भोपाल। शारदीय नवरात्रि महापर्व 2021 (Sharadiya Navratri Mahaparv 2021) 7 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है. इस बार नवरात्रि का आरंभ और समापन गुरुवार को हो रहा है. इस नवरात्रि में मां जगदंबा पालकी पर सवार होकर आएंगी, जो कि लक्ष्मी स्वरूपा होंगी. पंडित आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में जो नवरात्रि आती है उसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. यह सिद्धि दायक नवरात्रि मानी जाती है, क्योंकि शरद ऋतु में मां जगदंबा की जो आरती की जाती है, उस से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
इस बार बन रहा है विशेष संयोग
आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री ने बताया कि इस बार नवरात्रि में विशेष संयोग बन रहा है. गुरुवार के दिन से नवरात्रि का आरंभ हो रहा है और गुरुवार को ही समापन हो रहा है. यह अपने आप में अद्भुत और शुभ संयोग माना गया है. नवग्रह में गुरु ग्रह को सबसे सौभाग्य दायक ग्रह माना गया है. पंडित जी के अनुसार गुरुवार के आरंभ के दिन के साथ ही देवी की सवारी की बताई गई है. देवी जगदंबा इस बार पालकी पर सवार होकर आएगी और भक्तों को आशीर्वाद देंगी. पालकी यानी डोली में दुल्हन यानी लक्ष्मी स्वरूपा के रूप में मां जगदंबा प्रकट होंगी.
ये है घट स्थापना और पूजा के मुहूर्त
आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. इसके साथ ही ज्वारे, कलश और अखंड ज्योति की भी स्थापना की जाती है. इसके लिए शुभ मुहूर्त देखना बहुत आवश्यक है, क्योंकि पहले दिन की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. शुभ मुहूर्त और शुभ घड़ी का महत्व हमारे पुराणों और धर्म ग्रंथों में लिखा हुआ है.
Shardiya Navratri 2021 : जानिए पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
आचार्य शास्त्री के मुताबिक घट स्थापना का पहला मुहूर्त
पहला मुहूर्त: सुबह 6:00 बजे से 7:30 बजे तक
दूसरा मुहूर्त: 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे रहेगा, जो सर्वोत्तम माना गया है. 12:00 बजे से उत्तम चौघड़िया शुरू हो जाएगा, जो कि 3:00 बजे तक रहेगा. अपरान्ह 4:30 से 6:00 तक यह जारी रहेगा.
शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक भी स्थापना की जा सकती है.
रात 9:00 बजे के पहले मां दुर्गा की घट स्थापना कलश, जवारे की विधि संपन्न कर लेना फलदायी होगा.
विभिन्न राशि के जातक ये करें उपाय
मेष राशि: आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार मेष राशि वालों के लिए यह नवरात्रि उन्नति दायक, प्रगति दायक और वृद्धि दायक होगी. इस राशि के जातकों को नए समाचार एवं सूचनाएं मिलेंगी. मां जगदंबा को प्रसन्न करने के लिए उनको लाल रंग का फल अर्पित करना चाहिए, इससे उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
वृषभ राशि: वृषभ राशि के लोगों को नवरात्रि विशेष फलदायी होगी. भूमि, भवन, वाहन के साथ कई उपलब्धियां प्राप्त होंगी. विशेष सूचनाएं और समाचार प्राप्त होंगे. इस राशि के जातक मां जगदंबा को सफेद रंग की मिठाईया या दूध की वस्तु समर्पित करेंगे, तो उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होगी.
मिथुन राशि: इस राशि के लोगों के लिए शुभ और मांगलिक योजनाओं को क्रियान्वित करने का समय आ चुका है. उन्हें विवाह या शुभ मांगलिक कार्यों का अवसर प्राप्त होगा. नौकरी में पदोन्नति प्राप्त हो सकती है. मां जगदंबा को बेलपत्र अर्पण करने से उनके सारे काम पूरे होंगे.
कर्क राशि: इस राशि वालों को नवरात्रि के दौरान मिलाजुला परिणाम प्राप्त होगा. पुराने अटके हुए काम होंगे, लेकिन तनावपूर्ण स्थिति भी बन सकती है. कुल मिलाकर अच्छा संयोग भी बन रहा है. मां जगदंबा को पंचामृत चढ़ाने से माता को प्रसन्न किया जा सकता है.
सिंह राशि: इस राशि के जातकों को मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा के साथ राजकीय क्षेत्र में उपलब्धि का योग बन रहा है. मां जगदंबा को अनार का फल अर्पित करने पर नवरात्रि अति शुभ फलदायी साबित होगी.
