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कोरोना के कारण रैन बसेरा बंद, कहां जाएंगे बेघर लोग

प्रदेश में अनलॉक पांच की प्रक्रिया के तहत सरकार की मंशानुरूप आर्थिक गतिविधियां भले ही शुरुआत हो चुकी है, लेकिन तमाम गतिविधियों की बीच राजधानी भोपाल के रैन बसेरे अब तक नहीं खुल पाए हैं. ऐसे में रैन बसेरा के प्रभारी शासन के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. तो, प्रशासन जल्द से जल्द व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने की बात करा रहा है.

Rain shelters closed due to Corona
कोरोना के कारण बंद पड़ा रैन बसेरा
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Published : Nov 27, 2020, 8:11 PM IST

भोपाल। अगर आप सर्दी के मौसम में राजधानी भोपाल के रैनबसेरों में रुकने की सोच रहे हैं. तो ये खबर आपके लिए थोड़ी पीड़ादायक हो सकती है.क्योंकि, कोरोना संक्रमण के चलते बंद किए गए भोपाल के सभी रैनबसेरों को अब तक नहीं खोला जा सका है. ऐसे में आगामी दिनों में पड़ने वाली सर्दी का मौसम रैनबसेरों को सहारे भोपाल में रुकने वाले लोगों की परेशानी बढ़ा सकता है. शहर पांच रैनबसेरे है जहां पर 200 से 500 लोग रुकते है.

कोरोना के चलते रैनबसेरे बंद

  • आम लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए रैन बसेरे पड़े बंद
  • कोरोना काल में शासन के आदेश पर किए गए थे बंद.
  • रैन बसेरे बंद होने से सर्दियों के मौसम में बढ़ सकती हैं लोगों की परेशानी.
  • राजधानी में नगर निगम द्वारा संचालित किए जाते हैं रैन बसेरे.
  • एक रैन बसेरे में 200 से 500 लोगों के रुकने की व्यवस्था.
  • जिला प्रशासन के निर्देश पर अब तीन दिन में व्यवस्था होगी दुरुस्त.

पांच रुपए मे मिलता है खाना

कोरोना के कारण रैन बसेरे बंद हैं. अगर रैन बसेरा चालू भी होते हैं तो एक रैन बसेरे में 200 से 500 लोगों को ही रोका जा सकता था. लेकिन अब सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए इसकी संख्या काफी कम हो सकती है, जिससे आम लोगों को और परेशानियां उठाना पड़ेंगी. रैन बसेरे की व्यवस्थाओं को लेकर प्रभारी का कहना है कि अभी तो कोरोना के चलते रैन बसेरा बंद रखा गया है. शासन का आदेश आएगा तो फिर खोल दिया जाएगा और सारी व्यवस्थाएं बहाल हो जाएंगी. यहां लगभग 500 लोगों के रुकने की व्यवस्था है. लोगों को खाना भी पांच रुपए में मिलता है.

तीन दिन में व्यवस्थाएं होंगी दुरुस्त

जिला कलेक्टर का कहना है कि बैठक में नगर निगम के अधिकारियों को सभी रैन बसेरों को दुरुस्त करने और उनमें सभी व्यवस्थाएं को चाक-चौबंद करने का निर्देश दे दिया है. इसके लिए उन्हें तीन दिन का समय दिया गया है. तीन दिन बाद हम स्वयं ही सभी रैनबसेरों का एक निरीक्षण करकर सुनिश्चित कर लेंगे कि रैन बसेरों की सभी व्यवस्थाएं ठीक हों, सर्दी ज्यादा होने की स्थिति में अलाव और अन्य व्यवस्थाएं कराई जाएंगी.

आम जनमानस की सुविधा के लिए बनाए गए रैन बसेरों में फिलहाल तो लोगों को रुकने की व्यवस्था नहीं है. जैसे कई बार देखने में आता है कि लोगों को खुले आसमान के नीचे रात काटनी पड़ती है. ऐसे में अब देखना होगा कि अनलॉक पांच की शुरुआत होने के बाद प्रशासन रैन बसेरों को कब से शुरु होता है.

भोपाल। अगर आप सर्दी के मौसम में राजधानी भोपाल के रैनबसेरों में रुकने की सोच रहे हैं. तो ये खबर आपके लिए थोड़ी पीड़ादायक हो सकती है.क्योंकि, कोरोना संक्रमण के चलते बंद किए गए भोपाल के सभी रैनबसेरों को अब तक नहीं खोला जा सका है. ऐसे में आगामी दिनों में पड़ने वाली सर्दी का मौसम रैनबसेरों को सहारे भोपाल में रुकने वाले लोगों की परेशानी बढ़ा सकता है. शहर पांच रैनबसेरे है जहां पर 200 से 500 लोग रुकते है.

कोरोना के चलते रैनबसेरे बंद

  • आम लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए रैन बसेरे पड़े बंद
  • कोरोना काल में शासन के आदेश पर किए गए थे बंद.
  • रैन बसेरे बंद होने से सर्दियों के मौसम में बढ़ सकती हैं लोगों की परेशानी.
  • राजधानी में नगर निगम द्वारा संचालित किए जाते हैं रैन बसेरे.
  • एक रैन बसेरे में 200 से 500 लोगों के रुकने की व्यवस्था.
  • जिला प्रशासन के निर्देश पर अब तीन दिन में व्यवस्था होगी दुरुस्त.

पांच रुपए मे मिलता है खाना

कोरोना के कारण रैन बसेरे बंद हैं. अगर रैन बसेरा चालू भी होते हैं तो एक रैन बसेरे में 200 से 500 लोगों को ही रोका जा सकता था. लेकिन अब सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए इसकी संख्या काफी कम हो सकती है, जिससे आम लोगों को और परेशानियां उठाना पड़ेंगी. रैन बसेरे की व्यवस्थाओं को लेकर प्रभारी का कहना है कि अभी तो कोरोना के चलते रैन बसेरा बंद रखा गया है. शासन का आदेश आएगा तो फिर खोल दिया जाएगा और सारी व्यवस्थाएं बहाल हो जाएंगी. यहां लगभग 500 लोगों के रुकने की व्यवस्था है. लोगों को खाना भी पांच रुपए में मिलता है.

तीन दिन में व्यवस्थाएं होंगी दुरुस्त

जिला कलेक्टर का कहना है कि बैठक में नगर निगम के अधिकारियों को सभी रैन बसेरों को दुरुस्त करने और उनमें सभी व्यवस्थाएं को चाक-चौबंद करने का निर्देश दे दिया है. इसके लिए उन्हें तीन दिन का समय दिया गया है. तीन दिन बाद हम स्वयं ही सभी रैनबसेरों का एक निरीक्षण करकर सुनिश्चित कर लेंगे कि रैन बसेरों की सभी व्यवस्थाएं ठीक हों, सर्दी ज्यादा होने की स्थिति में अलाव और अन्य व्यवस्थाएं कराई जाएंगी.

आम जनमानस की सुविधा के लिए बनाए गए रैन बसेरों में फिलहाल तो लोगों को रुकने की व्यवस्था नहीं है. जैसे कई बार देखने में आता है कि लोगों को खुले आसमान के नीचे रात काटनी पड़ती है. ऐसे में अब देखना होगा कि अनलॉक पांच की शुरुआत होने के बाद प्रशासन रैन बसेरों को कब से शुरु होता है.

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