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संकट: अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी

उच्च शिक्षा विभाग के एक आदेश ने अतिथि विद्वानों के ऊपर नया संकट लाकर खड़ा कर दिया हैं. महाविद्यालय के प्राचार्य ने अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए हैं.

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Published : May 18, 2021, 7:38 PM IST

Higher Education Department
उच्च शिक्षा विभाग

भोपाल। प्रदेश भर में कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ हैं. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग के एक आदेश ने अतिथि विद्वानों के ऊपर नया संकट लाकर खड़ा कर दिया हैं. अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्ति के आदेश महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा 17 मई 2021 को जारी किए गए थे. ऐसे में प्रदेश के व्हिसिल ब्लोअर और शिक्षाविद डॉ. देवेंद्र प्रताप ने उच्च शिक्षा संचालनालय को पत्र जारी कर आदेश को स्थगित करने की मांग की हैं. उन्होंने अपने पत्र में उच्च न्यायालय के 23 अप्रैल 2021 का हवाला देते हुए आदेश स्थगित करने की बात कही हैं.

उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया था

उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर कहा कि अतिथि विद्वानों की सेवाओं के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार महाविद्यालय के प्राचार्य को हैं. महाविद्यालय ने अतिथि विद्वानों की सेवाएं इस कैलेंडर वर्ष में समाप्त करने की बात कही हैं. उक्त आदेश को गलत बताते हुए डॉक्टर देवेंद्र प्रताप सिंह ने उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा हैं.

Letter
पत्र

नफरत फैलाने वाले समाचार चैनल्स को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई

उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा 23 अप्रैल 2021 को अतिथि विद्वानों की सेवाओं के संबंध में एक आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के पैराग्राफ 11 में स्पष्ट लेख है कि कोरोना महामारी के कारण कर्फ्यू लगा हुआ हैं और आवागमन पर प्रतिबंध हैं, जिसके कारण लोगों को शासकीय महाविद्यालय और न्यायालय के अधिवक्ताओं के पास आने-जाने में समस्या हो रही हैं. आदेश की अवधि 10 मार्च 2021 से 15 जून 2021 की हैं. उसको स्थगित कर दिया गया है.

Letter
पत्र

प्राचार्य द्वारा अवैध तरीके से सेवा समाप्ति के आदेश जारी करने के कारण प्रदेश के आवेदक न्याय पाने से वंचित हो रहे हैं. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान विभाग द्वारा अतिथि विद्वानों को न्यूनतम मानदेय देते हुए सभी नियमित शिक्षक और अतिथि विद्वानों के लिए विधि संगत आदेश जारी किया गया था, जिसके चलते कोई समस्या और शिकायत नहीं हुई थी, लेकिन नया आदेश 17 मई 2021 को जारी हुआ हैं. इससे व्यवस्था बिगड़ सकती हैं.

अकादमी कैलेंडर का पालन कोरोना कर्फ्यू के दौरान नहीं हो पा रहा हैं. नियमित और अतिथि विद्वान घर से ही अपना कार्य कर रहे हैं. वहीं सचिव जनभागीदारी समिति की बैठक का आयोजन नहीं किया जा रहा हैं. इसलिए अभी प्राचार्य द्वारा अतिथि विद्वानों की सेवा को समाप्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें नियोक्ता और भरतीकर्ता उच्च शिक्षा विभाग ही हैं.

भोपाल। प्रदेश भर में कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ हैं. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग के एक आदेश ने अतिथि विद्वानों के ऊपर नया संकट लाकर खड़ा कर दिया हैं. अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्ति के आदेश महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा 17 मई 2021 को जारी किए गए थे. ऐसे में प्रदेश के व्हिसिल ब्लोअर और शिक्षाविद डॉ. देवेंद्र प्रताप ने उच्च शिक्षा संचालनालय को पत्र जारी कर आदेश को स्थगित करने की मांग की हैं. उन्होंने अपने पत्र में उच्च न्यायालय के 23 अप्रैल 2021 का हवाला देते हुए आदेश स्थगित करने की बात कही हैं.

उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया था

उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर कहा कि अतिथि विद्वानों की सेवाओं के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार महाविद्यालय के प्राचार्य को हैं. महाविद्यालय ने अतिथि विद्वानों की सेवाएं इस कैलेंडर वर्ष में समाप्त करने की बात कही हैं. उक्त आदेश को गलत बताते हुए डॉक्टर देवेंद्र प्रताप सिंह ने उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा हैं.

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पत्र

नफरत फैलाने वाले समाचार चैनल्स को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई

उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा 23 अप्रैल 2021 को अतिथि विद्वानों की सेवाओं के संबंध में एक आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के पैराग्राफ 11 में स्पष्ट लेख है कि कोरोना महामारी के कारण कर्फ्यू लगा हुआ हैं और आवागमन पर प्रतिबंध हैं, जिसके कारण लोगों को शासकीय महाविद्यालय और न्यायालय के अधिवक्ताओं के पास आने-जाने में समस्या हो रही हैं. आदेश की अवधि 10 मार्च 2021 से 15 जून 2021 की हैं. उसको स्थगित कर दिया गया है.

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पत्र

प्राचार्य द्वारा अवैध तरीके से सेवा समाप्ति के आदेश जारी करने के कारण प्रदेश के आवेदक न्याय पाने से वंचित हो रहे हैं. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान विभाग द्वारा अतिथि विद्वानों को न्यूनतम मानदेय देते हुए सभी नियमित शिक्षक और अतिथि विद्वानों के लिए विधि संगत आदेश जारी किया गया था, जिसके चलते कोई समस्या और शिकायत नहीं हुई थी, लेकिन नया आदेश 17 मई 2021 को जारी हुआ हैं. इससे व्यवस्था बिगड़ सकती हैं.

अकादमी कैलेंडर का पालन कोरोना कर्फ्यू के दौरान नहीं हो पा रहा हैं. नियमित और अतिथि विद्वान घर से ही अपना कार्य कर रहे हैं. वहीं सचिव जनभागीदारी समिति की बैठक का आयोजन नहीं किया जा रहा हैं. इसलिए अभी प्राचार्य द्वारा अतिथि विद्वानों की सेवा को समाप्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें नियोक्ता और भरतीकर्ता उच्च शिक्षा विभाग ही हैं.

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