भोपाल। मानसून सत्र समाप्त होते ही मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने जोर पकड़ा ही था. यहां तक कि पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा-सपा विधायकों ने भी अपने तेवर दिखाए थे. लेकिन यह कवायद मानसून सत्र खत्म होने तक टल गई. सत्र के आखिरी दिन यह हालात बने की अब नए सिरे से मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों पर विचार चल रहा है.
हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र के पहले मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने जोर पकड़ा था. यहां तक कि पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा-सपा विधायकों ने भी अपने तेवर दिखाए थे. इन परिस्थितियों में माना जा रहा था कि कमलनाथ जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल की नियुक्तियां कर अपनी सरकार को सुरक्षित करेंगे. लेकिन यह कवायद मानसून सत्र खत्म होने तक टल गई.
इस मामले में कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां उन्हें कब करना है. उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि मानसून सत्र में उनकी प्राथमिकता जनहित के विधेयक और बजट पारित कराना थी. अब मुख्यमंत्री राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में सोचेंगे. यह उनका विशेषाधिकार है, जब भी चाहेंगे तब अमलीजामा पहनाएंगे.
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार चार निर्दलीय और तीन सपा बसपा के विधायकों के सहारे चल रही है. पार्टी के पास बहुमत के आंकड़े 116 से मात्र 2 विधायकों की कमी है. इसी कमी के चलते बीजेपी कमलनाथ सरकार पर अल्पमत सरकार होने का आरोप लगाती रहती है.