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में इस समय सीबीडीटी की उस रिपोर्ट की जमकर चर्चा है, जो रिपोर्ट सीबीडीटी ने केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजे जाने की बात कही है. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार के कई मंत्रियों और विधायकों ने पैसा इकट्ठा किया था. और चुनाव लड़ने में उपयोग किया था. इसमें कांग्रेस के विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो चुके सिंधिया समर्थकों के भी नाम थे.
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कोरोना के नाम पर भाग रही है सरकार
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया कहते हैं कि सरकार कोरोना के नाम से भाग रही है. लोगों के बीच जवाब देने का काम नहीं कर पा रही है. जबकि उनको जवाब देना चाहिए. स्पीकर डिप्टी स्पीकर के चुनाव टालने की कोशिश कर रहे हैं. यहां तक कि पंचायत और नगर निगम के भी चुनाव टाल दिए हैं.
मध्य प्रदेश में देखने लायक होगी बगावत
पूर्व मंत्री और विधायक सज्जन सिंह वर्मा कहते हैं कि हम तो चाहते हैं कि स्पीकर डिप्टी स्पीकर के चुनाव हों. लेकिन बीजेपी में बड़े जादूगर लोग बैठे हैं. वह कोशिश करते हैं कि बला टलती रहे. क्योंकि उस दिन जो बगावत होगी, वह पूरे मध्य प्रदेश में देखने लायक रहेगी. अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव कितने विधायक इधर-उधर भागते हैं, देखने लायक रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि मेरी कमलनाथ को सलाह है कि स्पीकर, डिप्टी स्पीकर के चुनाव लड़ना चाहिए. हार जीत से हम ऊपर हैं. वोटिंग के दिन पता चल जाएगा कि कितने बीजेपी के विधायक कांग्रेस को वोट करते हैं.
दबाव बनाने की कोशिश
सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह रिपोर्ट काफी पहले आ चुकी थी. लेकिन इस रिपोर्ट को दबाकर रखा गया है. चर्चा ये भी है कि विधानसभा सत्र के करीब 10 दिन पहले इस रिपोर्ट को मीडिया के जरिए सुर्खियों में लाया गया और सत्ताधारी दल ने एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की. कांग्रेस पर दबाव बनाने के साथ-साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले सिंधिया समर्थकों पर इस रिपोर्ट के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की गई है.
रिपोर्ट के खुलासे पर विपक्ष ने दिखाए आक्रमक तेवर
सत्ताधारी दल ने इस रिपोर्ट के जरिए विपक्ष पर दबाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. यहां तक की EOW से जांच कराने की बात की जा रही थी. मुख्यमंत्री कहते नजर आ रहे थे कि कानून अपना काम करेगा. लेकिन इसके उलट जब कांग्रेस ने आक्रमक तेवर दिखाए, तो सत्ताधारी दल BJP बैकफुट पर नजर आया.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सहारा डायरी के हवाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी कार्रवाई की मांग उठा दी. किसानों और महंगाई के विरोध में प्रदेशव्यापी प्रदर्शन कर आक्रमक तेवर दिखाए. युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों के पदभार ग्रहण के बहाने किसान स्वाभिमान मार्च में ताकत दिखाई. यहां तक तो ठीक था. फिर कांग्रेस ने विधानसभा सत्र के पहले दिन प्रदेश भर से किसान बुलाकर विधानसभा घेराव का ऐलान कर दिया. सियासी गलियारों में चर्चा है कि विपक्ष के आक्रमक तेवर देखकर सत्ताधारी दल बैकफुट पर पहुंच गया.
विपक्ष के तेवर देख आनन-फानन में कोरोना को बनाया अवसर
विधानसभा सत्र की जब अधिसूचना जारी हुई थी, तब तय किया गया था कि 29 दिसंबर को विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होगा. बड़े जोर-शोर से सरकार ऐलान कर रही थी कि इसी सत्र में लव जिहाद को लेकर देश का सबसे सख्त कानून पेश किया जाएगा. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि डरी हुई शिवराज सरकार ने कोरोना आपदा को अवसर बनाया.
कांग्रेस का कहना है कि सोमवार से विधानसभा सत्र शुरू होना था. लेकिन शुक्रवार को अचानक खबर आई कि विधानसभा के 70 कर्मचारियों की कोरोना जांच कराई गई है, जिसमें 34 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. शनिवार की जांच रिपोर्ट में 16 कर्मचारी और कोरोना पॉजिटिव निकले. शनिवार को ही 3 विधायकों के भी कोरोना संक्रमित होने की सूचना मिली. रविवार सुबह संक्रमित विधायकों की संख्या 5 हो गई और शाम को जब विधानसभा सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक होना था, तो 10 विधायकों के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई और सर्वदलीय बैठक के साथ सत्र स्थगित कर दिया गया.
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5 जुलाई से प्रोटेम स्पीकर के सहारे चल रहा है सत्र
संवैधानिक व्यवस्था के तहत विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर का काम नवनिर्वाचित विधायकों की शपथ कराना होता है. विधायकों की शपथ के बाद पूर्णकालिक स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव कराया जाता है. लेकिन कमलनाथ सरकार गिरा कर जब से बीजेपी सत्ता में आई है, तब से मध्य प्रदेश की विधानसभा प्रोटेम स्पीकर के सहारे चल रही है. पहले मौजूदा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा 100 दिनों तक प्रोटेम स्पीकर रहे. और फिर 5 जुलाई से रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर हैं. सोमवार से शुरू होने वाले सत्र में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव प्रस्तावित था लेकिन सत्र ही टल गया.
सदन नहीं घेर पाएगी तो सड़क पर तेवर दिखाएगी कांग्रेस
विधानसभा सत्र के पहले दिन कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा का घेराव का ऐलान किया था. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में यह प्रदर्शन था. प्रदेशभर से किसानों को ट्रैक्टर-ट्रॉली और बैल गाड़ियों से भोपाल बुलाया गया था. कमलनाथ सहित कांग्रेस के सभी विधायक सदन में सत्र में शामिल होने के लिए ट्रैक्टर पर सवार होकर जाने वाले थे. सत्र के स्थगित होने के बाद कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन स्थगित नहीं किया है. कांग्रेस अब प्रदर्शन करेगी, लेकिन विधानसभा घेराव नहीं करेगी.