भोपाल। राजधानी में बढ़ते कुपोषण को देखते हुए महिला एवं बाल विकास ने सितम्बर महीने को पोषण माह के रूप में मनाया गया था. ताकि लोगों में और खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सही सन्तुलित आहार लेने के लिए जागरूक किया जा सके.
कुपोषण को लेकर मध्य प्रदेश भारत में 5वां स्थान है महिला एवं बाल विकास ने सितम्बर महीने को पोषण माह के रूप में मनाया गया. जिसे अब तक पूरे पोषण माह की गतिविधियों के कारण लोगों पर कितना असर हुआ इस बारे में महिला और बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन कहते हैं कि कुपोषण को दूर करना एक बहुत लंबी प्रकिया है. केवल एक महीने अभियान चलाकर इसे दूर नहीं किया जा सकता.
पोषण माह का मकसद लोगों में जागरूकता लाना था और हमें यकीन है कि लोगों को इससे फायदा होगा। बस लोग बच्चे के जन्म के साथ ही इस बात पर ध्यान दें कि उसे कैसा खानपान देना है।पोषण माह के तहत अलग-अलग स्तर पर विभाग ने कई गतिविधियों का आयोजन किया था, जिसमें प्रदेश के करीब 5 करोड़ के आसपास लोगों को जोड़ा गया था. इस अभियान का उद्देश्य 2022 तक 0-6 साल की आयु वर्ग के बच्चों में रुके हुए विकास के राष्ट्रीय औसत 38.4% को घटाकर 25% करना है.