भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण मध्यप्रदेश में लागू रहे लॉकडाउन के चलते पुलिस को खासी राहत मिली है. मध्यप्रदेश में बढ़ रहे अपराधों के ग्राफ में अचानक गिरावट आई है. पिछले कुछ महीनों में ही छेड़छाड़ से लेकर अपहरण और बलात्कार तक के अपराधों में 25 से लेकर 68 फ़ीसदी तक की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज हुई है. हालांकि इस दौरान शराबी, जुआरियों और अपराधियों पर होने वाली कार्रवाई में काफी कमी देखी आई है. इसके साथ प्रदेश में हत्या के मामलों में इजाफा हुआ है.
कोरोना संक्रमण को लेकर 24 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लगाया गया था. लॉकडाउन के दौरान मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहे अपराधों के आंकड़ों में भारी कमी देखने को मिली. प्रदेश के पिछले कुछ महीनों की ही बात करें तो छेड़छाड़ से लेकर अपहरण और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में 25 से 68 फीसदी तक की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. लेकिन इस बीच मध्यप्रदेश पुलिस की ने अवैध शराब और आरोपियों पर होने वाली कार्रवाई न के बराबर की है. वहीं लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बावजूद भी हत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.
लॉकडाउन में अपराधों में कमी
पूरे देश समेत प्रदेश में भी 24 मार्च से लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी. इस बीच मार्च के मुकाबले अप्रैल में घटित हुए अपराधों में काफी कमी आई है. मार्च के मुकाबले अप्रैल में प्रदेशभर के सभी थानों में 40 फ़ीसदी कम मामले दर्ज हुए हैं. जहां मार्च में 4287 मामले दर्ज हुए थे. वहीं अप्रैल में 2569 प्रकरण पंजीबद्ध किये गए हैं. सिर्फ हत्या के मामलों में जरूर 5 प्रतिशत से भी ज्यादा की वृद्धि हुई है. मार्च में जहां 36 हत्याएं हुई थीं वहीं अप्रैल में संख्या बढ़कर 38 हो गई थी. बलात्कार के मामलों में 42 फ़ीसदी से भी ज्यादा और अपहरण में 67 फ़ीसदी से भी ज्यादा की कमी आई है.
अनलॉक में तेजी से बढ़े मामले
इसके अलावा राजधानी भोपाल की बात करें तो भोपाल में भी बलात्कार, छेड़छाड़ और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में कमी आई है. लेकिन अनलॉक के बाद अचानक चोरी लूट और चैन लूट, हत्या के प्रयास जैसी वारदातों के साथ-साथ हत्या के मामले तेजी से सामने आए हैं. हालांकि राजधानी पुलिस ने लॉकडाउन से लेकर अब तक शासकीय नियमों के उल्लंघन को लेकर धारा 188 के तहत आठ हजार से भी ज्यादा मामले दर्ज किए हैं.
साइबर क्राइम में इजाफा
वहीं गुंडे, बदमाशों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी जोरों शोरों से की जा रही है. भोपाल में भी हत्या जैसे गंभीर अपराध अनलॉक के बाद सामने आए हैं. तो वहीं साइबर क्राइम का भी ग्राफ भोपाल में बढ़ा है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक कोरोना काल के दौरान साइबर क्राइम से जुड़े करीब 200 से 250 मामले सामने आए हैं. तो वहीं चोरी, लूट और मारपीट जैसे भी अपराध हर दिन अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए हैं. वहीं अनलॉक की बात करें तो जून माह में पुलिस ने गुंडे बदमाशों और चोरों के खिलाफ कई कार्रवाई है की है. सिर्फ जून माह की बात करें तो चोरी लूट चैन लूट मोबाइल लूट और मारपीट हत्या का प्रयास और हत्या के कुल 1490 सौ से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं. तो वही 1000 से भी ज्यादा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई है।
भोपाल में लॉकडाउन और अनलॉक में ऐसी रही अपराधों की स्थिति
हत्या- मार्च- 05, अप्रैल- 02, मई- 06, जून- 07
हत्या का प्रयास- मार्च- 02, अप्रैल- 02, मई- 06, जून- 09
डकैती- मार्च- 00, अप्रैल- 00, मई- 00, जून- 00
डकैती की तैयारी- मार्च- 01, अप्रैल- 01, मई- 01, जून-02
लूट- मार्च- 02, अप्रैल- 01, मई- 00, जून- 07
लूट का प्रयास- मार्च- 01, अप्रैल- 00, मई- 01, जून- 00
नकबजनी- मार्च- 46, अप्रैल- 20, मई- 35, जून- 43
चोरी- मार्च- 149, अप्रैल- 26, मई- 40, जून- 114
बलात्कार- मार्च- 14, अप्रैल- 07, मई- 09, जून- 22
अपहरण- मार्च- 44, अप्रैल- 09, मई- 31, जून- 26
बलवा- मार्च- 07, अप्रैल- 00, मई- 06, जून- 04
मार्च के बाद अप्रैल में ऐसे गिरा अपराधों का ग्राफ
महिला अपराध- 41.40 फीसदी की कमी
हत्या- 38-38 - 0 प्रतिशत
अपहरण- 72.83 प्रतिशत की कमी
बलात्कार- 50.12 फीसदी की कमी
छेड़छाड़- 43.44 प्रतिशत की कमी
हत्या के प्रयास- 25 प्रतिशत की गिरावट
इन अपराधों में आई भारी कमी
मादक पदार्थों की तस्करी
जुआ और सट्टा
सड़क हादसे
सामूहिक हमला
छेड़छाड़ और पीछा करना
मारपीट चोरी लूट और डकैती
इसलिए आई पुलिसिया कार्रवाई में कमी
कोरोना संक्रमण रोकने की प्राथमिकता के चलते अन्य पुलिसिंग काम प्रभावित हुए
लॉकडाउन के कारण कलेक्टर, एडीएम कोर्ट और अदालतों में भी जरूरी काम के चलते जिला बदर, धारा 151 आदि में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई नहीं हुई
शराब दुकानें बंद होने से शराब तस्करी जुआ और सट्टा के अवैध कारोबार भी बंद रहे
वाहनों का आवागमन बंद होने से एक्सीडेंट पुलिस एक्ट और मोटर व्हीकल एक्ट आदि की कार्रवाईयां नहीं हुई
वारंटियों की तलाश में एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र और जिला शहर में पुलिस नहीं जा सकी.
छोटे-मोटे मामलों में अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया जिससे जेल में कोरोना का खतरा न बढ़े.