भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में 12 सीटें मालवा-निमाड़, बुंदलेखंड और मध्य भारत की शामिल हैं. जिनमें मालवा की पांच, निमाड़ की दो ,बुंदेलखंड की दो सीटें, मध्यप्रदेश भारत की दो और महाकौशल की एक सीट पर दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर है. इन 12 सीटों पर किस पार्टी का प्रत्याशी मजबूत है और किसे कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल जो समीकरण हैं, उनके मुताबिक, 1998 में कांग्रेस का गढ़ रहे मालवा-निमाड़ में बीजेपी की स्थिति मजबूत नजर आ रही है. इसका एक कारण ये भी है कि ये उपचुनाव दल बदलू प्रत्याशियों के बीच लड़ा जा रहा है जिसका कहीं न कहीं राजनीतिक समीकरणों पर असर पड़ रहा है.
मालवा-5 सीटें
सांवेर विधानसभा सीट पर कांटे का मुकाबला
प्रदेश की सबसे हॉट सीट पर सिंधिया के सेनापति तुलसी सिलावट और दिग्विजय के करीबी प्रेमचंद गुड्डू के बीच कांटे की टक्कर है. यहां भाजपा के छोटे से लेकर बड़े नेताओं ने अपनी ताकत झोंक दी. हालांकि कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू, विधायक जीतू पटवारी के साथ पसीना बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. बीजेपी ने यहां हर घर नल- हर घर जल और सांवेर तक मेट्रो लाने का वादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की. इसका कितना फायदा बीजेपी को मिलता है ये 10 नवंबर के बाद पता चलेगा.
बदनावर विधानसभा सीट पर मजबूत स्थिति में बीजेपी
धार जिले की बदनावर सीट पर शिवराज सरकार में उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का मुकाबला उनके मुख्य सिपहसलार रहे कमल सिंह पटेल से है. शुरुआती दौर में राजवर्धनसिंह दत्तीगांव एकतरफा नजर आ रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे चुनावी पारा चढ़ता गया, कांग्रेस के कमल पटेल मुकाबले में आ गए. हालांकि, मजबूत यहां भाजपा के दत्तीगांव ही हैं. कांग्रेस से भाजपा में आए राजवर्धन सिंह सिंधिया के नजदीकी हैं. इस सीट पर गुजराती राजपूत और पाटीदारों के वोटर्स निर्णायक स्थिति में है. कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल गुजराती राजपूत समाज से आते हैं. इसके अलावा पाटीदार समाज के वोट बैंक की संख्या ज्यादा है. जातिगत समीकरण के चलते बदनावर उपचुनाव बड़ा दिलचस्प हो गया है. हालांकि जीत किसी की भी हो, इस सीट पर राजपूत समाज का दबदबा बरकरार रहने वाला है.
सुवासरा सीट पर बीजेपी मजबूत
मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी हरदीप सिंह डंग और कांग्रेस के राकेश पाटीदार के बीच मुकाबला है. लेकिन यहां भाजपा के हरदीप सिंह डंग मजबूत स्थिति में हैं. डंग की छवि मिलनसार नेता के रूप में है. इसका एक कारण ये भी है कि इनका पूरा जीवन राजनीति में बीता है सरपंच से शुरुआत की थी, जिस कारण जमीनी पकड़ मजबूत है. दूसरा शिवराज सिंह ने हरदीप के पक्ष में खूब सभाएं की हैं. हालांकि कांग्रेस के राकेश पाटीदार के पक्ष में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी और प्रियव्रत सिंह ने माहाल बनाया है लेकिन कांग्रेस के राकेश पाटीदार को यहां भारी संघर्ष करना पड़ रहा है. क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान हुई आगजनी के लिए भी पोरवाल समाज इनसे खासा नाराज है.
हाटपीपल्या विधानसभा सीट पर बीजेपी मजबूत
देवास जिले की हाटपीपल्या विधानसभा सीट की बात करें तो ये सीट कई मायनों में महत्वपूर्ण है. कांग्रेस प्रत्याशी राजवीर सिंह बघेल के पक्ष में माहौल बनाने के लिए कांग्रेस ने कई रैलियां की बावजूद इसके बघेल, भाजपा प्रत्याशी मनोज चौधरी से पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री की सभा के बाद यहां जनता का पक्ष मनोज चौधरी की तरफ ज्यादा दिखाई दे रहा है. हालांकि मनोज चौधीर को पूर्व मंत्री दीपक जोशी की नाराजगी का भी असर चुनाव में देखने को मिल सकता है, वैसे ये आने वाला समय ही बताएगा कि राजनीति का ये ऊंट अब किस करवट बैठेगा. इस सीट पर सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति, खाती, राजपूत, पाटीदार और सेंधव समाज निर्णायक माने जाते हैं. जो किसी भी चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं.
आगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के वानखेड़ आगे
भाजपा के गढ़ में मनोहर ऊंटवाल के बेटे मनोज परंपरागत वोटों के भरोसे हैं. बीजेपी को लग रहा था कि विधायक पिता मनोहर ऊंटवाल के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर बेटे को सहानुभूति के वोट मिलेंगे. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. मनोज ऊंटवाल की जमीनी सक्रियता कभी रही नहीं है, इस कारण उन्हें कदम-कदम पर मुश्किलें आ रही हैं. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े को इलाके में बने रहने का फायदा मिल रहा है.
निमाड़- 2 सीटें
नेपानगर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत
बुरहानपुर जिले की नेपानगर सीट पर कांग्रेस से दो बार चुनाव हार चुके रामकिशन पटेल की स्थिति मजबूत दिख रही है. इन्हें सहानुभूति का फायदा भी मिल सकता है. विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण भाजपा में आई सुमित्रा कास्डेकर से लोग नाराज दिख रहे हैं. यहां दोनों प्रत्याशी कोरकू समाज के हैं और ये ही जीत-हार तय करते हैं. कांग्रेस का अगर बूथ मैनेजमेंट पक्का रहा तो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी.
मांधाता सीट पर कांग्रेस की जमीनी पकड़ मजबूत
खंडवा की मांधाता विधानसभा सीट पर भाजपा संगठन ने अपने प्रत्याशी नारायण पटेल के लिए पूरी ताकत लगा दी है. मुख्यमंत्री चार सभाएं कर चुके हैं लेकिन फिर भी हालात में ज्यादा अंतर नहीं आया. अब भी पुराने कांग्रेसी राजनारायण के बेटे उत्तम पाल सिंह की स्थिति मजबूत बनी हुई है. आदिवासी समाज के एक प्रत्याशी के मैदान में उतरने से भाजपा के स्थायी वोटर भिलाला भी उनके हाथ से निकलते नजर आ रहे हैं.
ब्यावरा सीट पर भाजपा के भाजपा के पवार मजबूत
राजगढ़ की ब्यावरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी नारायण पवार बूथ मैनेजमेंट के मामले में पहले से ही मजबूत थे. इसका फायदा उन्हें मिल रहा है. लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र दांगी जमीनी पकड़ के मामले में पीछे हैं. हालांकि, कुछ स्थानीय मुद्दों को उठाने में कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र मुकाबले में आने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा संगठन यहां पूरी मुस्तैदी से लगा हुआ है, इसके मुकाबले कांग्रेस का बूथ मैनेजमेंट कमजोर दिख रहा है.
सांची: भाजपा के प्रभुराम मजबूत
रायसेन की सांची विधानसभा पर कांग्रेस से भाजपा में आए प्रभुराम चौधरी मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं. प्रभुराम के पिछले कुछ काम और उनका व्यक्तिगत संपर्क इसमें अहम भूमिका निभा रहा है. दूसरी तरफ दशकों बाद यह पहला मौका होगा जब शेजवार परिवार सांची के चुनाव में पूरी तरह बाहर है. कांग्रेस के मदन चौधरी को यह बात संकट में डाल रही है.
बुंदेलखंड- 2 सीटें
सुरखी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी पड़ी कमजोर
सागर से सुरखी विधानसभा सीट पर भाजपा की रणनीति से गोविंद सिंह राजपूत मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं. यहां कांग्रेस प्रत्याशी पारूल साहू को कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद राजपूत टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस प्रत्याशी पारूल साहू को कार्यकर्ताओं की कमी से जूझना पड़ रहा है. माहौल बनाने के लिए बड़ी संख्या में बाहर से कार्यकर्ता बुलाए गए थे, जिनके लौटते ही भाजपा प्रत्याशी गोविंद राजपूत और मजबूत दिखने लगे हैं. हालांकि, राजपूत से भी कुछ लोग नाराज हैं, लेकिन भूपेंद्रसिंह ने मजबूती से पार्टी की कमान संभाली हुई है.
मलहरा पर कांग्रेस मजबूत
छतरपुर की मलहरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की साध्वी रामसिया भारती मजबूत स्थिति में नजर आ रही हैं. दूसरा साध्वी छह साल से यहां भागवत कथा कर रही हैं, जिस कारण क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है. पार्टी बदलने के कारण भाजपा के प्रद्युम्न सिंह लोधी से समाज के ही लोग नाराज दिख रहे हैं. इस सीट पर लोधी वोट जीत-हार का फैसला करेगा.
महाकौशल- 1 सीट
अनूपपुर सीट पर मंत्री फैक्टर के कारण बिसाहूलाल को फायदा
शहडोल जिले की अनूपपुर सीट पर भाजपा के बिसाहूलाल की स्थिति मजबूत हैं. उसके पीछे सबसे बड़ी वजह उनका मंत्री होना है. लोगों के मन में यह बात बैठा दी गई है कि जीतेंगे तो उनका मंत्री बनना तय ही है. कांग्रेस से यहां विश्वनाथ मैदान में हैं. दोनों प्रत्याशी गोंड समाज से हैं. इस सीट पर गोंड और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं.