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'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' हुआ फ्लॉप, अब तक नहीं मिल पाई कई छात्रों को किताबें - Our home our school campaign

कोरोना संक्रमण के बीच स्कूली छात्रों की पढ़ाई जारी रहे इसलिए प्रदेश सरकार ने 'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' की शुरूआत की थी, लेकिन ये अभियान सफल होता नहीं दिख रहा. देखिये ये रिपोर्ट...

Students did not receive books
छात्रों को नहीं मिली किताबें
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Published : Aug 19, 2020, 7:23 AM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच स्कूली छात्रों की पढ़ाई जारी रहे इसलिए प्रदेश सरकार ने हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान की शुरूआत की थी, इस अभियान के तहत शिक्षकों को छात्रों के घर-घर जाकर किताबें वितरण करने का कार्य दिया गया है. साथ ही छात्रों की घर पर ही कक्षा लगाने का कार्य भी शिक्षकों को सौंपा गया है. जैसे स्कूल में कक्षा लगती है ठीक वैसे ही घर पर थाली बजाकर कक्षा लगाते हैं. इस अभियान को आज एक माह से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन स्कूलों से किताबें कुछ ही बच्चों के घर तक पहुंच पाई हैं.

छात्रों को नहीं मिली किताबें

40 प्रतिशत छात्रों को ही मिली किताबें

विभाग के अनुसार एक माह में किताबें सभी छात्रों को उपलब्ध हो जाना चाहिए थीं, लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक 40 प्रतिशत छात्रों को भी किताबें नहीं मिल पाई हैं, क्योंकि शिक्षकों ने खुद अभियान का विरोध करना शुरू कर दिया है. उच्चतर माध्यमिक शाला सूरज नगर के प्राचार्य सुभाष सक्सेना ने इस योजना के विरोध में कहा कि शिक्षकों को पहले ही अन्य कार्यों में लगाया हुआ है. ऐसे में इस अभियान के तहत शिक्षकों को घर-घर जाकर छात्रों को किताबें वितरित करने से शिक्षक और छात्रों को संक्रमण फैलने का खतरा है. विभाग को इस योजना पर विचार करना चाहिए, यह योजना ज़मीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो पाएगी.

शिक्षकों को घर-घर जाने में कोरोना का डर

जहांगीराबाद उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला की प्राचार्य उषा खरे का कहना है कि इस तरह बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच छात्रों के घर- घर जाना खतरा है, लेकिन विभाग का आदेश है इसलिए जाना पड़ेगा और छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हम यह कार्य कर रहे हैं. वहीं शिक्षकों का यह भी आरोप है कि शिक्षक अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन छात्रों के अभिभावक ही इस योजना के खिलाफ है. अभिभावकों का कहना है कि छात्र घर पर सुरक्षित हैं लेकिन अगर बाहर से शिक्षक घर आकर कक्षाएं लेंगे तो शिक्षक खुद कोरोना संक्रमण लेकर घर आएंगे. ऐसे में शिक्षकों को घर में घुसने नहीं दिया जाए.

मंत्री जी दे रहे ये दलील

प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा शिक्षक विरोध नहीं कर रहे है. कंटेनमेंट जोन में जाने से पहले ही शिक्षकों को माना किया गया है. योजना के तहत कार्य चल रहा है और लॉकडाउन के कारण बीच में काम रुक गया, लेकिन अब वापस शिक्षक घर-घर जाकर बेहतर तरीके से अपना कार्य कर रहे हैं और जल्द ही प्रदेश के सभी छात्रों तक किताबें पहुंच जाएगी. राज्य सरकार ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए इस योजना को शुरू किया था, लेकिन बच्चों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पाया है,

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच स्कूली छात्रों की पढ़ाई जारी रहे इसलिए प्रदेश सरकार ने हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान की शुरूआत की थी, इस अभियान के तहत शिक्षकों को छात्रों के घर-घर जाकर किताबें वितरण करने का कार्य दिया गया है. साथ ही छात्रों की घर पर ही कक्षा लगाने का कार्य भी शिक्षकों को सौंपा गया है. जैसे स्कूल में कक्षा लगती है ठीक वैसे ही घर पर थाली बजाकर कक्षा लगाते हैं. इस अभियान को आज एक माह से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन स्कूलों से किताबें कुछ ही बच्चों के घर तक पहुंच पाई हैं.

छात्रों को नहीं मिली किताबें

40 प्रतिशत छात्रों को ही मिली किताबें

विभाग के अनुसार एक माह में किताबें सभी छात्रों को उपलब्ध हो जाना चाहिए थीं, लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक 40 प्रतिशत छात्रों को भी किताबें नहीं मिल पाई हैं, क्योंकि शिक्षकों ने खुद अभियान का विरोध करना शुरू कर दिया है. उच्चतर माध्यमिक शाला सूरज नगर के प्राचार्य सुभाष सक्सेना ने इस योजना के विरोध में कहा कि शिक्षकों को पहले ही अन्य कार्यों में लगाया हुआ है. ऐसे में इस अभियान के तहत शिक्षकों को घर-घर जाकर छात्रों को किताबें वितरित करने से शिक्षक और छात्रों को संक्रमण फैलने का खतरा है. विभाग को इस योजना पर विचार करना चाहिए, यह योजना ज़मीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो पाएगी.

शिक्षकों को घर-घर जाने में कोरोना का डर

जहांगीराबाद उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला की प्राचार्य उषा खरे का कहना है कि इस तरह बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच छात्रों के घर- घर जाना खतरा है, लेकिन विभाग का आदेश है इसलिए जाना पड़ेगा और छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हम यह कार्य कर रहे हैं. वहीं शिक्षकों का यह भी आरोप है कि शिक्षक अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन छात्रों के अभिभावक ही इस योजना के खिलाफ है. अभिभावकों का कहना है कि छात्र घर पर सुरक्षित हैं लेकिन अगर बाहर से शिक्षक घर आकर कक्षाएं लेंगे तो शिक्षक खुद कोरोना संक्रमण लेकर घर आएंगे. ऐसे में शिक्षकों को घर में घुसने नहीं दिया जाए.

मंत्री जी दे रहे ये दलील

प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा शिक्षक विरोध नहीं कर रहे है. कंटेनमेंट जोन में जाने से पहले ही शिक्षकों को माना किया गया है. योजना के तहत कार्य चल रहा है और लॉकडाउन के कारण बीच में काम रुक गया, लेकिन अब वापस शिक्षक घर-घर जाकर बेहतर तरीके से अपना कार्य कर रहे हैं और जल्द ही प्रदेश के सभी छात्रों तक किताबें पहुंच जाएगी. राज्य सरकार ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए इस योजना को शुरू किया था, लेकिन बच्चों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पाया है,

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