भोपाल। अब भी प्रदेश के कई पिछड़े क्षेत्रों, जिलों और यहां तक की राजधानी भोपाल के आसपास के गांव में भी कई प्रसव, घरों में होते हैं. ऐसे में कई बार प्रसूति महिला और नवजात बच्चे की जान को खतरा रहता है. इसके साथ ही कई तरह की बीमारियां भी होने का खतरा होता है.
वहीं सामुदायिक केंद्रों और अस्पतालों में उचित व्यवस्था ना होने पर जरूरत पड़ने पर भी सी सेक्शन डिलीवरी नहीं हो पाती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कई व्यवस्थाएं करने जा रहा हैं.
जानकारी देते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ पंकज शुक्ला ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अब सीधे तौर पर ये देख रहा है कि ऐसे कौन-कौन से ब्लॉक और जिला अस्पताल हैं, जहां पर सीजर डिलीवरी की सुविधा नहीं है. यदि 100 प्रसव हो रहे हैं तो 10 केस ऐसे होते हैं, जिनमें सी सेक्शन डिलीवरी ही हो पाती है. केस की कठिनाई को देखते हुए सी-सेक्शन डिलीवरी ही प्रसूति महिला के लिए सही होती है. यदि प्रसूति महिलाओं की नार्मल डिलीवरी नहीं हो पा रही है और समय पर उसका सीजर ऑपरेशन नहीं हो पाता है तो ऐसे में बच्चे और मां की जान को खतरा रहता है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा सी सेक्शन डिलीवरी के लिए उचित सुविधाएं ऑपरेशन थिएटर, गायनोकोलॉजिस्ट, सर्जन और एनेस्थेटिक की व्यवस्था को पुख्ता करने के इंतजाम किए जा रहे हैं.
वहीं निजी अस्पतालों में हो रही ज्यादा सी सेक्शन डिलेवरी को कम करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के निजी अस्पतालों की मॉनिटरिंग करेंगे. वहां बेवजह सी-सेक्शन डिलेवरी तो नहीं कराई जा रही और यदि ऐसा कोई मामला सामने आता है तो उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी.