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जातियों के जादूई वोट बैंक को साधने का काम खत्म, 3 को EVM में कैद होगी किस्मत - Minister of Horticulture and Food Processing

तीन नवंबर को प्रदेश की 28 सीटों पर मतदान होना हैं. ऐसे में अंतिम दौर में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने खासतौर से जातिगत समीकरण साधने के लिए अपने सभी वरिष्ठ नेताओं को इन विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी थी. आज शाम 6 बजे चुनाव प्रचार थम गया है और 3 नवंबर को सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी.

Parties remembered the magic vote cast of castes
जातियों के जादूई वोट बैंक को साधने का काम आज शाम खत्म
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Published : Nov 1, 2020, 9:24 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में जीत के लिए बीजेपी और कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस जातिगत वोटरों पर है और उसी हिसाब से अलग-अलग जातियों के वोटरों के बीच उन्ही जातियों के बड़े नेताओं ने डेरा जमा लिया था. स्टार प्रचारक भी इसी गणित को ध्यान में रखते हुए इन विधानसभा क्षेत्रों में बुलाए गए थे जहां एक तरफ कांग्रेस ने गुर्जर वोट लुभाने के लिए राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को बुलाया था, तो वहीं बीजेपी ने लोधी वोटों को रिझाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के दौरे कराए थे. इसके साथ ही प्रदेश स्तर के नेता भी इन स्थानों पर अपना डेरा जमाए थे.

जातियों के जादूई वोट बैंक को साधने का काम आज शाम खत्म

मांधाता सीट से नारायण पटेल VS उत्तम पाल सिंह

मांधाता सीट पर गुर्जर और आदिवासियों को साधने पर जोर दिया गया था. यहां पर राजपूत, गुर्जर, आदिवासी, दरबार, भिलाला हरिजन समाज की बहुलता है. इसलिए भाजपा ने मंत्री विजय शाह के भाई संजय शाह और बैतूल सांसद दुर्गादास हुई को जिम्मेदारी सौंपी थी, तो वहीं कांग्रेस ने गुर्जर वोट साधने के लिए बड़वाह विधायक सचिन बिरला और राजपूतों के लिए इंदौर के नेता रघु परमार को जिम्मेदारी सौंपी थी. अब देखना होगा कि मांधाता सीट पर कांग्रेस बाजी मारेगी या बीजेपी की किस्मत का ताला खुलेगा.

अशोकनगर सीट से जजपाल सिंह जज्जी VS आशा दोहरे

अशोकनगर में यादव और जैन वोटरों के लिए दोनों ही पार्टियों का फोकस था. यहां से जैन समाज को साधने के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक निशंक जैन ने डेरा जमाया हुआ था, तो वहीं बरगी के पूर्व विधायक संजय यादव को यादव वोटरों को रिझाने का जिम्मा सौंपा गया था. इसके अलावा बीजेपी की तरफ से अशोकनगर में जैन समाज को साधने के लिए सागर से विधायक शैलेंद्र जैन को जिम्मेदारी दी गई थी. अब देखना होगा कि जजपाल सिंह जज्जी को अशोकनगर की जनता एक फिर से चुनेगी या फिर आशा दोहरे को अपना आर्शीवाद मिलेगा.

करैरा सीट से जसवंत जाटव VS प्रागीलाल जाटव

करैरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व सांसद रामसेवक गुर्जर को गुर्जर वोटर्स को साधने के लिए नियुक्त किया था. इसके साथ ही रावत समाज को साधने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत और क्षत्रिय वोटों के लिए पूर्व मंत्री केपी सिंह को मैदान में उतारा था, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व विधायक रणवीर सिंह रावत, सीताराम आदिवासी और मंत्री भारत सिंह कुशवाह को वाटों को साधने के लिए जिम्मेदारी सौंपी थी.

सुमावली सीट से एदल सिंह कंसाना VS अजब सिंह कुशवाह

सुमावली सीट पर जातिगत वोटरों को साधने के लिए जहां एक तरफ कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के विधायक व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय को ब्राम्हण मतदाताओं के बीच भेजा था. तो वहीं ठाकुर समाज के लिए पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर यहां डेरा जमाए हुए थे, बीजेपी ने भी अपने कुशवाह वोटों के लिए मंत्री भरत सिंह कुशवाह को मैदान में उतारा था.

जौरा सीट से सुविधा सिंह VS पंकज उपाध्याय

जौरा विधानसभा में पिछली बार भी कांग्रेस से ब्राह्मण वर्ग के विधायक बनवारी लाल शर्मा थे. यहां पर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण समाज को साधने के लिए मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी और क्षत्रिय समाज के लिए सिरमौर से विधायक दिव्यराज सिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी, तो वहीं कांग्रेस ने चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी को ब्राह्मण मतदाताओं को साधना का जिम्मा दिया था. अब इन दोनों ही उम्मीदारों की किस्मत 3 नवंबर ईवीएम में कैद हो जाएगी.

दिमनी सीट से गिर्राज सिंह डंडोतिया VS रविंद्र सिंह तोमर

यह सीट ठाकुर और ब्राह्मण बहुल सीट कहलाती है. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री संजय पाठक को जिम्मेदारी दी गई थी और संजय पाठक पिछले लंबे समय से यहां पर डेरा जमाए हुए थे और छोटी-छोटी बैठकें कर ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने का काम कर रहे थे. तो वहीं कोरी समाज के लिए उत्तर प्रदेश के मंत्री मनोहर लाल पंथ और मनु को यहां पर सक्रिय रहे थे. इसके साथ ही कांग्रेस की तरफ से ब्राह्मण वोटों के लिए चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी भी यहां पर मतदाताओं से जन संपर्क कार्यक्रम में शामिल होते रहे थे. अब देखना होगा कि दिमनी की जनता गिर्राज सिंह डंडोतिया को एक बार फिर से विधायक बनाती है या फिर कांग्रेस की ओर से रविंद्र सिंह तोमर को अपना आर्शीवाद देगी.

भांडेर सीट से रक्षा सिनोरिया VS फूल सिंह बरैया

भांडेर में कांग्रेस ने सबलगढ़ विधायक बैजनाथ कुशवाह को कुशवाह समाज के बीच में अपनी पैठ बनाने की जिम्मेदारी दी थी, तो वहीं पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भी पटेल समाज को साध रहे थे. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को, यादव बाहुल्य क्षेत्र में तैनात किया था. इसके साथ ही मंत्री रामखेलावन पटेल भी कुर्मी समाज को साध रहे थे.

डबरा सीट से इमरती देवी VS सुरेश राजे

वहीं डबरा सीट पर भी बीजेपी कांग्रेस की तरफ से कुछ ऐसा ही गणित दिखाई दे रहा है. कांग्रेस की तरफ से पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे पिछले 3 महीने से लगातार कुशवाह समाज के बीच बैठकें ले रही थी. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के मंत्री डॉक्टर शिव कुमार डेहरिया, आदिवासी क्षेत्रों और कांग्रेस नेता बालेंद्र शुक्ला ब्राह्मणों को साधने में लगे थे. बीजेपी ने कुशवाह समाज के लिए उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भारत सिंह कुशवाह और बघेल समाज के लिए पूर्व विधायक राधेलाल बघेल को यहां वोटरों को साधने की जिम्मेदारी दी थी.

सभी सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में अंतिम दौर में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने खासतौर से जातिगत समीकरण साथी के लिए अपने सभी वरिष्ठ नेताओं को इन सीटों की जिम्मेदारी दी है. माना जा रहा है कि अक्सर जातिगत आधार पर की गई विधानसभा सीटों पर हार जीत के परिणाम सामने आते हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों ने अपने सभी बड़े नेताओं को मैदान में उतार कर वोटर्स को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. लेकिन अब देखना होगा कि 3 नवंबर को होने वाले मतदान में प्रदेश की जनता किसे अपना विधायक चुनती है और किसे अस्वीकार्य करती है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में जीत के लिए बीजेपी और कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस जातिगत वोटरों पर है और उसी हिसाब से अलग-अलग जातियों के वोटरों के बीच उन्ही जातियों के बड़े नेताओं ने डेरा जमा लिया था. स्टार प्रचारक भी इसी गणित को ध्यान में रखते हुए इन विधानसभा क्षेत्रों में बुलाए गए थे जहां एक तरफ कांग्रेस ने गुर्जर वोट लुभाने के लिए राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को बुलाया था, तो वहीं बीजेपी ने लोधी वोटों को रिझाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के दौरे कराए थे. इसके साथ ही प्रदेश स्तर के नेता भी इन स्थानों पर अपना डेरा जमाए थे.

जातियों के जादूई वोट बैंक को साधने का काम आज शाम खत्म

मांधाता सीट से नारायण पटेल VS उत्तम पाल सिंह

मांधाता सीट पर गुर्जर और आदिवासियों को साधने पर जोर दिया गया था. यहां पर राजपूत, गुर्जर, आदिवासी, दरबार, भिलाला हरिजन समाज की बहुलता है. इसलिए भाजपा ने मंत्री विजय शाह के भाई संजय शाह और बैतूल सांसद दुर्गादास हुई को जिम्मेदारी सौंपी थी, तो वहीं कांग्रेस ने गुर्जर वोट साधने के लिए बड़वाह विधायक सचिन बिरला और राजपूतों के लिए इंदौर के नेता रघु परमार को जिम्मेदारी सौंपी थी. अब देखना होगा कि मांधाता सीट पर कांग्रेस बाजी मारेगी या बीजेपी की किस्मत का ताला खुलेगा.

अशोकनगर सीट से जजपाल सिंह जज्जी VS आशा दोहरे

अशोकनगर में यादव और जैन वोटरों के लिए दोनों ही पार्टियों का फोकस था. यहां से जैन समाज को साधने के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक निशंक जैन ने डेरा जमाया हुआ था, तो वहीं बरगी के पूर्व विधायक संजय यादव को यादव वोटरों को रिझाने का जिम्मा सौंपा गया था. इसके अलावा बीजेपी की तरफ से अशोकनगर में जैन समाज को साधने के लिए सागर से विधायक शैलेंद्र जैन को जिम्मेदारी दी गई थी. अब देखना होगा कि जजपाल सिंह जज्जी को अशोकनगर की जनता एक फिर से चुनेगी या फिर आशा दोहरे को अपना आर्शीवाद मिलेगा.

