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पिछली सरकार में हुए भ्रष्टाचार की भरपाई के लिए बढ़ाई गई बिजली दरें: पीसी शर्मा

मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों को 7 प्रतिशत बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दे दी गई है. जिस पर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की भरपाई के लिए बिजली दरें बढ़ाई गई हैं.

बिजली दरें बढ़ाने पर बोले मंत्री पीसी शर्मा
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Published : Aug 9, 2019, 3:17 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों को 7 प्रतिशत बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दे दी गई है. हालांकि बिजली कंपनियों ने 12 प्रतिशत से ज्यादा बिजली दर बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन नियामक आयोग ने सिर्फ 7 प्रतिशत बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दी है. बिजली दरें बढ़ाए जाने पर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की भरपाई के लिए बिजली दरें बढ़ाई गई है. उनका कहना है कि मध्यप्रदेश की बिजली-व्यवस्था पूरी तरह से तहस-नहस हो गई थी, इसलिए पिछले दिनों प्रदेश में बिजली बार-बार कट रही थी.

गुरुवार देर रात मध्यप्रदेश विद्युत विनियामक आयोग द्वारा विद्युत टैरिफ जारी किए गए, जिसमें 5 से 7 फ़ीसदी तक की वृद्धि की गई है. नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए घोषित किए गए. नए टैरिफ में विभिन्न श्रेणियों में बिजली के दामों में 7 प्रतिशत और घरेलू, गैर घरेलू श्रेणी में 5 प्रतिशत की वृद्धि की है. आयोग ने 51 से 100 यूनिट के पुराने स्लैब को भी खत्म करके 51 से 150 यूनिट का नया स्लैब लागू किया है.

बिजली दरें बढ़ाने पर बोले मंत्री पीसी शर्मा

विद्युत नियामक आयोग द्वारा जो टैरिफ लागू किया गया है, वे इस प्रकार है.

  • 50 यूनिट तक 4.05 रूपये प्रति यूनिट
  • 51 से 150 यूनिट तक 4.95 रूपये प्रति यूनिट
  • 151 से 300 यूनिट तक 6.30 रुपए प्रति यूनिट
  • 300 यूनिट से अधिक के 6.50 रुपए प्रति यूनिट

जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि जितनी भी बिजली कंपनियां हैं, सब स्वतंत्र हैं और बिजली दरें तय करने वाला विद्युत नियामक आयोग भी एक स्वतंत्र संस्था है. उनका कहना है कि बिजली दरें इसलिए बढ़ाई गई हैं, क्योंकि पिछले 15 सालों के अंदर बीजेपी की सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के समय बिजली विभाग तहस-नहस कर दिया गया था. ट्रांसफॉर्मर, डीपी और लाइन में भारी भ्रष्टाचार किया गया है. आए दिन बिजली जाने की वजह भी यही भ्रष्टाचार था. इन सब खर्चों की भरपाई के लिए बिजली कंपनियों ने बिजली दरों को बढ़ाने की मांग की थी.

भोपाल। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों को 7 प्रतिशत बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दे दी गई है. हालांकि बिजली कंपनियों ने 12 प्रतिशत से ज्यादा बिजली दर बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन नियामक आयोग ने सिर्फ 7 प्रतिशत बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दी है. बिजली दरें बढ़ाए जाने पर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की भरपाई के लिए बिजली दरें बढ़ाई गई है. उनका कहना है कि मध्यप्रदेश की बिजली-व्यवस्था पूरी तरह से तहस-नहस हो गई थी, इसलिए पिछले दिनों प्रदेश में बिजली बार-बार कट रही थी.

गुरुवार देर रात मध्यप्रदेश विद्युत विनियामक आयोग द्वारा विद्युत टैरिफ जारी किए गए, जिसमें 5 से 7 फ़ीसदी तक की वृद्धि की गई है. नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए घोषित किए गए. नए टैरिफ में विभिन्न श्रेणियों में बिजली के दामों में 7 प्रतिशत और घरेलू, गैर घरेलू श्रेणी में 5 प्रतिशत की वृद्धि की है. आयोग ने 51 से 100 यूनिट के पुराने स्लैब को भी खत्म करके 51 से 150 यूनिट का नया स्लैब लागू किया है.

