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मिशन 2023 की चिंता में डूबी शिवराज सरकार का पचमढ़ी में चिंतन शिविर, क्या- क्या मंत्र तैयार करेंगे मंत्री, पढ़ें पूरा विश्लेषण

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का वक्त है लेकिन शिवराज सरकार अभी से पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है. प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में चल रहे शिवराज सरकार के दो दिनी चिंतन शिविर को विधासभा चुनाव की तैयारी की पहली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि दुहाई दी जा रही है कि चिंतन शिविर में प्रदेश के विकास की रूपरेखा खींची जाएगी. लेकिन हकीकत में ये सब सियासत वाली बयानबाजी है. जबकि चिंतन शिविर में असल चिंतन इस पर होगा कि अगला विधानसभा चुनाव में क्या-क्या ऐसा किया जाए, जिससे बीजेपी के लिए सरकार बनाने की राह आसान हो जाए. (Pachmadhi chintan shivir) (Shivraj government mission 2023)

Chintan shivir in Pachmadhi of Shivraj govt
पचमढ़ी में शिवराज सरकार का चिंतन शिविर
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Published : Mar 26, 2022, 2:05 PM IST

Updated : Mar 26, 2022, 2:12 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी की सुरम्य वादियों में शिवराज सरकार का चिंतन शिविर शुरू हो चुका है. मंत्रिमंडल के सभी सदस्य इसमें शामिल हैं. प्रशासन के आला अफसरों का डेरा भी पचमढ़ी में है. कोरोना काल के बाद शिवराज सरकार की राजधानी के बाहर होने वाली यह बैठक बहुत अहम मानी जा रही है. चिंतन शिविर में सरकार अगले डेढ़ साल के कार्यक्रम तय कर देगी ताकि चुनाव में जाने से पहले सरकार की बेहतर परफारमेंस रिपोर्ट तैयार हो सके. विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर चर्चा होने की सबसे अधिक संभावनाएं हैं. इसमें आम जनता से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन आने वाले समय में तेजी से करने की रणनीति तय होगी. प्रदेश में कर्मचारियों को कैसे साधा जाए, आदिवासी वोट बैंक कैसे बीजेपी के पाले में आ जाए, किसानों को कैसे भरोसे में लिया जाए, महिलाओं से जुड़ी योजनाओं को कैसे आगे बढ़ाया जाए जैसे बिंदुओं पर ठोस रणनीति इस चिंतन शिविर में बनाई जाएगी.

बीते चुनाव में लगे झटके से नहीं उबर पा रही बीजेपी : दरअसल, 2003 से 2018 तक मध्यप्रदेश में लगातार सरकार में रहने और इस दौरान प्रदेश में अधिकतम सांसद जीतने के साथ ही नगरीय निकाय और पंचायती राज के चुनाव में भारी सफलता मिलने के बाद भाजपा नेता कांग्रेस मुक्त प्रदेश बनाने की बात करने लगे थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐसा झटका दिया कि बीजेपी के दिग्गज आज तक हिले हुए हैं. वो तो सिंधिया अगर अपने विधायकों को लेकर बीजेपी शामिल न होते तो आज भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार चल रही होती. बीजेपी का थिंक टैंक इस बात को लेकर आशंकित है कि कहीं अति आत्मविश्वास के कारण फिर से गच्चा न खा जाएं. पार्टी के दिग्गज 2023 में चुनाव जीतने के लिए चिंतित रहते हैं और वे सरकार को समय-समय पर चेताते भी रहते हैं.

Chintan shivir in Pachmadhi of Shivraj govt
पचमढ़ी में शिवराज सरकार का चिंतन शिविर

कर्मचारियों को साधने पर फोकस : गौरतलब है कि प्रदेश में कर्मचारी सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाते हैं. बीते 2018 के चुनाव में बीजेपी के हारने की एक वजह कर्मचारियों की नाराजगी भी थी. इसलिए चौथी बार सीएम का पद संभालने के बाद शिवराज सिंह चौहान कर्मचारियों को खुश करने की कोशिशें करते रहते हैं. हाल ही के वित्तीय बजट में इसकी झलक दिखी थी. बजट में कर्मचारियों का डीए केंद्र के समान 31 फीसदी करना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि कर्ज के जाल में फंसे होने के बाद भी सरकार ने कर्मचारियों को खुश करने के लिए डीए बढ़ाने का फैसला लिया. कोरोना काल से सप्ताह के पांच दिन सरकारी दफ्तरों में कामकाज का आदेश भी इसी रणनीति का हिस्सा है. क्योंकि कोरोना की रफ्तार बेहद मंद होने के बाद भी कर्मचारियों को खुश करने के लिए बार-बार सप्ताह में पांच दिन कामकाज के आदेश को बढ़ाया जा रहा है.

