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माखनलाल के पूर्व कुलपति पर NSUI का हमला, 'अगर सच्चे हैं कुठियाला, तो मुंह छिपाते क्यों घूम रहे हैं' - भोपाल

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला पर NSUI ने हमला बोला है. प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि अगर बीके कुठियाला सही हैं, तो EOW का सामना करें.

माखनलाल के पूर्व कुलपति पर NSUI का हमला
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Published : Jul 3, 2019, 10:15 AM IST

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला इन दिनों EOW से बचते फिर रहे हैं. जिसे लेकर NSUI ने बीके कुठियाला पर निशाना साधा है. NSUI के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि जिस तरह से बीके कुठियाला मुंह छिपाते फिर रहे हैं, इससे यह सबित होता है कि उन पर लगे सारे आरोप सच हैं. अगर वह सच्चे हैं, तो हम उन्हें चुनौती देते हैं कि वे अपना पक्ष कोर्ट में आकर रखें.

माखनलाल के पूर्व कुलपति पर NSUI का हमला


बता दें कि बीके कुठियाला लंबे समय तक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. इस दौरान उन पर कई तरह की गड़बड़ियों के आरोप लगे. चाहे विश्वविद्यालय में भर्तियों का मामला हो, विश्वविद्यालय के पैसे से महंगे होटलों में पी गई शराब के बिल चुकाने का मामला या फिर विश्वविद्यालय के पैसे से खरीदे गए महंगे मोबाइल की जगह टूटा-फूटा मोबाइल जमा करने का मामला हो, इस तरह के कई गंभीर आरोपों से बीके कुठियाला घिरे हुए हैं. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की जांच के बाद बीके कुठियाला पर EOW ने केस दर्ज किया. EOW ने उनसे पूछताछ के लिए उन्हें तीन बार समन भी जारी किया, लेकिन वे पेश नहीं हुए. बाद में EOW ने पंचकूला स्थित उनके निवास और दफ्तर पर भी छापा मारा, लेकिन वह EOW के हत्थे नहीं चढ़े. अब EOW उनकी संपत्ति कुर्क करने का आवेदन अदालत में देने की तैयारी कर रही है.

NSUI के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि मध्य प्रदेश के एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में लंबे समय से आरएसएस का कब्जा था. पिछली सरकार में वहां के कुलपति बीके कुठियाला ने मनमानी करते हुए आर्थिक अनियमितता की और संघ के सदस्यों को गैरकानूनी तरीके से विश्वविद्यालय में भर्ती किया. जिसके खिलाफ एनएसयूआई ने बार-बार लड़ाई लड़ी, लेकिन पिछली सरकार ने मौन धारण किया हुआ था. अब हमारी लड़ाई सफल होती हुई दिख रही है. विवेक त्रिपाठी का कहना है कि कुठियाला जिस तरह से मुंह छिपाकर घूम रहे हैं, इससे यह साबित होता है कि उन पर लगे सारे आरोप सही हैं. विवेक त्रिपाठी ने कहा कि अगर वह सच्चे हैं और खुद को पाक-साफ बताते हैं, तो अदालत में अपना पक्ष रखें और EOW को जांच में सहयोग करें.

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला इन दिनों EOW से बचते फिर रहे हैं. जिसे लेकर NSUI ने बीके कुठियाला पर निशाना साधा है. NSUI के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि जिस तरह से बीके कुठियाला मुंह छिपाते फिर रहे हैं, इससे यह सबित होता है कि उन पर लगे सारे आरोप सच हैं. अगर वह सच्चे हैं, तो हम उन्हें चुनौती देते हैं कि वे अपना पक्ष कोर्ट में आकर रखें.

माखनलाल के पूर्व कुलपति पर NSUI का हमला


बता दें कि बीके कुठियाला लंबे समय तक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. इस दौरान उन पर कई तरह की गड़बड़ियों के आरोप लगे. चाहे विश्वविद्यालय में भर्तियों का मामला हो, विश्वविद्यालय के पैसे से महंगे होटलों में पी गई शराब के बिल चुकाने का मामला या फिर विश्वविद्यालय के पैसे से खरीदे गए महंगे मोबाइल की जगह टूटा-फूटा मोबाइल जमा करने का मामला हो, इस तरह के कई गंभीर आरोपों से बीके कुठियाला घिरे हुए हैं. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की जांच के बाद बीके कुठियाला पर EOW ने केस दर्ज किया. EOW ने उनसे पूछताछ के लिए उन्हें तीन बार समन भी जारी किया, लेकिन वे पेश नहीं हुए. बाद में EOW ने पंचकूला स्थित उनके निवास और दफ्तर पर भी छापा मारा, लेकिन वह EOW के हत्थे नहीं चढ़े. अब EOW उनकी संपत्ति कुर्क करने का आवेदन अदालत में देने की तैयारी कर रही है.

NSUI के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि मध्य प्रदेश के एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में लंबे समय से आरएसएस का कब्जा था. पिछली सरकार में वहां के कुलपति बीके कुठियाला ने मनमानी करते हुए आर्थिक अनियमितता की और संघ के सदस्यों को गैरकानूनी तरीके से विश्वविद्यालय में भर्ती किया. जिसके खिलाफ एनएसयूआई ने बार-बार लड़ाई लड़ी, लेकिन पिछली सरकार ने मौन धारण किया हुआ था. अब हमारी लड़ाई सफल होती हुई दिख रही है. विवेक त्रिपाठी का कहना है कि कुठियाला जिस तरह से मुंह छिपाकर घूम रहे हैं, इससे यह साबित होता है कि उन पर लगे सारे आरोप सही हैं. विवेक त्रिपाठी ने कहा कि अगर वह सच्चे हैं और खुद को पाक-साफ बताते हैं, तो अदालत में अपना पक्ष रखें और EOW को जांच में सहयोग करें.

Intro:भोपाल। राजधानी स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला इन दिनों म प्र ईओडब्ल्यू से बचते फिर रहे हैं। दरअसल विश्वविद्यालय में उनके कार्यकाल में हुई अवैध नियुक्तियों और गड़बड़ियों को लेकर ईओडब्ल्यू ने उन पर केस दर्ज किया है। ईओडब्ल्यू उनको सम्मन पेश करने के बाद कई बार उनके ठिकानों पर दबिश दे चुकी है। अदालत में लगाई गई उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी है। लेकिन फिर भी बीके कुठियाला अदालत में पेश नहीं हो रहे हैं। इन परिस्थितियों को लेकर एनएसयूआई को कहना एनएसयूआई का कहना है कि विश्वविद्यालय में व्याप्त गड़बड़ियों को लेकर हमारे आरोप सच साबित हुए हैं। अगर वाकई में बी के कुठियाला निर्दोष हैं, तो उन्हें अदालत का सामना करना चाहिए।


Body:दरअसल भाजपा के राज में बीके कुठियाला लंबे समय तक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। इस दौरान उन पर कई तरह की गड़बड़ियों के आरोप लगे चाहे विश्वविद्यालय में भर्तियों का मामला हो, या फिर विश्वविद्यालय के पैसे से महंगे होटलों में पी गई शराब के बिल चुकाने का मामला हो या फिर विश्वविद्यालय के पैसे से खरीदे गए महंगे मोबाइल की जगह टूटा फूटा मोबाइल जमा करने का मामला हो। इस तरह के कई गंभीर आरोपों से बीके कुठियाला घिरे हुए हैं। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की जांच के बाद बीके कुठियाला ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किए गए हैं। ईओडब्ल्यू ने उनसे पूछताछ के लिए उन्हें तीन बार समन भी जारी किया, लेकिन वह पेश नहीं हुए। बाद में ईओडब्ल्यू ने पंचकूला स्थित उनके निवास और दफ्तर पर भी छापा मारा, लेकिन वह ईओडब्ल्यू के हत्थे नहीं चढ़े। अब ईओडब्ल्यू उनकी संपत्ति कुर्क करने का आवेदन अदालत में देने की तैयारी कर रही है।


Conclusion:इस बारे में मध्यप्रदेश एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि मध्य प्रदेश के एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में लंबे समय से आर एस एस का कब्जा था। पिछली सरकार में वहां के कुलपति बीके कुठियाला ने मनमानी करते हुए आर्थिक अनियमितता करते हुए संघ के सदस्यों को गैरकानूनी तरीके से विश्वविद्यालय में भर्ती किया। बार-बार एनएसयूआई ने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी।परंतु पिछली सरकार ने मौन धारण किया हुआ था।अब हमारी लड़ाई सफल होते हुए दिख रही है। अदालत की शरण में पूरा मामला है। जिस तरह से कुठियाला मुंह छुपा कर घूम रहे हैं।हमारे आरोप इस बात से अपने आप प्रमाणित हो जाते हैं। यदि वह सच्चे हैं, तो हम उन्हें चुनौती देते हैं कि जिस तरह से अपने आप को पाक साफ कहते हैं,तो उन्हें अदालत में आकर अपना पक्ष रखना चाहिए।
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