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संविदा कर्मचारियों कर रहे नियमितीकरण की मांग, कहा- परीक्षा देकर हुए हैं चयनित

प्रदेश के संविदा कर्मचारी सबसे पहले अपने नियमितीकरण की मांग पर अड़ गए हैं. उनका कहना है कि उनका चयन परीक्षा और चयन प्रक्रिया से हुआ है, इसलिए नियमितीकरण का पहला हक उनका है.

Contract employees are demanding regularization
संविदा कर्मचारियों कर रहे नियमितीकरण की मांग
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Published : Jan 7, 2020, 3:49 PM IST

भोपाल। प्रदेश के संविदा कर्मचारी अपनी नियमितीकरण की मांग पर अड़ गए हैं. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि जो अतिथि विद्वान आंदोलन कर नियमितीकरण की मांग कर रहे है. वह किसी चयन प्रक्रिया या फिर परीक्षा के माध्यम से नहीं चुने गए हैं. इसलिए संविदा कर्मियों का नियमितीकरण पहले होना चाहिए. साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वे सभी मजबूरन आंदोलन करेंगे.

संविदा कर्मचारियों कर रहे नियमितीकरण की मांग


इस मामले में मध्यप्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि प्रदेश के जितने भी संविदा कर्मचारी विभाग, परियोजना और योजनाओं में कार्यरत हैं, वह सभी विधिवत चयन प्रक्रिया और परीक्षा के माध्यम से आए हैं. सभी कर्मचारी शासन के नियमित कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं. उनके समान ही कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन सबसे पहले संविदा कर्मचारियों की ओर ध्यान दें, वे सभी विधिवत चयन प्रक्रिया के माध्यम से आए हैं. इसलिए सबसे पहला हक संविदा कर्मचारियों का बनता है.


उन्होंने कहा कि वे सभी प्रदेश शासन के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से मांग कर रहे है कि सबसे पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए. उसके बाद अन्य कर्मचारियों को नियमित किया जाए. जिससे कि प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को वचन पत्र का लाभ मिले. अन्यथा कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

भोपाल। प्रदेश के संविदा कर्मचारी अपनी नियमितीकरण की मांग पर अड़ गए हैं. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि जो अतिथि विद्वान आंदोलन कर नियमितीकरण की मांग कर रहे है. वह किसी चयन प्रक्रिया या फिर परीक्षा के माध्यम से नहीं चुने गए हैं. इसलिए संविदा कर्मियों का नियमितीकरण पहले होना चाहिए. साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वे सभी मजबूरन आंदोलन करेंगे.

संविदा कर्मचारियों कर रहे नियमितीकरण की मांग


इस मामले में मध्यप्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि प्रदेश के जितने भी संविदा कर्मचारी विभाग, परियोजना और योजनाओं में कार्यरत हैं, वह सभी विधिवत चयन प्रक्रिया और परीक्षा के माध्यम से आए हैं. सभी कर्मचारी शासन के नियमित कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं. उनके समान ही कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन सबसे पहले संविदा कर्मचारियों की ओर ध्यान दें, वे सभी विधिवत चयन प्रक्रिया के माध्यम से आए हैं. इसलिए सबसे पहला हक संविदा कर्मचारियों का बनता है.


उन्होंने कहा कि वे सभी प्रदेश शासन के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से मांग कर रहे है कि सबसे पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए. उसके बाद अन्य कर्मचारियों को नियमित किया जाए. जिससे कि प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को वचन पत्र का लाभ मिले. अन्यथा कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

Intro:भोपाल।अतिथि विद्वानों के आंदोलन का असर भले कमलनाथ सरकार पर पढ़ रहा हो। लेकिन इस आंदोलन का दूसराअसर यह दिखने लगा है कि अब प्रदेश के संविदा कर्मचारी सबसे पहले अपने नियमितीकरण की मांग पर अड़ गए हैं। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि जो अतिथि विद्वान आंदोलन कर नियमितीकरण की मांग पर अड़े हैं। वह किसी चयन प्रक्रिया या परीक्षा के माध्यम से नहीं चुने गए हैं।जबकि प्रदेश के विभिन्न विभागों और परियोजनाओं में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की विधिवत प्रक्रिया और परीक्षा के जरिए चयन किया गया है।इसलिए सबसे पहला हक नियमितीकरण का संविदा कर्मचारियों का बनता है और अगर सरकार यह मांग नहीं मानेगी और संविदा कर्मचारियों के पहले किसी अन्य को नियमित किया,तो हमें मजबूरन आंदोलन करना होगा।


Body:दरअसल फिलहाल प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वान आंदोलन की राह पर हैं।यह सभी अतिथि विद्वान कमलनाथ सरकार से चुनाव के समय वचन पत्र में दिए गए नियमितीकरण के वचन निभाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन खास बात यह है कि इसमें ज्यादातर अतिथि विद्वान किसी चयन प्रक्रिया या परीक्षा के जरिए नहीं चुने गए हैं।बल्कि महाविद्यालय स्तर पर आवश्यकता और सिफारिश के जरिए अतिथि विद्वान के रूप में कार्य किया है। लेकिन आंदोलन कर जिस तरह से अतिथि विद्वान सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उसके बाद उन संविदा कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है।जो विधिवत प्रक्रिया और परीक्षा के माध्यम से चुने गए हैं। उनका कहना है कि सरकार अगर हमें नियमित नहीं कर सकती है। तो फिर अन्य लोगों को भी नियमित नहीं किया जाना चाहिए।


Conclusion:इस मामले में मप्र संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि प्रदेश के जितने भी संविदा कर्मचारी विभाग,परियोजना और योजनाओं में कार्यरत हैं। वह सभी विधिवत चयन प्रक्रिया और परीक्षा के माध्यम से आए हैं। सभी कर्मचारी शासन के नियमित कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं। उनके समान ही कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। हमारी मांग है कि मप्र शासन सबसे पहले संविदा कर्मचारियों की ओर ध्यान दें। क्योंकि वह 20- 25 साल से शासन की सेवा में लगे हुए हैं। वो सब विधिवत चयन प्रक्रिया के माध्यम से आए हैं। इसलिए सबसे पहला हक संविदा कर्मचारियों का बनता है। मप्र शासन के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से हम मांग करते हैं कि सबसे पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए। उसके बाद अन्य कर्मचारियों को नियमित किया जाए। जिससे कि मप्र के संविदा कर्मचारियों को वचन पत्र का लाभ मिले। अन्यथा कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
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