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मंत्रिमंडल विस्तार पर बोले कांग्रेस संगठन महामंत्री, कहा- यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है - कांग्रेस संगठन महामंत्री राजीव सिंह

मंत्रिमंडल विस्तार पर संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां उन्हें कब करना है.

राजीव सिंह, संगठन मंत्री
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Published : Jul 30, 2019, 7:55 PM IST

भोपाल। मानसून सत्र समाप्त होते ही मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने जोर पकड़ा ही था. यहां तक कि पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा-सपा विधायकों ने भी अपने तेवर दिखाए थे. लेकिन यह कवायद मानसून सत्र खत्म होने तक टल गई. सत्र के आखिरी दिन यह हालात बने की अब नए सिरे से मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों पर विचार चल रहा है.


हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र के पहले मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने जोर पकड़ा था. यहां तक कि पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा-सपा विधायकों ने भी अपने तेवर दिखाए थे. इन परिस्थितियों में माना जा रहा था कि कमलनाथ जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल की नियुक्तियां कर अपनी सरकार को सुरक्षित करेंगे. लेकिन यह कवायद मानसून सत्र खत्म होने तक टल गई.

मंत्रीमंडल विस्तार सीएम का विशेषाधिकार


इस मामले में कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां उन्हें कब करना है. उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि मानसून सत्र में उनकी प्राथमिकता जनहित के विधेयक और बजट पारित कराना थी. अब मुख्यमंत्री राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में सोचेंगे. यह उनका विशेषाधिकार है, जब भी चाहेंगे तब अमलीजामा पहनाएंगे.


मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार चार निर्दलीय और तीन सपा बसपा के विधायकों के सहारे चल रही है. पार्टी के पास बहुमत के आंकड़े 116 से मात्र 2 विधायकों की कमी है. इसी कमी के चलते बीजेपी कमलनाथ सरकार पर अल्पमत सरकार होने का आरोप लगाती रहती है.

भोपाल। मानसून सत्र समाप्त होते ही मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने जोर पकड़ा ही था. यहां तक कि पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा-सपा विधायकों ने भी अपने तेवर दिखाए थे. लेकिन यह कवायद मानसून सत्र खत्म होने तक टल गई. सत्र के आखिरी दिन यह हालात बने की अब नए सिरे से मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों पर विचार चल रहा है.


हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र के पहले मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने जोर पकड़ा था. यहां तक कि पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा-सपा विधायकों ने भी अपने तेवर दिखाए थे. इन परिस्थितियों में माना जा रहा था कि कमलनाथ जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल की नियुक्तियां कर अपनी सरकार को सुरक्षित करेंगे. लेकिन यह कवायद मानसून सत्र खत्म होने तक टल गई.

मंत्रीमंडल विस्तार सीएम का विशेषाधिकार


इस मामले में कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां उन्हें कब करना है. उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि मानसून सत्र में उनकी प्राथमिकता जनहित के विधेयक और बजट पारित कराना थी. अब मुख्यमंत्री राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में सोचेंगे. यह उनका विशेषाधिकार है, जब भी चाहेंगे तब अमलीजामा पहनाएंगे.


मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार चार निर्दलीय और तीन सपा बसपा के विधायकों के सहारे चल रही है. पार्टी के पास बहुमत के आंकड़े 116 से मात्र 2 विधायकों की कमी है. इसी कमी के चलते बीजेपी कमलनाथ सरकार पर अल्पमत सरकार होने का आरोप लगाती रहती है.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 5 साल चलाने के लिए पिछले कई दिनों से मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा जोर पकड़ रही है। हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र के पहले मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने जोर पकड़ा था। यहां तक कि पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा-सपा विधायकों ने भी अपने तेवर दिखाए थे। इन परिस्थितियों में माना जा रहा था कि कमलनाथ जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल की नियुक्तियां करके अपनी सरकार को सुरक्षित करेंगे। लेकिन यह कवायद मानसून सत्र खत्म होने तक टल गई और मानसून सत्र के आखिरी दिन ऐसे हालात बने कि अब नए सिरे से मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल नियुक्तियों पर विचार चल रहा है। कांग्रेस के विधायकों और नेताओं को बेसब्री से इंतजार है। लेकिन फिलहाल कमलनाथ अपने पत्ते खोलते हुए नजर नहीं आ रहे हैं।


Body:मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार चार निर्दलीय और तीन सपा बसपा के विधायकों के सहारे चल रही है। पार्टी के पास बहुमत के आंकड़े 116 से मात्र 2 विधायकों की कमी है और इसी कमी के चलते बीजेपी हमेशा कमलनाथ सरकार पर अल्पमत सरकार होने का आरोप लगाती रहती है। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले भी ऐसे आसार बने थे कि मंत्रिमंडल में शामिल होने के दावेदार विधायकों ने मुख्यमंत्री को तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कई बार विधायक दल की बैठक करके सभी विधायकों को मनाने का काम किया था। उन्होंने साफ संकेत भी दिए थे कि सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल की नियुक्तियां की जाएंगी। लेकिन मानसून सत्र के आखिरी दिन विधानसभा में ऐसी परिस्थितियां बनी कि बीजेपी के दो विधायक मत विभाजन में कांग्रेस के साथ आ खड़े हुए।इसी वजह से मंत्रिमंडल विस्तार एक बार फिर टलता हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि माना जा रहा है कि इन विधायकों को भी किसी न किसी तरीके से सरकार में शामिल किया जाएगा। लेकिन भाजपा ने जो रणनीति अपनाई है,उसके चलते अभी विधायकों की सदस्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है। दूसरी तरफ भाजपा विधायकों पर लगातार दबाव बना रही है कि वह भाजपा में ही शामिल रहे। माना जा रहा है कि जब तक इन दोनों बीजेपी विधायकों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होगी, तब तक कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल की नियुक्तियां टल सकती हैं।


Conclusion:इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि विधानसभा सत्र के बाद लगातार मीडिया में चर्चा चल रही है। लेकिन यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां उन्हें कब करना है। मैं समझता हूं कि मानसून सत्र में उनकी प्राथमिकता जनहित के विधेयक और बजट पारित कराना थी। अब मुख्यमंत्री राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में सोचेंगे। यह उनका विशेषाधिकार है, जब भी चाहेंगे तब अमलीजामा पहनाएंगे।
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