भोपाल। कथा वाचक जया किशोरी (Narrator Jaya kishori) का कहना है कि ''मैंने कथा की शुरूआत की और सब अपने आप होता गया. जिंदगी बन गई, पता नहीं चला. मुझे बहुत खुशी है कि मैं यहां भोपाल में श्रीमद् भागवत कथा लेकर आई हूं, ये मेरे लिए एक बहुत ही अच्छी बात है. देखते हैं भक्त कैसे आते हैं और कैसे सुनते हैं, हमारी कोशिश है कि उनको अच्छा लगे, तभी हमारी मेहनत सफल होती है. वहीं कथाओं में यूथ के आने पर उन्होंने कहा कि मेरी कथाओं में यूथ काफी आता है, उसका कारण ये भी हो सकता है कि मैं खुद एक युवा हूं, मुझे देख कर उनको ऐसा लगता है कि कोई ऐसा है जो उनके जैसा है, कथा में हम पहले पूरी कथा सुनाते हैं फिर बताते हैं''.
शादी पर दिया बड़ा बयान: जया किशोरी का एक फोटो सोशल मीडिया पर है जिसमें वह क्रिसमस की ड्रेस पहने हुए नजर आ रही हैं, इस पर उनका कहना है कि ''मुझे तो पता ही नहीं कि ऐसा कुछ है. मुझे लगता है वह इतना वायरल नहीं हुआ, इसलिए मुझ तक नहीं आया. आपको समझ आ जाए की इतनी टेक्नोलॉजी अभी तक बढ़ गई, ये फोटोशॉप पिक्चर होगी'''. वहीं जब उनसे पूछा गया कि ''आपकी शादी को लेकर भी कई बार चर्चाएं चलती हैं इस पर आपका क्या कहना है इस सवाल के जवाब में जया किशोरी ने ज्यादा कुछ नहीं कहा और कहा चर्चाएं होती हैं तो होने दीजिए''.
कथाओं में कंपटीशन: कथाओं में कंपटीशन हो गया है इस सवाल पर जया किशोरी ने कहा कि ''अगर फील हो रहा है कंपटीशन है तो है, वरना नहीं. अगर आप अच्छा काम कर रहे हैं, आप एक बदलाव लाना चाह रहे हैं, उसमें कई चीजें आती हैं, सिखाती है, प्रैक्टिसेस क्या होनी चाहिए, मेडिटेशन कैसा होना चाहिए. कथा दिमाग को शांत रखने का काम करती है, विपरीत परिस्थितियों में युवाओं के लिए उनके परिवार वालों के सामने आती है. देशभर में कई चैनलों पर लोग कथाएं कह रहे हैं, सोशल मीडिया पर भी कथाएं है, लेकिन वह कहीं ना कहीं धर्म का प्रचार कर रहे हैं. वैसे तो हर चीज बाजार में मिलती है, जूस भी मिलता है, अब आपको जूस पीना है या कुछ और लेना है यह आपकी चॉइस है''.
राजनीति कृष्ण जैसी करना चाहिए: राजनीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि ''राजनीति में ज्यादा मुझे पता नहीं, मैं राजनीति के बारे में हमेशा एक बात कहती हूं और कहूंगी, महाभारत में राजनीति कृष्ण जैसी करनी चाहिए, वो राजनीति अच्छी है. बच्चों को थोड़ी धर्म की पढ़ाई भी करना चाहिए. मैं हमेशा कहती हूं, मेरे माता-पिता ने बचपन में मेरे घर में धार्मिक माहौल रखा था, बचपन से हमारे घर में रोज शाम को हनुमान चालीसा, भक्ति कीर्तन होते थे. भगवान की कहानियां बताई जाती थीं, भगवान ऐसे क्यों है, इसका मतलब क्या है और उसको सही उत्तर मिला, इसलिए मैं आज यहां हूं''.
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कथा करने में कभी डर नहीं लगा: अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हुए जया किशोरी ने कहा कि ''मेरी कोई ऐसी स्थिति नहीं थी की कथा करना है, मुझे कथा मैं कोई ऐसा डर नहीं लगा, पहली कथा जब कथा कहनी थी तब में छोटी बच्ची थी. मेरी पहली कथा मुझे आज भी याद है, तैयार होने से पहले मैं किसी काम से कमरे से बाहर निकली थी और तब तक लोग आने शुरू हो गए थे. मैं एक बच्चे की तरह खेल कूद रही थी, तभी पीछे से उनकी आवाज आ रही थी, क्या यही कथा करेगी. यही मेरी सच्चाई थी''.
मेंटल स्टेस स्ट्रांग करता है अध्यात्म: बच्चों के डिप्रेशन में जाने और आत्महत्या पर उन्होंने कहा कि ''आजकल आप छोटी-छोटी बात पर झूठ बोलते हैं, घर से भी नहीं निकले और बोल देते है कि 5 मिनट में आया, और सोचते हैं कि इतने झूठ से क्या होता है, यहा आप की एक आदत बन रही है सच का सामना नहीं करने की और जब जिंदगी का सच आपके सामने आता है तो आप उसे नहीं जी पाते. कोरोना आपके हाथ की चीज नहीं था, लोगों ने बहुत प्लानिंग की थी और बहुत कुछ सोच कर रखा था, पर जब ये सामने आया तो किसी से हैंडल नहीं हुआ, जब जिंदगी का सच सामने आता है तो व्यक्ति छोटे सच का भी सामना नहीं कर पता. वह कभी जाकर बड़े सच के सामने खड़े रहने लायक नहीं बनाता. तो यह अध्यात्म में भी आपको सिखाया जाता है कि हमेशा सच बोलना. क्योंकि आध्यात्म आपके मेंटल स्टेस को बहुत स्ट्रांग करता है आज मेंटल स्टेस कमजोर है''.
अपनी इज्जत खुद करें: भगवान के ऊपर बनने वाली फिल्मों पर बोली कि मैं हमेशा एक बात कहती हूं कि ''मजाक इसलिए बनते हैं क्योंकि आप हंसी मजाक करते हैं. भगवान की लीलाओं का मजाक बनाते हैं, जब आप ही भगवान का नाम मजाक में लेते हो तो किसी और को कैसे रोक पाओगे. हर चीज के लिए कहती हूं आपका देश, आपका समाज, आप की संस्कृति, आपका भगवान, आप की इज्जत, खुद नहीं करेंगे तो दुनिया में कोई इज्जत नहीं करेगा''.