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अध्यापकों को दी गई ट्रेनिंग, छात्रों की काउंसलिंग कर बोर्ड परीक्षा के तनाव को करेंगे दूर - भोपाल

आगामी बोर्ड परीक्षा को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संयुक्त रुप से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला में अध्यापकों को बच्चों की काउंसलिंग करने की ट्रेनिंग दी गई.

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टीचर्स मिली कांउसलिंग ट्रेनिंग
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Published : Feb 7, 2020, 10:56 AM IST

Updated : Feb 7, 2020, 3:25 PM IST

भोपाल। प्रदेश में होने जा रही बोर्ड परीक्षाओं में बच्चों को परीक्षा के तनाव से बचाने के लिए मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संयुक्त रुप से ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, डाइट प्रिंसिपल समेत प्राचार्यों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें उन्हें बच्चों को तनाव से बचाने लिए काउंसलिंग करने का प्रशिक्षण दिया गया.

अध्यापकों को दी गई ट्रेनिंग

बाल आयोग के सदस्य बृजेश सिंह चौहान ने बताया कि, एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रदेश के 51 डाइट प्रिंसिपल, 314 ब्लॉक शिक्षा अधिकारी समेत सीटीसी प्रशिक्षण के 9 प्राचार्यों को बुलाया गया है. इसके अलावा उन्होंने करीब 200 से ज्यादा स्कूलों का निरीक्षण किया. जिसके सर्वे में सामने आया है कि, कई बार बच्चें परीक्षा की प्रेशर में आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं. ऐसा तमाम घटनाओं पर आयोग ने चिंता जाहिर की है. जिसके चलते उक्त टीचर्स को परीक्षण दिया गया है, जिसमें बच्चों को कैसे परीक्षा के बारे में कैसे समझाएं और उसका प्रेशर मैनेजमेंट जैसी बातें बताई गईं. सभी टीचर्स यहां से मास्टर ट्रेनर बनकर जाएंगे और संकुल और आगे के स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग देंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि, इस साल परीक्षा को पर्व की तरह मनाएं.

बता दें पहले सरकार ने इसके लिए काउंसलर नियुक्त किए थे और वह काउंसलर सीधे परीक्षार्थियों से बात करते थे. लेकिन सरकार के पास अमला कम होने के चलते अब आयोग ने शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है. जो काउंसलर की भूमिका निभाएंगे. साथ ही बच्चों से बातचीत करते हुए एक ब्रिज की तरह काम करेंगे.

भोपाल। प्रदेश में होने जा रही बोर्ड परीक्षाओं में बच्चों को परीक्षा के तनाव से बचाने के लिए मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संयुक्त रुप से ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, डाइट प्रिंसिपल समेत प्राचार्यों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें उन्हें बच्चों को तनाव से बचाने लिए काउंसलिंग करने का प्रशिक्षण दिया गया.

अध्यापकों को दी गई ट्रेनिंग

बाल आयोग के सदस्य बृजेश सिंह चौहान ने बताया कि, एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रदेश के 51 डाइट प्रिंसिपल, 314 ब्लॉक शिक्षा अधिकारी समेत सीटीसी प्रशिक्षण के 9 प्राचार्यों को बुलाया गया है. इसके अलावा उन्होंने करीब 200 से ज्यादा स्कूलों का निरीक्षण किया. जिसके सर्वे में सामने आया है कि, कई बार बच्चें परीक्षा की प्रेशर में आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं. ऐसा तमाम घटनाओं पर आयोग ने चिंता जाहिर की है. जिसके चलते उक्त टीचर्स को परीक्षण दिया गया है, जिसमें बच्चों को कैसे परीक्षा के बारे में कैसे समझाएं और उसका प्रेशर मैनेजमेंट जैसी बातें बताई गईं. सभी टीचर्स यहां से मास्टर ट्रेनर बनकर जाएंगे और संकुल और आगे के स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग देंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि, इस साल परीक्षा को पर्व की तरह मनाएं.

बता दें पहले सरकार ने इसके लिए काउंसलर नियुक्त किए थे और वह काउंसलर सीधे परीक्षार्थियों से बात करते थे. लेकिन सरकार के पास अमला कम होने के चलते अब आयोग ने शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है. जो काउंसलर की भूमिका निभाएंगे. साथ ही बच्चों से बातचीत करते हुए एक ब्रिज की तरह काम करेंगे.

Intro:प्रदेश में होने जा रही बोर्ड परीक्षायों में बच्चों को परीक्षा के तनाव से बचाने के लिए बाल आयोग ने कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें किस तरीके से स्कूली बच्चों को परीक्षा के समय होने वाले तनाव से बचाया जा सके और उस तनाव के चलते होने वाली दुर्घटनाओं से भी बचाव किया जा सके इसको लेकर एक कार्यशाला आयोजित की गई ,


Body:बाल आयोग के सदस्य बृजेश सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश भर के डाइट से उन्होंने शिक्षकों को बुलाया है और ब्लॉक स्तर के शिक्षकों को भी बुला कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे आगामी बोर्ड परीक्षाओं में बच्चों के मानसिक तनाव को कम किया जा सके साथ ही किस तरीके से उनकी काउंसलिंग की जाए ताकि बच्चे परीक्षा के समय होने वाले तनाव को कम कर सकें और जिस तरह की घटनाएं हो सकती हैं उनको रोका जा सके इसको लेकर आयोग ने शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है आपको बता दें हर साल परीक्षा के दौरान कई बार अवसाद से ग्रसित बच्चों की आत्महत्या करने के मामले सामने आते हैं इसको लेकर सरकार ने भी अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए है और इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में कई बार छात्रों से बात कर परीक्षा के दौरान होने वाले मानसिक तनाव और दबाव को कैसे कम करें इसको लेकर बच्चों से भी बातचीत की थी


Conclusion:आपको पता दे पहले सरकार ने इसके लिए काउंसलर नियुक्त किए थे और वह काउंसलर सीधे परीक्षार्थियों से बात करते थे लेकिन सरकार के पास अमला कम होने के चलते अब आयोग ने शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है जो कि शिक्षक के साथ काउंसलिंग कर काउंसलर की भूमिका निभाते हुए बच्चों से बातचीत कर एक ब्रिज की तरह काम करेंगे

बाइट - ब्रजेश सिंह चौहान, सदस्य बाल आयोग
Last Updated : Feb 7, 2020, 3:25 PM IST
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