कन्या राशि: इस राशि वालों को यह नवरात्रि उपलब्धि दायक सिद्ध होगी. नवरात्रि में मां को हरे रंग की कोई भी वस्तु या हरी चूड़ियां चढ़ाएंगे तो उनके लिए उपलब्धि दायक सिद्ध होगी.
तुला राशि: इस नवरात्रि तुला राशि वालों को कुछ विशेष उपलब्धि प्राप्त हो सकती है. आर्थिक समस्याओं का समाधान होगा. कर्ज से मुक्ति मिलेगी. मां जगदंबा को सौभाग्य की वस्तु सिंदूर, कुमकुम चढ़ाने से यह नवरात्रि उपलब्धि कारक साबित होगी.
वृश्चिक राशि: वाले मां को चढ़ाएं लाल रंग की चुनरी वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह नवरात्रि विशेष संयोग लेकर आ रही है. इनको भूमि, भवन, वाहन या नई वस्तु की खरीदारी का योग इस नवरात्रि में बन रहा है. पुराना रुका हुआ पैसा भी मिल सकता है. नवरात्रि के दौरान लाल रंग की चुनरी अर्पित करने से मनोवांछित फल मिलेंगे.
धनु राशि: इस राशि वालों को नवरात्रि धन धान्य देने वाली साबित होगी. आर्थिक व्यवस्था में मजबूती आएगी. सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी विशेष उपलब्धि प्राप्त हो सकती है. मां जगदंबा को पीले रंग का फल चढ़ाना शुभ फलदायी साबित होगा.
मकर राशि: यह नवरात्रि मकर राशि वालों के लिए फलदायी साबित होगी. इस दौरान जीवन में विशेष उपलब्धि प्राप्त होगी. आर्थिक समस्याओं का निदान तो होगा. पुराने कर्ज से भी मुक्ति मिलेगी. नए काम भी शुरू हो सकते हैं. मां जगदंबा को काजल चढ़ाने से इनको और भी उपलब्धि प्राप्त होगी.
कुंभ राशि: इस राशि वालों को सम्मान के साथ धन की प्राप्ति भी होगी. परिवार में नए सदस्य का आगमन हो सकता है. संतान प्राप्ति का उत्तम अवसर मिलेगा. मां जगदंबा को सौभाग्य की वस्तु मेहंदी चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होंगे.
मीन राशि: इस राशि के जातकों को मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा का उत्तम योग बनने वाला है. धन प्राप्ति के अच्छे अवसर मिलेंगे. रुका हुआ पैसा भी प्राप्त हो सकता है. माता को केसर अर्पित करने से इनको और भी अधिक उपलब्धि प्राप्त होंगी.
इस तरह करें शैलपुत्री की पूजा-अर्चना
आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए 'ओम शैलपुत्री नमः' बीज मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके प्रभाव से माता जल्दी ही प्रसन्न होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इस मंत्र के जाप से जीवन में कभी कोई गंभीर बीमारी नहीं होती है. मनुष्य स्वस्थ रहता है और आरोग्यता प्राप्त होती है.
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हिमालय की पुत्री है मां शैलपुत्री
आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार नवरात्रि की नौ देवियों में पहली देवी शैलपुत्री हिमालय राज की कन्या के रूप में जन्म लेने के कारण भगवती जगदंबा का पहला नाम शैलपुत्री हुआ. शैलपुत्री गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाती हैं. मनुष्य को उत्तम आरोग्य प्रदान करती हैं. शास्त्री के अनुसार शैलपुत्री को गाय के घी का भोग को लगाया जाता है. इस मनुष्य को कोई रोग नहीं होता है.
सुख शांति और अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी
आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार इस नवरात्रि में 9 दिन तक देवी की आराधना करने से सुख शांति और समृद्धि का वास होगा. नवरात्रि के प्रभाव के चलते देश-दुनिया में अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. कोरोना महामारी का नाश होगा और उन्नति के रास्ते खुलेंगे. इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग रहेगा. जिसमें व्यक्ति अपनी मनोकामना को पूरी कर सकेंगे.
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माता दुर्गा के नौ स्वरूप
- नवरात्र पहला दिन : मां शैलपुत्री
- दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी
- तीसरा दिन : मां चंद्रघंटा
- चौथा दिन : मां कुष्मांडा
- पांचवा दिन : मां स्कंदमाता
- छठा दिन : मां कात्यायनी
- सातवां दिन : मां कालरात्रि
- आठवां दिन : मां महागौरी
- नवा यानी अंतिम दिन : मां सिद्धिदात्री