करैरा सीट से जसवंत जाटव VS प्रागीलाल जाटव

करैरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व सांसद रामसेवक गुर्जर को गुर्जर वोटर्स को साधने के लिए नियुक्त किया था. इसके साथ ही रावत समाज को साधने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत और क्षत्रिय वोटों के लिए पूर्व मंत्री केपी सिंह को मैदान में उतारा था, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व विधायक रणवीर सिंह रावत, सीताराम आदिवासी और मंत्री भारत सिंह कुशवाह को वाटों को साधने के लिए जिम्मेदारी सौंपी थी.

सुमावली सीट से एदल सिंह कंसाना VS अजब सिंह कुशवाह

सुमावली सीट पर जातिगत वोटरों को साधने के लिए जहां एक तरफ कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के विधायक व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय को ब्राम्हण मतदाताओं के बीच भेजा था. तो वहीं ठाकुर समाज के लिए पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर यहां डेरा जमाए हुए थे, बीजेपी ने भी अपने कुशवाह वोटों के लिए मंत्री भरत सिंह कुशवाह को मैदान में उतारा था.

जौरा सीट से सुविधा सिंह VS पंकज उपाध्याय

जौरा विधानसभा में पिछली बार भी कांग्रेस से ब्राह्मण वर्ग के विधायक बनवारी लाल शर्मा थे. यहां पर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण समाज को साधने के लिए मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी और क्षत्रिय समाज के लिए सिरमौर से विधायक दिव्यराज सिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी, तो वहीं कांग्रेस ने चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी को ब्राह्मण मतदाताओं को साधना का जिम्मा दिया था. अब इन दोनों ही उम्मीदारों की किस्मत 3 नवंबर ईवीएम में कैद हो जाएगी.

दिमनी सीट से गिर्राज सिंह डंडोतिया VS रविंद्र सिंह तोमर

यह सीट ठाकुर और ब्राह्मण बहुल सीट कहलाती है. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री संजय पाठक को जिम्मेदारी दी गई थी और संजय पाठक पिछले लंबे समय से यहां पर डेरा जमाए हुए थे और छोटी-छोटी बैठकें कर ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने का काम कर रहे थे. तो वहीं कोरी समाज के लिए उत्तर प्रदेश के मंत्री मनोहर लाल पंथ और मनु को यहां पर सक्रिय रहे थे. इसके साथ ही कांग्रेस की तरफ से ब्राह्मण वोटों के लिए चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी भी यहां पर मतदाताओं से जन संपर्क कार्यक्रम में शामिल होते रहे थे. अब देखना होगा कि दिमनी की जनता गिर्राज सिंह डंडोतिया को एक बार फिर से विधायक बनाती है या फिर कांग्रेस की ओर से रविंद्र सिंह तोमर को अपना आर्शीवाद देगी.

भांडेर सीट से रक्षा सिनोरिया VS फूल सिंह बरैया

भांडेर में कांग्रेस ने सबलगढ़ विधायक बैजनाथ कुशवाह को कुशवाह समाज के बीच में अपनी पैठ बनाने की जिम्मेदारी दी थी, तो वहीं पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भी पटेल समाज को साध रहे थे. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को, यादव बाहुल्य क्षेत्र में तैनात किया था. इसके साथ ही मंत्री रामखेलावन पटेल भी कुर्मी समाज को साध रहे थे.

डबरा सीट से इमरती देवी VS सुरेश राजे

वहीं डबरा सीट पर भी बीजेपी कांग्रेस की तरफ से कुछ ऐसा ही गणित दिखाई दे रहा है. कांग्रेस की तरफ से पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे पिछले 3 महीने से लगातार कुशवाह समाज के बीच बैठकें ले रही थी. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के मंत्री डॉक्टर शिव कुमार डेहरिया, आदिवासी क्षेत्रों और कांग्रेस नेता बालेंद्र शुक्ला ब्राह्मणों को साधने में लगे थे. बीजेपी ने कुशवाह समाज के लिए उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भारत सिंह कुशवाह और बघेल समाज के लिए पूर्व विधायक राधेलाल बघेल को यहां वोटरों को साधने की जिम्मेदारी दी थी.

सभी सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में अंतिम दौर में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने खासतौर से जातिगत समीकरण साथी के लिए अपने सभी वरिष्ठ नेताओं को इन सीटों की जिम्मेदारी दी है. माना जा रहा है कि अक्सर जातिगत आधार पर की गई विधानसभा सीटों पर हार जीत के परिणाम सामने आते हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों ने अपने सभी बड़े नेताओं को मैदान में उतार कर वोटर्स को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. लेकिन अब देखना होगा कि 3 नवंबर को होने वाले मतदान में प्रदेश की जनता किसे अपना विधायक चुनती है और किसे अस्वीकार्य करती है.

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