आदिवासी वोट पर बैंक कैसे करें कब्जा :

मध्यप्रदेश में माना जाता है कि सरकार बनाने में आदिवासी वोट बैंक की सबसे बड़ी भूमिका रहती है. बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हारने की बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी थी. आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. इस वर्ग ने जिस दल का साथ दिया, उसके लिए सरकार बनाना आसान रहा है. राज्य में 21 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासी वर्ग की है. 84 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां आदिवासी बहुतायत में हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इन 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल कर सकी थी, जबकि वर्ष 2013 में भाजपा ने 59 क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी. आदिवासी वेाट बैंक पर बीजेपी अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहती है. इसी के मद्दनेजर भाजपा ने बीते साल के 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. इसके बाद 22 नवंबर को मंडला में एक भव्य कार्यक्रम हुआ. इसी तरह टंटया भील के बलिदान दिवस पर इंदौर के पातालपानी में चार दिसंबर को समारोह किया गया.

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आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का अभियान कैसे आगे बढ़ाएं: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार सीएम का पद संभालने के बाद मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया था. इस मुहिम को आगे बढ़ाने का संकल्प बार-बार लिया. लेकिन हकीकत में यह मुहिम आगे नहीं बढ़ सकी है. डेढ़ साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी इस अभियान को लेकर सिर्फ दिशा- निर्देश ही जारी हो सके हैं. धरातल पर कहीं भी इस अभियान का असर तो बहुत दूर की बात, किसी मंत्री या आला अफसरों के पास दिखाने को या कहने को कुछ नहीं है. चिंतन शिविर में इस अभियान को लेकर मंत्रियों के साथ ही अफसरों से सीएम शिवराज मंथन करेंगे.

योगी की तर्ज पर कानून व्यवस्था सुधारने की मुहिम : जब से यूपी में योगी सरकार फिर से सत्ता में आई है, तभी से सीएम शिवराज योगी की तर्ज पर बुलडोजर का अभियान पूरे प्रदेश में छेड़े हुए हैं. उल्लेखनीय है कि यूपी के सीएम योगी की बुलडोजर बाबा वाली छवि को बीजेपी की जीत में अहम योगदान माना जा रहा है. इसलिए सीएम शिवराज के समर्थकों ने बुलडोजर मामा जैसे नाम को प्रचारित करना शुरू कर दिया है. प्रदेश के कई जिलों में अपराधियों के मकान बुलडोजर से ढहाए जा रहे हैं. प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेताओं को लगता है कि योगी की तर्ज पर चलकर कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर लोगों का दिल जीता जा सकता है. पचमढ़ी के चिंतन शिविर में कानून व्यवस्था को और कैसे दुरुस्त किया जाए, इस पर भी मंथन होने की पूरी संभावना है. (Pachmadhi chintan shivir) (Shivraj government mission 2023)

भोपाल। मध्यप्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी की सुरम्य वादियों में शिवराज सरकार का चिंतन शिविर शुरू हो चुका है. मंत्रिमंडल के सभी सदस्य इसमें शामिल हैं. प्रशासन के आला अफसरों का डेरा भी पचमढ़ी में है. कोरोना काल के बाद शिवराज सरकार की राजधानी के बाहर होने वाली यह बैठक बहुत अहम मानी जा रही है. चिंतन शिविर में सरकार अगले डेढ़ साल के कार्यक्रम तय कर देगी ताकि चुनाव में जाने से पहले सरकार की बेहतर परफारमेंस रिपोर्ट तैयार हो सके. विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर चर्चा होने की सबसे अधिक संभावनाएं हैं. इसमें आम जनता से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन आने वाले समय में तेजी से करने की रणनीति तय होगी. प्रदेश में कर्मचारियों को कैसे साधा जाए, आदिवासी वोट बैंक कैसे बीजेपी के पाले में आ जाए, किसानों को कैसे भरोसे में लिया जाए, महिलाओं से जुड़ी योजनाओं को कैसे आगे बढ़ाया जाए जैसे बिंदुओं पर ठोस रणनीति इस चिंतन शिविर में बनाई जाएगी.

बीते चुनाव में लगे झटके से नहीं उबर पा रही बीजेपी : दरअसल, 2003 से 2018 तक मध्यप्रदेश में लगातार सरकार में रहने और इस दौरान प्रदेश में अधिकतम सांसद जीतने के साथ ही नगरीय निकाय और पंचायती राज के चुनाव में भारी सफलता मिलने के बाद भाजपा नेता कांग्रेस मुक्त प्रदेश बनाने की बात करने लगे थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐसा झटका दिया कि बीजेपी के दिग्गज आज तक हिले हुए हैं. वो तो सिंधिया अगर अपने विधायकों को लेकर बीजेपी शामिल न होते तो आज भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार चल रही होती. बीजेपी का थिंक टैंक इस बात को लेकर आशंकित है कि कहीं अति आत्मविश्वास के कारण फिर से गच्चा न खा जाएं. पार्टी के दिग्गज 2023 में चुनाव जीतने के लिए चिंतित रहते हैं और वे सरकार को समय-समय पर चेताते भी रहते हैं.

