भोपाल। राजधानी भोपाल के खटलापुरा घाट पर गणेश विसर्जन के दौरान हुए हादसे के बाद भी स्थानीय प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दीपोत्सव मनाया. इस दौरान हर उम्र के लोगों ने घाटों पर दीपदान किया, लेकिन जलाशयों के घाटों पर किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं दिखी. घाटों पर न निगम अमला रहा और न एसडीआरएफ, एनडीआरएफ टीमें तैनात दिखी.
कार्तिक पूर्णिमा के चलते लोग तालाब में बिना किसी गाइडलाइन के ही दीपदान कर रहे थे. कई लोग सीढ़ियों पर पानी के करीब बैठकर पूजा-अर्चना कर रहे थे, इस दौराान लोगों को रोकने, समझाने वाला कोई नहीं था. इसके अलावा यहां किसी प्रकार की कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी और न ही निगम के गोताखोर वहां मौजूद रहे. कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार को श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया. इस मौके पर जगह-जगह पूजा अर्चना, धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही मंदिरों में कथा-पाठ का आयोजन किया गया.
स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था का किया था दावा
खटलापुरा घाट पर हुए हादसे के बाद से प्रशासन की ओर से इस बात का दावा किया गया था कि तालाबों के किनारे जितने भी तीज त्योहार आयोजित किए जाएंगे, उस दौरान प्रशासन की ओर से बेहतर सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी, लेकिन मात्र डेढ़ महीने बीते जाने के बाद से ही सरकार के सारे दावे हवा हो गए.
गणेश विर्सजन के दौरान 11 लोगों की डूबने से हुई थी मौत
खटलापुरा घाट पर गणेश विसर्जन के दौरान इसी तरह की लापरवाही बरतने पर 11 लोगों की जान चली गई थी, जिसकी जांच अभी भी जारी है और दोषियों पर कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन खटलापुरा घाट की घटना के डेढ़ महीने बाद ही स्थिति जस की तस बनी हुई है.