बिजली दरें बढ़ाने पर बोले मंत्री पीसी शर्मा

विद्युत नियामक आयोग द्वारा जो टैरिफ लागू किया गया है, वे इस प्रकार है.

  • 50 यूनिट तक 4.05 रूपये प्रति यूनिट
  • 51 से 150 यूनिट तक 4.95 रूपये प्रति यूनिट
  • 151 से 300 यूनिट तक 6.30 रुपए प्रति यूनिट
  • 300 यूनिट से अधिक के 6.50 रुपए प्रति यूनिट

जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि जितनी भी बिजली कंपनियां हैं, सब स्वतंत्र हैं और बिजली दरें तय करने वाला विद्युत नियामक आयोग भी एक स्वतंत्र संस्था है. उनका कहना है कि बिजली दरें इसलिए बढ़ाई गई हैं, क्योंकि पिछले 15 सालों के अंदर बीजेपी की सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के समय बिजली विभाग तहस-नहस कर दिया गया था. ट्रांसफॉर्मर, डीपी और लाइन में भारी भ्रष्टाचार किया गया है. आए दिन बिजली जाने की वजह भी यही भ्रष्टाचार था. इन सब खर्चों की भरपाई के लिए बिजली कंपनियों ने बिजली दरों को बढ़ाने की मांग की थी.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों को 7% बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दे दी है। हालांकि बिजली कंपनियों ने 12% से ज्यादा बिजली दर बढ़ाने की मांग की थी,लेकिन नियामक आयोग ने सिर्फ 7% बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दी है। बिजली दरें बढ़ाए जाने पर कमलनाथ सरकार के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने कहा है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की भरपाई के लिए बढ़ाना पड़ रही है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की बिजली व्यवस्था पूरी तरह से तहस नहस हो गई थी। इसलिए पिछले दिनों प्रदेश में बिजली बार बार जा रही है।


Body:दरअसल, गुरुवार देर रात मध्यप्रदेश विद्युत विनियामक आयोग द्वारा विद्युत टैरिफ जारी किए गए। जिसमें 5 से 7 फ़ीसदी तक की वृद्धि की गई है। नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए घोषित किए गए नए टैरिफ में विभिन्न श्रेणियों में बिजली के दामों में 7% और घरेलू तथा गैर घरेलू श्रेणी में 5% की वृद्धि की है। आयोग ने 51 से 100 यूनिट के पुराने स्लैब को भी खत्म करके 51 से 150 यूनिट का नया स्लैब लागू किया है।

विद्युत नियामक आयोग द्वारा जो टैरिफ लागू किया गया है, उसके अनुसार ---


- 50 यूनिट तक 4.05 रूपये प्रति यूनिट।

- 51 से 150 यूनिट तक 4.95 रूपये प्रति यूनिट।

- 151 से 300 यूनिट तक 6.30 रुपए प्रति यूनिट।

- 300 यूनिट से अधिक के 6.50 रुपए प्रति यूनिट।


Conclusion:बिजली दरें बड़े बढ़ाए जाने को लेकर कमलनाथ सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि जितनी भी बिजली कंपनियां हैं, सब स्वतंत्र हैं और बिजली दरें तय करने वाला विद्युत नियामक आयोग भी एक स्वतंत्र संस्था है।विद्युत नियामक आयोग बिजली कंपनियों की मांग से बिजली की दरें निर्धारित करता है। बिजली कंपनियों ने तो 12 फ़ीसदी बिजली दरें बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन नियामक आयोग ने सिर्फ़ 7 फ़ीसदी बिजली दरों में बढ़ोतरी की है। वह भी बढ़ोतरी इसलिए की गई है क्योंकि पिछले 15 सालों के अंदर भाजपा की सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के समय बिजली विभाग तहस-नहस कर दिया गया था। ट्रांसफॉर्मर, डीपी और लाइन में सबमें लंबा भ्रष्टाचार हुआ।आए दिन बिजली जाने की वजह भी यही भ्रष्टाचार था। इन सब खर्चों की भरपाई के लिए बिजली कंपनियों ने बिजली दरों बढ़ाने की मांग की थी।
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