Chintan shivir in Pachmadhi of Shivraj govt
पचमढ़ी में शिवराज सरकार का चिंतन शिविर

कर्मचारियों को साधने पर फोकस : गौरतलब है कि प्रदेश में कर्मचारी सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाते हैं. बीते 2018 के चुनाव में बीजेपी के हारने की एक वजह कर्मचारियों की नाराजगी भी थी. इसलिए चौथी बार सीएम का पद संभालने के बाद शिवराज सिंह चौहान कर्मचारियों को खुश करने की कोशिशें करते रहते हैं. हाल ही के वित्तीय बजट में इसकी झलक दिखी थी. बजट में कर्मचारियों का डीए केंद्र के समान 31 फीसदी करना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि कर्ज के जाल में फंसे होने के बाद भी सरकार ने कर्मचारियों को खुश करने के लिए डीए बढ़ाने का फैसला लिया. कोरोना काल से सप्ताह के पांच दिन सरकारी दफ्तरों में कामकाज का आदेश भी इसी रणनीति का हिस्सा है. क्योंकि कोरोना की रफ्तार बेहद मंद होने के बाद भी कर्मचारियों को खुश करने के लिए बार-बार सप्ताह में पांच दिन कामकाज के आदेश को बढ़ाया जा रहा है.

आदिवासी वोट पर बैंक कैसे करें कब्जा :

मध्यप्रदेश में माना जाता है कि सरकार बनाने में आदिवासी वोट बैंक की सबसे बड़ी भूमिका रहती है. बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हारने की बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी थी. आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. इस वर्ग ने जिस दल का साथ दिया, उसके लिए सरकार बनाना आसान रहा है. राज्य में 21 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासी वर्ग की है. 84 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां आदिवासी बहुतायत में हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इन 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल कर सकी थी, जबकि वर्ष 2013 में भाजपा ने 59 क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी. आदिवासी वेाट बैंक पर बीजेपी अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहती है. इसी के मद्दनेजर भाजपा ने बीते साल के 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. इसके बाद 22 नवंबर को मंडला में एक भव्य कार्यक्रम हुआ. इसी तरह टंटया भील के बलिदान दिवस पर इंदौर के पातालपानी में चार दिसंबर को समारोह किया गया.

मिशन एमपी 2023: 400 पुलिस जवानों की तैनाती में पचमढ़ी में शुरू हुई मंथन बैठक, मंत्रियों से लिए जायेंगे फीडबैक

आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का अभियान कैसे आगे बढ़ाएं: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार सीएम का पद संभालने के बाद मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया था. इस मुहिम को आगे बढ़ाने का संकल्प बार-बार लिया. लेकिन हकीकत में यह मुहिम आगे नहीं बढ़ सकी है. डेढ़ साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी इस अभियान को लेकर सिर्फ दिशा- निर्देश ही जारी हो सके हैं. धरातल पर कहीं भी इस अभियान का असर तो बहुत दूर की बात, किसी मंत्री या आला अफसरों के पास दिखाने को या कहने को कुछ नहीं है. चिंतन शिविर में इस अभियान को लेकर मंत्रियों के साथ ही अफसरों से सीएम शिवराज मंथन करेंगे.

योगी की तर्ज पर कानून व्यवस्था सुधारने की मुहिम : जब से यूपी में योगी सरकार फिर से सत्ता में आई है, तभी से सीएम शिवराज योगी की तर्ज पर बुलडोजर का अभियान पूरे प्रदेश में छेड़े हुए हैं. उल्लेखनीय है कि यूपी के सीएम योगी की बुलडोजर बाबा वाली छवि को बीजेपी की जीत में अहम योगदान माना जा रहा है. इसलिए सीएम शिवराज के समर्थकों ने बुलडोजर मामा जैसे नाम को प्रचारित करना शुरू कर दिया है. प्रदेश के कई जिलों में अपराधियों के मकान बुलडोजर से ढहाए जा रहे हैं. प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेताओं को लगता है कि योगी की तर्ज पर चलकर कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर लोगों का दिल जीता जा सकता है. पचमढ़ी के चिंतन शिविर में कानून व्यवस्था को और कैसे दुरुस्त किया जाए, इस पर भी मंथन होने की पूरी संभावना है. (Pachmadhi chintan shivir) (Shivraj government mission 2023)

Last Updated : Mar 26, 2022, 2:12 PM IST
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